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[भाग गा-खण्ड 4] भारत का राजपत्र : असाधारण जे, , , , , , 5 प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में वार्षिक परीक्षा में लगने वाले समय को छोड़कर कम-से-कम 210 दिन की शिक्षण अवधि, आवश्यक होगी।, , 4. शिक्षण वर्ष अवधि:, (0) पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक कक्षाओं का प्रथम शैक्षणिक वर्ष प्रत्येक वर्ष अधिकतम 4 सितम्बर को शुरू होगा।, (2) वार्षिक परीक्षाएं वार्षिक ग्रीष्मावकाश शुरू होने से पहले आयोजित करनी होगी।, , ), , 5. पशु चिकित्सा अस्पतालों अथवा संस्थानों में प्रशिक्षण और इंटर्नशिप (अंतःशिक्षुता) के लिए, उपयुक्त, समायोजनों के साथ निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी:, , (0) पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्पलेक्स प्रत्येक पशु चिकित्सा महाविद्यालय में एक अलग विभाग होगा जिसमें प्रोफेसर की, श्रेणी का संकाय सदस्य, जिसने किसी क्लिनिकल विषय में विशेषता प्राप्त की हो, स्वतंत्र प्रभारी होगा; यह विभाग चौबीसों घंटे, प्रचालित रहेगा।, , (2) पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्पलेक्स को केवल तभी मान्यता प्रदान की जाएगी जब वहाँ प्रति माह आने वाले बाहय, रोगियों की औसतन संख्या 500 और अंतरंग रोगियों की संख्या 10 होगी।, , (3) यदि पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्पलेक्स में आने वाले बाहूय और अंतरंग रोगियों की संख्या उपरोक्त (ख) में निर्धारित, के अनुरूप नहीं होगी तो विश्वविद्यालय / महाविद्यालय को निकटवर्ती (आउटरीच) सुविधाओं की स्थापना करनी होगी जो उपरोक्त, न्यूनतम आवश्यकताओं के अनुसार, महाविद्यालय से 20 किमी. से अधिक दूर नहीं होना चाहिए। उक्त निकटवर्ती क्लिनिकल, कॉम्पलेक्सों में वे सभी सुविधाएं होनी चाहिए जो पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्पलेक्सों के लिए इन विनियमों के अंतर्गत निर्धारित, की गई हैं।, , (७) इन संलग्न पशु चिकित्सा अस्पतालों में उचित रूप से निर्मित अंतरंग वार्ड, रोगियों कि लिए आवास सुविधाएं, आपात, सेवाएं तथा सभी चिकित्सीय, शल्य चिकित्सीय, और मादा रोगों से ग्रस्त रोगियों के इलाज, और प्रदर्शन, प्रशिक्षण के लिए, अनिवार्य सुविधाएं तथा अलग “अंतःस्वास्थ्य' सुविधाएं, जैसे कृत्रिम गर्भाधान, गर्भधारण का निदान, पशु जन्म नियंत्रण, स्वास्थ्य जांच, परीक्षण, प्रोफिलैक्सिस इत्यादि सुविधाएं होनी चाहिए।, , (5) क्लिनिकल और अस्पताल के कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाएं और आपात् /रात्रि ड्यूटी करने वाले छात्रों के लिए, उपयुक्त आवास तथा कर्मचारियों, छात्रों और ग्राहकों के लिए कैफेटेरिया/ कैंटीन की सुविधा होनी चाहिए।, , 6) पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्पलेक्स तथा,/अथवा पशु चिकित्सा अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात सभी संबंधित कर्मचारी, उपचार और संबद्ध सार्वजनिक सेवाएं देने के लिए जिम्मेदार होंगे और आपात्कालीन रात्रि ड्यूटी तथा रविवार ,/छुट्टी के दिनों, में अनिवार्य रूप से क्लिनिक में उपस्थित रहेंगे तथा चिकित्सालय में ड्यूटी के समय कर्मचारियों और छात्रों को उचित पोषाक, ऐप्रन, कवरऑल (डंगरी) इत्यादि] और उपयुक्त उपकरणों के साथ उपस्थित रहना होगा।, , (7) अध्यापन संस्थाओं को हमेशा पशु कल्याण और नीति सिद्धांतों का पालन करते हुए पशु,रोगी सूचनाओं का अधिकतम, प्रयोग करना होगा, और निम्नलिखित की व्यवस्था करनी होगीः, , () पर्याप्त संख्या में अध्यापन सामग्री जो विभिन्न किस्मों और प्रजातियों के चिकित्सीय मामलों के रूप में होगी;, , (1) अध्यापन पशु चिकित्सा अस्पतालों में रोगियों को अधिक संख्या में उपचार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सहायिकी के, आधार पर उपचार;, , (#) शैक्षणिक रूचि के मामलों अथवा शिक्षा के लिए उपयोगी विशिष्ट मामलों को प्राप्त करना और उनके मुफ्त रखरखाव की, व्यवस्था उपलब्ध कराना ताकि छात्र उनसे लाभ उठा सकें।