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जाति कै ल्ियम, (.5ए5 07 (०7100), , , , , , , , 4.1 | प्रस्तावना (110%लांणा), , , , , , , , , , पिछले अध्याय में हमने गतिकी के अध्ययन में गति के उन कारणों का, अध्ययन नहीं किया जिनके प्रभाव में कोई वस्तु गतिशील होती है।, किसी वस्तु की गति को प्रभावित करने वाले कारक द्रव्यमान तथा बल, हैं। इस अध्याय में हम गति के कारक बल तथा गति के नियमों का, अध्ययन करेंगे। भौतिक विज्ञान की यह शाखा गति विज्ञान ()जाभ्ा, 108) कहलाती है।, , , , , , 4.2 ( बल की संकल्पना ((०॥८००( रण 7०८०), , ,, , , , , , , , * दैनिक जीवन में हमारा अनुभव है कि कोई वस्तु तब तक स्थिर रहती है, जब तक कि उसे खींचा या धक्का नहीं दिया जाये। इसी प्रकार, गतिशील वस्तु को रोकने के लिए भी गति के विपरीत धक्का लगाया, जाता है या खींचा जाता है । इन सभी स्थितियों में एक बाह्य कारक की, , आवश्यकता होती है जिसे बल कहते हैं।, , इस प्रकार वह कारक जो स्थिर वस्तु को गतिशील या गतिशील वस्तु, की स्थिति में परिवर्तन करता है अथवा ऐसा करने का प्रयास करता है,, बल कहलाता है। बल वह भौतिक राशि है जो किसी वस्तु में त्वरण, , उत्पन्न करे अथवा त्वरण उत्पन्न करने का प्रयास करें।, , जब वस्तु पर कार्यरत बल संतुलित होते हैं तब वह स्थिरावस्था में तथा, जब असंतुलित बल कार्यरत होते हैं तब वह परिणामी बल की दिशा, , में गति करती है।, , किसी पिण्ड पर कार्यरत बल की व्याख्या करने के लिए निम्न तथ्यों, , का निर्धारण आवश्यक होता है(1) कार्यरत बल का परिमाण, (2) कार्यरत बल की दिशा तथा, (3) कार्यरत बल के बिन्दु की स्थिति पर कार्यरत बल की दिशा का गति पर प्रभाव, (सील्ल ता ताल त्राणांणा तार० क्रास्लांगा ग॑ 001९0 0 ०ट), स्थिति 6) जब कार्यरत बल की, , , , दिशा कण के विस्थापन की दिशा, , (का), , स्थिति (8) जब नियत परिमाण का बल गतिशील कण के, लम्बबत् कार्यरत हो-इस स्थिति में कण नियत चाल से वृत्ताकार, पथ पर गति करता है।, , अनुभव के आधार पर बल दो प्रकार के होते हैं, 1. सम्पर्क बल-वे बाहूय बल जो किसी वस्तु, के सम्पर्क में आने पर वस्तु की स्थिति में, परिवर्तन करते हैं या करने का प्रयास करते, हैं। सम्पर्क बल कहलाते हैं।, उदाहरण-हाथ से मेज को खींचना, साईकिल, पर पैडल मारना आदि।, , 2. दूरी पर कार्यरत बल-वे बाहय बल जो, किसी वस्तु के सम्पर्क में आए बिना ही वस्तु की स्थिति में परिवर्तन, करने का प्रयास करते हैं। दूरी पर कार्यरत बल या क्षेत्रीय बल, कहलाते हैं।, , उदाहरण-गुरुत्वीय बल, चुम्बकीय बल, कूलॉम बल आदि। अतः, बाहूय बल किसी पिण्ड के संपर्क में हैं यह आवश्यक नहीं है। बाहय, , , , अर, , चित्र 4.1 (0), , , , , , , , , , बल एक दूरी से भी किसी पिण्ड पर बल लगा सकता है।, , , , , , , , , , , , , , , , , , बल के कारण वस्तु में त्वरण या मंदन उत्पन्न होता है।, , बल के कारण वस्तु की आकृति या आकार में परिवर्तन संभव हैं |, वस्तु पर बल लगाने के लिए उसे छूना (सम्पर्क) आवश्यक नहीं, हैं।, , यदि किसी वस्तु पर एक से अधिक बल कार्यरत हों और वस्तु, स्थिरावस्था में हो तो यह बलों की संतुलन की स्थिति कहलाती है।, यदि किसी वस्तु पर एक से अधिक बल कार्यरत हों और कार्यरत, बल संतुलन की स्थिति में नहीं हों अर्थात् असंतुलित बल कार्यरत, हों तो वस्तु परिणामी बल की दिशा में गति करेगी।, , , , , , , , में हो-इस स्थिति में कार्यरत बल, , , , , , , , 5, , का परिमाण नियत होने पर कण है ४८४८४ 7, का त्वरण भी नियत रहता है। (०)., , , , , , स्थिति (8) जब नियत परिमाण, का बल नियत वेग से, , , , गतिशील कण के प्रारंभिक, वेग की दिशा के लम्बवत्, कार्यरत हो-इस स्थिति में कण, परवलयाकार पथ पर गति है. परवलयाकार पथ, करता है। 