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(२), (३), आवश्यकता पड़ती है। हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि इस, आपको अनुवाद, में सफलता प्राप्त करने के लिय अनेक, प्रकार अभ्यास कर लेने के बाद इससे सरल कोई भाषा धरती पर, शब्द रूपों तथा धातु रूपों से परिचित होना पड़ेगा| जब आप उन, है ही नहीं।, शब्दों तथा धातुरूपों का बार-बार प्रयोग करेंगे तो आपका सहज, संस्कृत विरोधी कुछ तत्वों ने बुद्धि पूर्वक संस्कृत भाषा के, विपरीत घिनौना वातावरण तैयार किया है, जिसमें उन्होंने, प्रेम क्रमशः उन शब्द तथा धातु रूपों से बढ़ता जायेगा। आपको, अनुभव होने लगेगा कि सचमुच ये शब्द तथा धातुरूप कठिन नहीं, हैं, रटने का विषय न होकर अभ्यास का विषय है । उसके बाद तो, बहुत दूरे तक सफलता पायी है, जिसके फलस्वरूप आज वे, परिवार भी अपने बच्चों को संस्कृत पढने से दूर रख रहे हैं, जो, उसी की कमायी खा रहे हैं, उसी के भरोसे युग-युगों से जी रहे, हैं, आगे भी उसके बिना कोई चारा नहीं है। वे भी ऐसे कूतर्क, आप अच्छे लेखक एवं कुशल वक्ता के रूप में अपने को पायेंगे।, ध्यान दें, 'सुप्तिङन्तचरयो वाक्यम्' प्रत्येक वाक्य में, सुबन्त - राम, सीता, वन, पर्वत आदि शब्द होते हैं । शब्दों को, ही 'सुबन्त' कहते है, क्योंकि उनके अन्त में सु आदि इक्कीस, प्रत्यय आवश्यकतानुसार जुड़े होते हैं, या जोड़े जाते हैं तिङन्त, - पठति, भवति, चलति आदि क्रिया रूपों को तिङन्त कहते हैं,, क्योंकि इनके अन्त में 'ति' आदि नौ प्रत्ययप्रयुक्त किये जाते हैं,, अतः इन्हें तिङन्त या धातु रूप भी कहते हैं। क्रिया वा कार-, कान्विता' कारक से युक्त क्रिया वाक्य का रूप धारण कर लेती, प्रस्तुत करते हैं, जिनको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं सबसे, जहरीली बात वे यह कहते हैं, कि इसमें शब्द तथा धातुरूप रटने, पड़ते हैं, हम उनसे पूछते हैं, क्या दूसरी सभी भाषाएँ बिना, रटे, पढ़े ऐसे ही सीख ली जाती हैं? अस्तु ।, अब आप सुनें, संस्कृत भाषा कठिन नहीं है, यही एक ऐसी, भाषा है, जिसमें जैसा बोला जाता है, ठीक वैसा ही लिखा भी, जाता है, इसमें याद करना या रटना तो नहीं पड़ता, परन्तु, समझना अवश्य पड़ता है। ध्यान दें! एक शब्द रूप या धातु रूप, सीख कर उसके समान अन्य अनेक रूपों का सरलतापूर्वक ज्ञान, प्राप्त किया जा सकता है। इस तथ्य का सुख आपको इस, 'रूपचन्द्रिका' का अध्ययन करने से प्राप्त होगा।, है।, संस्कृत भाषा तथा साहित्य भारतवर्ष की अमूल्य निधि है,, उसे प्राप्त करने का यह 'रूपचन्द्रिका प्रथम सोपान है। आप, भारतीय होने के कारण उसके उत्तराधिकारी हैं। सीखिये , पढ़िये