, , (५) मृत्यु/सुख मृत्यु के मामले में, विस्तृत शव-परीक्षा का प्रदर्शन करना और नमूनों को संरक्षित करना।, , (श) क्लिनिकल आंकड़ों का रजिस्टर बनाए रखना।, , (6) पशुधन फार्म कॉम्पलेक्स प्रत्येक पशु चिकित्सा महाविद्यालय में एक अलग विभाग होगा जिसमें पशु उत्पादन विभाग का,, प्रोफेसर की श्रेणी का एक संकाय सदस्य, जिसने विशेष रूप में पशुधन उत्पादन प्रबंधन के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त की हो,, विभाग का स्वतंत्र प्रभारा होगा और यह विभाग चौबीसों घंटे काम करेगा। फार्म कॉम्पलेक्स का प्रयोग पशुधन जातियों के पालन, और कुकक््कूटपालन की शिक्षा के लिए करना होगा जिसमें निम्नलिखित सुविधाओं की व्यवस्था होगीः, , () दोओ और बड़ै गौ पशुओं, सुअरों, कुक््कूटों तथा क्षेत्रीय लाभ के पशुओं का आवास, आहार, प्रजनन और प्रबंधन;, (1) रिकॉर्ड रखना;, (7) आहार और चारे के भंडारण की सुविधा;, , (५) आहार और चारा फसलों के उत्पादन की सुविधा;
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4 वृप्त& 04221"0फ% एफ पा : #ार 00२५2 ४ [?6र पा--.$5८. 4], , , , , , (५) प्रबंधन और तकनीकी कर्मचारियों के लिए उपयुक्त आवास की व्यवस्था।, , (9) अन्य सुविधाओं, जैसे गौशालाओं या सामुदायिक फार्मों का प्रयोग किया जाने पर, यह सुविधाएं उपरोक्त अनिवार्यताओं के, अतिरिक्त होंगी कितु इन्हें प्रतिस्थापी नहीं माना जाएगा।, , (10) चौबीसों घंटे की सेवा होने के कारण कर्मचारियों और ड्यूटी पर तैनात छात्रों के लिए उपयुक्त आवास की व्यवस्था करनी, होगी।, , (11). पशुधन फार्म कॉम्पलेक्सों में ड्यूटी पर तैनात सभी संबद्ध कर्मचारी प्रबंध व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होंगे जिसमें पशुधन, फार्म में पशुओं के लिए आपातकालीन सेवाएं शामिल होंगी। उन्हें समय-समय पर दैनिक प्रबंधन पद्धतियों की व्यवस्था करनी होगी, और उनकी निगरानी करनी होगी तथा उनका रिकॉर्ड भी रखना होगा। वे प्रत्येक यूनिट में उत्पादन कार्यों के लिए भी उत्तरदायी, होंगे।, , भाग वा, पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश, , 6. प्रवेश के मानदंड: किसी उम्मीदवार को तब तक पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश नहीं दिया, जाएगा, जब तक कि:, , (क) पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक कोर्स के प्रथम वर्ष में प्रवेश के वर्ष 31 दिसंबर को, उम्मीदवार ने अपनी आयु के, न्यूनतम 17 वर्ष और अधिकतम 25 वर्ष पूरे कर लिए हों; अनुसूचित जाति,/अनुसूचित जनजाति,” अन्य पिछड़ी जातियों के मामले, में अधिकतम आयु में 5 वर्ष की छूट दी जाएगी।, , (ख). उसने भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, प्राणि विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अंग्रेजी विषयों में (मूल पाठ्यक्रम के रूप में), अर्हक परीक्षा उत्तीर्ण की हो, जैसाकि इन विनियमों में निर्धारित किया गया है, तथा विनियमों के भाग (7) के अंतर्गत निर्धारित अंक, प्राप्त किए हों; अथवा भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, प्राणि विज्ञान विषयों, और इन विषयों की प्रायोगिक परीक्षा तथा अंग्रेजी विषय, के साथ, भारतीय विश्वविद्यालय संगठन द्वारा मान्यताप्राप्त किसी भारतीय विश्वविद्यालय /बोर्ड से माध्यमिक विज्ञान परीक्षा के, समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण की हो।, , हू छात्रों का चयनः, , (1) सरकारी या प्राइवेट महाविद्यालय में पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए छात्रों का चयन,, एकसमान मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए, विश्वविद्यालय,” राज्य सरकार ,/भारतीय पशु चिकित्सा प्ररिषद् द्वारा आयोजित, प्रतियोगात्मक प्रवेश परीक्षा के द्वारा मेरिट के आधार पर होगा, क्योंकि विभिन्न एजेंसियों द्वारा आयोजित की जाने वाली अर्हकारी, परीक्षाओं में छात्रों में अंतर हो सकता है तथा आरक्षण नीति भारतीय पशु चिकित्सा प्ररिषद की सीटों के लिए भारत सरकार की, नीति के अनुसार और राज्यों के लिए उनकी आरक्षण नीति के अनुरूप होंगे।