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बाल विकास, । बाल मनोविज्ञान बालक का मनोवैज्ञानिक अध्ययन है ।, बालक के व्यवहार में अनेक पक्ष, अनेक विधाएं और अनेक भेद होते, हैं। उन सभी का अध्ययन बालू मनोविज्ञान के अंतर्गत किया जाता है।, बाल मनोविज्ञान बालकों की क्षमताओं का अध्ययन करता है। उसके, व्यवहार और प्रौढ़ों के व्यवहार में काफी अंतर है। उन सभी का, अध्ययन इसी के अंतर्गत किया जाता है।, 1., बालक की स्मृति का कितना विकास होता है? और वह जीवनकाल, की किन परिस्थितियों से क्या प्रेरणा ग्रहण करता है? आदि प्रश्नों का, उत्तर ढूँढना और उसके माध्यम से बालमन और बाल स्वभाव को, समझना बाल मनोविज्ञान का उद्देश्य होता है ।, । बाल मनोविज्ञान के अध्ययन से बालकों में विभिन्न कालों में होने वाले, परिवर्तनों का क्रमबद्ध व अच्छे तरीके से अध्ययन किया जाता है।, 1
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बाल मनोविज्ञान की परिभाषा, क्रो एंड क्रो के अनुसार बाल मनोवैज्ञानिक एक वैज्ञानिक अध्ययन है।, जिसमें बालक के जन्म पूर्व काल से लेकर किशोरावस्था तक का, अध्ययन किया जाता है।, थामसन के, करता है। यदि उसे उचित रूप में समझा जा सके तथा उचित समय, पर उचित उचित ढंग से विकास हो सुके तो हर बच्चा एक सफल, व्यक्ति बन सकता है।, अनुसार बाल मनोविज्ञान सभी को एक नई दिशा में संकेत, हरलॉक के, प्रौढ़ावस्था तक होने वाले बालक के विकास व विभिन्न कालों में होने, वाले परिवर्तनों पर ध्यान देते हुए अध्ययन करती है, बाल मनोविज्ञानं, कहलाती है।, अनुसार मनोविज्ञान की वह शाखा जो गर्भाधान से लेकर, 3, Dev Singh Educational Hub
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बाल विकास, । गर्भाधान से लेकर जन्म तक व्यक्ति में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते, हैं जिन्हें, भ्रूणावस्था का शारीरिक विकास माना जाता है। जैसे-गति,, भाषा, संवेग और सामाजिकता के लक्षण उसमें प्रकट होने लगते हैं।, विकास का यह क्रम वातावरण से प्रभावित होता है।, अध्यापक के लिए वातावरण और बालक एक-दूसरे के पर्याय बनकर, चुनौती प्रस्तुत, 1., करते हैं।, शैशवावस्था, शैशवावस्था जन्मोपरांत मानव विकास की प्रथम अवस्था है।, शैशवावस्था में नवजात शिशु का विकास होता है।, शैशवावस्था जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल माना जाता है। यह, वह अवस्था है जो बालक के संपूर्ण भावी जीवन को प्रभावित करती हैं।, बाल्यावस्था, बाल्यावस्था मानव के जन्मोपरांत विकास की दूसरी अवस्था है।, । विद्वानों ने बाल्यावस्था का समय 6-12 वर्ष तक माना है।, बाल्यावस्था विकास, का वह काल है जो शैशवीय विशेषताओं को, प्रकट करता है या प्रकट करने को तत्पर रहता है।, । बाल्यावस्था ही वह अवस्था है जिसमें बालक का सर्वांगीण विकास, अपने चरम पर होता है।, । इसी अवस्था में बालक शिक्षा के क्षेत्र में पदार्पण करता, 4
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सुखी पारिवारिक जीवन बनाने में सहायक, । बच्चे परिवार की शोभा होते हैं। यदि वे चरित्रवान, गुणवान होंगे तो, जीवन सफल व सुखमय होगी।, ত व्यक्तिगत भिन्नता का ज्ञान, । विश्व के सभी प्राणी किसी न किसी प्रकार भिन्न हैं । बाल मनोविज्ञान, के अध्यन से व्यक्तिगत भिन्नता का पता लगाया जा सकता है।, कक्षा में शिक्षण व अधिगम का वातावरण, बाल मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक यह जान पाने में समर्थ होता है।, कि कक्षा में कब क्या पढ़ाया जाए।, अनुशासन स्थापना में सहायक, कक्षा के सभी छात्रों को उनके व्यवहार व रूचियों को समझकर, अनुशासित किया जा सकता है, न कि दंड देकर।, ত विशिष्ट बालकों के शिक्षण में सहायक, कक्षा में सभी बालक एक स्तर के नहीं होते हैं। इनमें कुछ शारीरिक व, मानसिक रूप से, बुद्धि-लब्धि की दृष्टि से कम या ज्यादा होते हैं।, कभी-कभी तो इतना अंतर हो जाता है कि सभी को एक साथ एक, कक्षा में बैठकर शिक्षण करना संभव नहीं होता। ऐसे में बाल, मनोविज्ञान महती भूमिका निभाता है ।, बाल मनोविज्ञान का ज्ञाता, 1., । बाल मनोविज्ञान का ज्ञाता शिक्षक ही एक सफल शिक्षक बन सकता, है क्योंकि शिक्षण के दौरान अनेक अवसर आते हैं, जब भौतिक, अवस्था असफल हो जाती है। मनोविज्ञान ही एक ऐसा विषय, अध्ययन है जो शिक्षक को नियंत्रण करने की क्षमता प्रदान करता है।