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39, 0.13, 0,0052, मुख्य पैमाने की माप नीचे, धिम्बल का 19 वां भाग डाटम लाइन से स्पर्श कर रहा है ।, = 0.50 mm, 40, 0.12, 0,0048, 41, 0.11, 0.0044, अत: थिम्बल का माप 0.01 x 19 = 0.19 mm, 0.10, 0,0040, 42, कुल माप = 12,69 mm, एक माइक्रोमीटर मैट्रिक या इंच द्वारा ली गई किसी तार की माप, swG से सम्बन्ध निम्न सारणी में दिखाया गया है।, SWG 7., 7/0, 60, 50, 40, 3/0., 20, 43, 0.09, 0.0036, 44, 0.08, 0.0032, 45, 0,07, 0.0028, 16, 0.06, 0.0024, मि.मि., इंच, 47, 0.05, 0.0020, 12.7, 0.500, 48, 0.04, 0.0016, 11.38, 0.464, 49, 0.03, 0.0012, 10.92, 0.432, 50, 0.02, 0.0010, 10.16, 0.400, भूमिगत केबलें (Underground Cables) : भीड़़-भाड़ वाले, स्थानों पर या बड़े उद्योगों में भूमिगत केवलों द्वारा विद्युत शक्ति का संचारण, व वितरण किया जाता है इस पद्धति के निम्नलिखित लाभ व हानियाँ है ।, 9.44, 0.372, 8.83, 0,348, 8.23, 0.324, 1, 7.62, 0.300, लाभ :, 1. भूमिगत होने के कारण तड़ित, तूफान, पक्षियों व मौसमी दशा, आदि से हानि नहीं होती, 2. शिरोपरी लाइन में चालक, 7.01, 0.276, 3, 6.40, 0.252, 5.89, टूट कर गिरने से होने वाली हानि, 0.234, 5.38, केबलों में नहीं होती है।, 5, 0.212, 3. शहरों की सुन्दरता प्रभावित नहीं होती।, 4. केबल भूमिगत रहने के कारण भूमि के ऊपर का स्थान काफी, 4.88, 0.192, 7, 4.47, 0.176, 8, 4.06, 0.160, उपयोगी हो जाता है।, 9., 3.66, 0.144, 5. केबलों में चालक पास-पास होने के कारण इसके चालकों, 3.25, 0.128, में प्रेरकत्व कम होता है। जिससे प्रेरणिक वोल्टता पात कम होता है और, वोल्टता नियमन सुधरता है।, 10, 11, 2.95, 0:116, 12 --, 2.64, 0.104, हानियाँ, 1. महँगी पड़ती है।, 2. आवश्यकता पड़ने पर केबलों में टैपिंग करना कठिन कार्य है।, 3. केबलों को जोड़ना भी कठिन और खर्चीला होता है ।, केवल के चयन करने के लिए आवश्यक विन्दु, 1. स्थान तथा चालक का प्रकार : जिस कार्य के लिए केबल, 13, 2.34, 0.092, 14, 2.03, 0.080, 15, 1.83, 0.072, 16, 1.63, 0.064, 17, 1.42, 0.056, 18, 1.22, 0.048, 1.02, 0.040, का चयन करना है। यदि उस स्थान पर नमी है या रासायनिक भाप इत्यादि, 19., 0.91, 0.036, हैं तो केबल के प्रतिरोध (Insulation) पदार्थ का चयन व चालक के पदार्थ, 20, 21, 0.81, 0.032, का चयन भी इसी आधार पर करना चाहिए।, 0.028, 2. केबल धारा वहन क्षमता : इस कार्य के लिए सर्वप्रथम परिपथ, से जुड़े सम्पूर्ण भार की गणना करनी चाहिए और पूर्ण भार के अनुसार मुख्य, स्विच की क्षमता अनुसार केबल के साइज का निर्धारण करें, परन्तु हर समय, सम्पूर्ण भार परिपथ में नहीं जुड़ता विशेषकर प्रकाश भार कम अधिक होता, रहता है। इसलिए सम्पूर्ण प्रकाश भार का 2/3 भाग को प्रदाय से जुड़ा मानना, चाहिए । अत: किसी अवधि में अलग-अलग उपभोक्ताओं की अधिकतम माँग, का योग और विद्युत केन्द्र की अधिकतम माँग के अनुपात को नानत्व गुणांक, (Diversity Factor) कहते हैं प्रकाश भार के लिए इसका मान 75%, शक्ति, भार के लिए 100% व 50% भी हो सकता है । उदाहरण के लिए किसी परिपथ, में किसी भार पर धारा 12 है यदि नानत्व गुणांक (Diversity Factor) 75%, 22 ,1, 0.71, 23, 0.61, 0.024, 24, 0.56, 0.022, 25, 0.51, 0.020, 26, 0.46, 0.018, 27, 0.42, 0.0164, 28, 0.38, 0.0148, 29, 0.34, 0.0136, 30, 0.31, 0.0124, 31, 0.29., 0.0116, 32, 0.27, 0.0108, 33, 0.25, 0.0100, 12x75, = 9 होगी, इस प्रकार केबल, 100, 34, 0.23, 0.0092, माना जाये तो परिपथ की उच्चतम धारा, 35, 0.21, 0.0084, के चालक का साइज 9 एम्पियर के अनुसार चुना जायेगा जैसा कि सारणी, 1 में 9 एम्पियर के लिए केबल का साइज 1.5 mm है ।, 36, 0.19, 0.0076, 37, 0.17, 0.0068, 38, 0.15, 0.0060, 1.67, इलैक्ट्रिशियन ट्रेड ध्योरी - 1# Year, JAIPUR