, , (2) प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा का पात्र होने के लिए छात्रों को विनियम 6 में शीर्ष “पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री, कोर्स में प्रवेश” में उल्लिखित किसी अर्हकारी परीक्षा में उत्तीर्ण होना होगा।, , (3) पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए अर्हकारी परीक्षा, में अंग्रेजी, भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान और प्राणि शास्त्र, प्रत्येक विषय में उत्तीर्ण होना होगा और अर्हकारी परीक्षा में इन विषयों, में कुल मिलाकर 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में केवल प्रतियोगी प्रवेश, परीक्षा में प्राप्त हुए मेरिट के आधार पर ही प्रवेश दिया जाएगा तथा पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश के, लिए किसी अन्य मेरिट या भारिता पर विचार नहीं किया जाएगा।, , (५) अनुसूचित जाति,/अनुसूचित जनजाति या सरकार द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाने वाली अन्य विशेष श्रेणी के, उम्मीदवारों के संबंध में, प्रवेश के लिए अनिवार्य अंक सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित अंकों (47.5 प्रतिशत) से 5 प्रतिशत कम होंगे।, यदि किसी राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए आरक्षित सीटें, उस राज्य के लिए निर्धारित, न्यूनतम अनिवार्यताएं पूरी करने करने वाले छात्रों की संख्या कम होने के कारण पूरी न भरी जा सकें, तो उक्त रिक्त स्थानों को, अखिल भारतीय आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उन उम्मीदवारों से भरा जाएगा जिन्होंने उत्तीर्ण होने के, लिए निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों।, , 6) वे छात्र जिन्होंने विदेशों में शिक्षा प्राप्त की हो, और जो अब और भारत के पशु चिकित्सा कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहते, हों, उनके लिए 12वीं कक्षा के स्तर की परीक्षा में भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, प्राणि विज्ञान /जैव-प्रौद्योगिकी और अंग्रेजी विषयों, के साथ उत्तीर्ण करना और इन विषयों में कुल मिलाकर 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना जरूरी होगा।, , (6) प्रायोजित उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए निर्धारित प्रवेश प्रक्रिया के अतर्गत अर्हता प्राप्त करनी होगी।, , (7) द्विपक्षीय विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों का पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश भारतीय पशु, चिकित्सा परिषद् द्वारा विनियमित अथवा भारत सरकार की संस्तुति पर होगा।, , (8) प्रत्येक मान्यताप्राप्त पशु चिकित्सा कॉलेज में, जो आईवीसी अधिनियम 1984 की प्रथम अनुसूची में शामिल हो, कुल सीटों, की 15 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी जिन्हें अखिल भारतीय आधार पर सामान्य प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरा जाएगा। भारतीय
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[भाग गा-खण्ड 4] भारत का राजपत्र : असाधारण ठप, , , , , , पशु चिकित्सा प्ररिषद के ऊपरोलिखित 15 प्रतिशत कोटे के प्रति अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति,/शारीरिक रूप से, अशक्त / अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों को भारत सरकार की नीति के अनुसार भरा जाएगा।, , (9) इस परीक्षा के माध्यम से चुने गए उम्मीदवारों को विभिन्न पशु चिकित्सा कालेजों में केवल इन्हीं विनियमों में निर्धारित, पात्रता मानदंडों के अनुसार प्रवेश दिया जाएगा, तथा इन उम्मीदवारों क॑ लिए आवंटित विश्वविद्यालय / पशु चिकित्सा संस्थान में, रिपोर्ट करने की अंतिम तारीख उस वर्ष की 15 सितम्बर होगी, भले ही उक्त विश्वविद्यालय / पशु चिकित्सा संस्थान में उस वर्ष, प्रवेश की अंतिम तारीख इससे पहले की क्यों न हो। उक्त विश्वविद्यालय / पशु चिकित्सा संस्थान रिक्त स्थानों को 30 सितम्बर, तक भर सकते हैं जो प्रवेश की पूर्ण रूप से अंतिम तारीख होगी और इसके पश्चात् कोई प्रवेश नहीं दिया जाएगा।