0)., , भर, , , , , , , , , , , , , , , 3. जड़त्व एवं न्यूटन का गति का प्रथम नियम, , (गाटतां॥ 10 पि९फ(०॥'$ गि।ड 1.#क्त ण ि०धंणा), , , , जड़त्व (679):, , 6), , 6), , वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह रेखीय गति में अवस्था, परिवर्तन का विरोध करती है, जड़त्व कहलाता है। यह वस्तु के, द्रव्यमान के बराबर होता है।, , यदि कोई वस्तु स्थिर है तो वह स्थिर रहना चाहती है तथा यदि, गतिशील हैं तो एक समान वेग से गतिशील रहना चाहती है | जब, तक उस पर कोई बाहूय असंतुलित बल कार्य नहीं करे। वस्तु के
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(कं), , (9), , 0), , इस गुण को जड़त्व का गुण कहते हैं।, , यदि नेट बाहय बल शून्य है तो विरामावस्था में रह रहा,पिण्ड विरामावस्था, में रहता है और गतिशील पिण्ड निरंतर एक समान वेग से गतिशील, रहता है | पिण्ड के इस गुण को जड़त्व कहते हैं।, , कोई पिण्ड अपनी विरामावस्था अथवा एंक समान गति की अवस्था, में स्वयं तब तक कोई परिवर्तन नहीं कर सकता जब तक उस पर, कोई बाहय असंतुलित बल कार्य नहीं कर सकें |, , पिण्ड का वह गुण जिसके कारण वह स्थिर अवस्था या एक समान, गति अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है जड़त्व कहलाता है।, , , , , , , , , , 1_ महत्वपूर्ण तब्य | 1 सहत्यपर्णलब्य 1, , , , , , , , , , , , , , ।, , (2), (3), , (3), 6), , , , जड़त्व एक भौतिक राशि नहीं है, यह केवल वस्तु का अंतर्निहित, गुण है जो कि वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।, , जड़त्व का कोई मात्रक अथवा विमा नहीं होती।, , समान द्रव्यमान की दो वस्तुओं (जिनमें से एक गतिमान तथा, दूसरी स्थिर है) का जड़त्व समान होता है, क्योंकि जड़त्व केवल, द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह वस्तु के वेग व आकार पर निर्भर, नहीं करता।, , जड़त्व से तात्पर्य है परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध |, , यदि समान बल दो भिन्न-भिन्न द्रव्यमान की वस्तुओं पर आरोपित, किया जाता है तब कम द्रव्यमान (हल्की वस्तु) की कस्तु में, अधिक त्वरण होगा जबकि अधिक द्रव्यमान (भारी वस्तु) की, वस्तु में कम त्वरण होगा। इस प्रकार जिस वस्तु का जड़त्व, अपेक्षाकृत अधिक है उस पर बाह्य बल आरोपित करने से अपेक्षाकृत, कम त्वरण उत्पन्न होगा।, , , , , , , , , , , , 6), , , , प्रायोगिक प्रेक्षणों पर आधारित है।, इस नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु स्थिर है तो वह स्थिर ही, रहेगी तथा गतिशील है तो नियत वेग से गतिशील ही रहेगी जब, त्तक उस पर कोई बाह्य असंतुलित बल कार्य नहीं करता है। इसे, जड़त्व का नियम भी कहते हैं।, , इस प्रकार किसी वस्तु की स्थिर अवस्था अथवा एक समान वेग से, गतिशील अवस्थाओं में परिवर्तन के लिए बाह्य असंतुलित बल, आवश्यक है दोनों ही शून्य त्वरण की अवस्थायें हैं।, , यदि किसी वस्तु पर लगने वाला नेट बाहय बल शून्य है तो उसका, त्वरण शून्य होता है | शून्येत्तर त्वरण केवल तभी हो सकता है जब, वस्तु पर कोई बाह्य असंतुलित बल अर्थात् नेट बाहय बल लगता, हो।, , न्यूटन की गति के प्रथम नियम के उदाहरण, न्यूटन का प्रथम नियम जड़त्व को परिभाषित करता हैं। जड़त्व तीन, प्रकार का होता है, विराम का जड़त्व, गति का जड़त्व, दिशा का जड़त्व |, , विराम का जड़त्व (पथ ० 1९४)-यह वस्तु का वह गुण है, जिसके कारण वस्तु स्वयं अपनी विरामावस्था में परिवर्तन नहीं कर, सकती है| इसका अर्थ है, कि यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है,, तो वह विरामावस्था में ही रहती है अर्थात् स्वयं गति प्रारंभ नहीं कर, सकती।