, , (10) यदि कोई उम्मीदवार, जिसमें भारतीय पशु चिकित्सा परिषद् द्वारा 15 प्रतिशत आरक्षण कोटे के अंतर्गत आने वाले, उम्मीदवार भी शामिल हैं, निम्नलिखित शारीरिक विकलांगताओं से ग्रस्त हैं, तो उन्हें पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री, कोर्स में प्रवेश नहीं दिया जाएगाः, , (क) समूची देह की निःशक्तता, जिसमें वक्ष / रीढ़ की 50 प्रतिशत से अधिक निःशक्तता शामिल हो;, (ख) पैरों में 50 प्रतिशत से अधिक निःशक््तता;, , (ग) हाथों में निःशक्तता;, , (घ) नेत्रहीन उम्मीदवार और वे उम्मीदवार जिनकी श्रवण शक्ति कमजोर है;, , (ड़) प्रगामी रोगों, जैसे पेशीविकृति, इत्यादि से ग्रस्त उम्मीदवार।, , (च) ऐसी विकलांगताएं जिनसे पशु चिकित्सक के ककत्तर्व्य के निर्वहन में बाधा आती हो।, , (11) विकलांगता को विधिवत् गठित और अधिकृत मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित कराना होगा, जिसमें कम-से-कम तीन, विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए और जिनमें से दो संबंधित विकलांगता विशेषज्ञ होने चाहिए; उम्मीदवार को स्वयं मेडिकल बोर्ड के, समक्ष प्रस्तुत होना होगा। विकलांग उम्मीदवार का मेडिकल बोर्ड से मिलने वाला अंतिम वैध विकलांगता प्रमाणपत्र, विकलांग, उम्मीदवार के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की तारीख से कम-से-कम तीन माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।, , (12) अंतिम प्रवेश के पश्चात्, प्रत्यक पशु चिकित्सा कॉलेज को पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक कार्यक्रम के प्रथम, व्यावसायिक वर्ष में प्रवेश पाने वाले छात्रों का विवरण प्रस्तुत करना होगा। इसी प्रकार, उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की सूची भारतीय, पशु चिकित्सा परिषद् के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी।, , भाग- 1५, पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम - पाठ्यक्रम की संरचना और गठन, 8. पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम:-(क) . पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम में निम्नलिखित घटक शामिल होंगे:, हु मूल पाठ्यक्रम तथा, क्र इंटर्नशिप (अंतःशिक्षुता), उद्यमशीलता प्रशिक्षण सहित।, , (ख) . पाठश्चर्या का उद्देश्य तर्कसंगत और वैज्ञानिक चिंतन की प्रवृत्ति बढ़ाने, स्पष्ट अभिव्यक्ति, स्वतंत्र निर्णय लेने, सूचनाओं, का संग्रहण करने और उन्हें परस्पर जोड़ने तथा स्वाध्याय की आदत विकसित करने पर उचित बल देना है।, , (ग). पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स की शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होगा।, , (घ) पशुधन फार्म कॉम्पलेक्स या क्लिनिकल प्रैक्टिस में प्रायोगिक प्रशिक्षण 5-10 छात्रों के छोटे समूहों में आयोजित किया, जाएगा ताकि प्रत्येक शिक्षक प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दे सके ताकि छात्रों की रोगियों की देखभाल संबंधी योग्यता, और क्षमता में सुधार हो सके | पाठ्यक्रम के प्रत्येक प्रायोगिक प्रशिक्षण समूह में 20 से अधिक छात्र नहीं होंगे।, , (ड़) छात्रों को सामूहिक चर्चाओं और सेमिनारों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करना होगा ताकि उनके, व्यक्तित्व, चरित्र अभिव्यक्ति और अन्य क्षमताओं का विकास हो सके जो एक स्नातक पशु चिकित्सक के लिए स्वतंत्र व्यवसाय, आरंभ करने पर अकेले काम करने अथवा समूह में काम करने के लिए अनिवार्य होंगे तथा इस कार्यकलाप के लिए छात्र की, समय-सारणी में एक उचित समयावधि निश्चित करनी होगी।, , 9. पशु चिकित्सा एवं पशु पालन स्नातक डिग्री कोर्स में पढ़ाए जाने वाले विषय: - पशु चिकित्सा एवं पशु पालन, स्नातक डिग्री कोर्स के निम्नलिखित शामिल होंगेः, क. पशु शरीर रचना विज्ञान, , ख. पशु शरीर क्रिया विज्ञान, है पशु जैव-रसायनिकी