, , उदाहरण-(6) यदि हम किसी गिलास के ऊपर रखे एक चिकने कार्ड बोर्ड, , ।, ।, , (6), , (कं), , कण, , ७), , (भर), , (2), , , , पर कोई सिक्का रखते हैं तथा उँगलियों की सहायता से कार्ड, को एका एक दूर धकेलते हैं, तब कार्ड-बोर्ड दूर गिर जाता है,, जबकि सिक्का विराम के जड़त्व के कारण गिलास में गिर जाता है |, एक आदमी बस में स्वतंत्र रूप से खड़ा है। जब बस अचानक, चलना प्रारम्भ करती है, तब वह पीछे की ओर गिरता है|, , जब बस अचानक चलना प्रारंभ करती है, तो बस की गति के लिए, आवश्यक बल शरीर के निचले भाग में भी संचरित होता है, अतः, शरीर का निचला भाग बस के साथ ही गतिमान होता है, जबकि, शरीर के ऊपरी भाग में (कमर से ऊपर का भाग) विराम के जड्॒त्व, के कारण कोई बल संचरित नहीं होता, अतः यह हिस्सा अपनी पूर्व, अवस्था में ही रहता है। इस प्रकार शरीर के दो हिस्सों के बीच, परिणामी विस्थापन होने से शरीर के ऊपरी हिस्से को पीछे की ओर, झटका लगता है।, , यदि बस धीमी गति से गतिमान है, तो गति का जड़त्व एकसमान, रूप से व्यक्ति के शरीर में संचरित हो जाता है, जिससे व्यक्ति का, संपूर्ण शरीर बस के साथ गतिमान हो जाता है तथा व्यक्ति को कोई, झटका नहीं लगता।, , जब कोई घोड़ा अचानक दौड़ना शुरू कर देता है, तब घुड़सवार, पीछे की ओर गिरने लगता है, ऐसा व्यक्ति के शरीर के ऊपरी हिस्से, में विराम के जड़त्व के कारण होता है।, , बंदूक की गोली को काँच की खिड़की पर दागने पर यह स्पष्ट छिद्र, बनाती हुई निकलती है, जबकि कोई गेंद पूरी खिड़की के काँच को, तोड़ देती है। इसका कारण यह है कि गोली का वेग गेंद की अपेक्षा, अत्यधिक होता है, अत: काँच के साथ इसका संपर्क अत्यंत कम समय, तक होता है, अतः गोली के कारण गति काँच के केवल छोटे से भाग, में ही संचरित होती है। अतः यह काँच की खिडकी से एक स्पष्ट छिद्र, बनाती हुई निकलती है, जबकि गेंद से सम्बन्धित समय तथा संपर्क, क्षेत्रफल अधिक होता है| इस समय में गति पूरी खिड़की के काँच में, संचरित हो जाती है, अतः यह पूरी खिड़की को तोड़ (0३०७) देती है।, किसी दरीपट्टी को छड़ से झाड़ने पर इसमें से धूल के कण गिरने, लगते हैं, क्योंकि दरीपट्टी को छड़ से झाड़ने पर दरीपट्टी गति, में आ जाती है, किन्तु धूल के कण अपनी पूर्वावस्था में ही रहते हैं,, अतः: दरीपट्टी से अलग हो जाते हैं।, , गति का जड़त्व (व्रत ०110601)-वस्तु का वह गुण, जिसके, कारण वह अपनी एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं कर, सकती अर्थात् एक समान गति करती हुई वस्तु स्वयं न तो त्वरित, , होती है अथवा न ही अवमंदित |, , उदाहरण 6) जब किसी बस अथवा ट्रेन को अचानक रोक दिया जाता है,, , (), (कं), , 8), , तब उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं, क्योंकि उनके शरीर, का निचला हिस्सा बस अथवा ट्रेन के साथ विरामावस्था में आ जाता, है, किन्तु ऊपरी हिस्सा गति के जड़त्व के कारण आगे की ओर, गतिमान रहता है।, , चलती ट्रेन से कूदने पर व्यक्ति आगे की ओर (रैलगाड़ी की दिशा, में) गिरने लगता है।, , लंबी कूद के धावक लंबी कूद से पहले कुछ दूरी तक दौड़ते हैं,, क्योंकि दौड़ने पर प्राप्त वेग, लंबी कूद लगाने के वेग में जुड़ जाता, है। अतः वह ज्यादा दूरी तक कूद सकता है।, , दिशा का जड़त्व (हालपं॥ क।९८४०१)--वस्तु का वह गुण,, जिसके कारण वह स्वयं की गति की दिशा में परिवर्तन नहीं कर, सकती, दिशा का जड़त्व कहलाता है।, , उदाहरण-() जब कोई कार अचानक वक्राकार मार्ग पर चलने लगती, , है, तब अंदर बैठे व्यक्ति बाहर की ओर गिरने लगते हैं।