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४४४०४ 5 0५56 71176 (ऑफसेट प्रिंटिंग क्या हैं ?), , ऑफसेट प्रिंटिंग एक ऐसी प्रिंटिंग हैं जो साधारणत: छोटे एंव मध्यम कार्यों में प्रयोग की जाती हैं, जैसे, 1५९४४५०३70श2, 8001७, |४३७०३210, 01|| 900९, 0011 इत्यादि। इस प्रिंटिंग की गति तेज होती, हैं इससे एक साथ 1000 से 10,000 प्रतियां छापी जाती हैं। यह तेज एवं सस्ती प्रिन्टिंग प्रणाली हैं।, लेकिन इसकी प्रिन्टींग गुणवत्ता बहुत अच्छी नही होती हैं, तथा कलात्मक काम इसमें प्रिन्ट नही किये, जा सकते हैं। लेकिन सामान्य प्रिन्टिंग कामों के लिए यह पद्धति बहुत प्रयोग होती हैं।, , इस प्रकार की प्रिन्टिंग तकनीक में इमेज प्रिन्टिंग प्लेट से रबर की शीट पर स्थनांतरित की जाती हैं,, उस रबर शीट से कागज पर इमेज स्थनांतरित की जाती हैं। इस प्रकार की तकनीक में 01 और, ४४३४९ का प्रयोग करते हुए श्याही से कागज पर इमेज प्रिन्ट की जाती हैं। इसमें रबर की शीट में जो, हिस्सा प्रिन्ट नही होना हैं, उसमें पानी का बेस बनता हैं, तथा जिन हिस्से को प्रिन्ट होना हैं उसमें स्याही, (जिसमें आईल होता) का बेस बनता हैं। इस प्रकार की प्रिन्टिंग 1900 शताब्दी के शुरूवात से चालू, , हुई थी।, , बाकी मुद्रण पद्धतियों से यह प्रभावी, सस्ती, एव तेज तकनीक हैं। इसमें बडे आकार की प्रिन्टींग कम, समय में की जा सकती हैं। इस प्रकार की पद्धति में प्रयोग होने वाली मशीनों का रखरखाव भी लगता, हैं। बाकी प्रिन्टिंग मशीनों से ऑफसेट मशीनों पर कार्य करना आसान हैं। इसका प्रयोग अधिकतर, कागज पर प्रिन्टिंग के लिए होता हैं।, , इस प्रकार के प्रिन्टिंग को लिथोग्राफी भी कहा जाता हैं। इस प्रकार के प्रिन्टर में एक प्लेट प्रयोग की, जाती हैं। यह प्लेट ?४८ या एल्युमीनियम की होती हैं। इसके अतिरिक्त अनके प्रकार की प्लेट होती, हैं, लेकिन साधारणत: एल्युमीनियम की प्लेट प्रयोग की जाती हैं। यह वजन में हल्की एवं मजबूत होती, हैं। एल्युमीनियम की प्लेट पर पानी एवं ऑइल का काई असर नही होता हैं। इस प्लेट पर प्रक्रिया कर, उस पर जो डाटा प्रिन्ट करना हैं, वह उतारा जाता हैं।
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6. बेस रोल में पानी डाला जाता हैं। इस प्रकार की प्रिन्टिग मे पानी की बहुत अहम भूमिका होती, हैं। इस प्रकार की प्रिन्टिंग में जिस हिस्से में प्रिन्टिंग होना हैं, वहाँ पर स्याही आती हैं, तथा, जिस हिस्से में प्रिन्ट नही होना हैं, उस पर पानी की परत आती हैं। इस तरह से सिर्फ प्लेट पर, छपा मैटर ही प्रिन्ट होती हैं। इससे स्याही प्लेट पर लगती हैं। प्लेट के दूसरे हिस्से में पानी का, रोल भी जुड़ा होता हैं। स्याही और पानी दोनो प्लेट पर एक साथ लगती जाती हैं।, , 7. अब मशीन को चालू कर दिया जाता हैं। कुछ देर बाद स्याही या प्लेट सिलेंडर पर आती हैं।, , 8. प्लेट सिंलेडर यह रबर के सिलेंडर (जिसे ब्लांन्केट कहा जाता हैं।) से घसते हुए घुमता हैं।, इससे प्लेट पर लगी हुई स्याही रबर के सिलेंडर पर आती हैं।, , 9. रबर के सिलेंडर से और एक सिलेंडर लगा होता हैं। उन दोनों के बीच में से पेपर जाता हैं। जो, इमेज रबर के सिलेंडर पर आती वह पेपर पर प्रिन्ट होती हैं।, , 10. प्लेट के जिस हिस्से में इमेज या टेक्स्ट हैं, उस पर स्याही की परत लग जाती हैं। बाकी हिस्से, में पानी की परत आ जाती हैं।, , 11. प्लेट पर जिस हिस्से में स्याही लगी हैं, उसकी मिरर इमेज दूसरे सिलेंडर पर आती हैं। इस, सिलेंडर पर रबर की परत चढ़ी होती हैं।, , 12. अंत में रबर की परत वाले सिलेंडर से पेपर पर इमेज प्रिन्ट होती हैं।, , इस प्रकार प्रिन्टिंग सिर्फ एक समान के पेपर पर ही की जा सकती हैं। यदि बहुरंगी प्रिन्टिंग करना हैं,, तब उसे एक से अधिक बार प्रिन्ट किया जाता हैं। नीले, लाल, पीले एवं काले रंग से लगभग सभी रंग, प्रिन्ट किये जाते हैं। कुछ बड़ी मशीनों में यह चारों रंग एक साथ प्रिन्ट होते हैं।, , /(५४३7४३५८५ ० ०५56६ 91107 (ऑफसेट प्रिन्टिंग प्रणाली के, लाभ), , 1. इसमें डाटा साफ एवं स्पष्ट प्रिंट होता हैं। इसमें टेक्स्ट के साथ ग्राफिक की भी प्रिन्टिग की जा, सकती हैं।, 2. इसकी गति बहुत अधिक होती हैं। यह सामान्यतः: 1000 पेज प्रति घंटे से 10,000 पेज प्रति, घंटे तक प्रिंट कर सकता हैं |
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3. किसी पेज का मास्टर बनने के बाद, बहुत कम समय में मशीन पर प्रिन्टिंग चालू कर सकते, हैं।, 4. इसमे प्लेट बनाने के बाद उस प्लेट से एक बार से कितनी भी प्रिन्टिंग की जा सकती है।, 5. इस प्रकार की मशीनों मे स्याही की खपत एवं अपव्यव बहुत कम होता हैं, इसलिए यह एक, सस्ती प्रणाली हैं।, 6. इस प्रणाली से की गई प्रिन्टिंग करने के बाद कोई और प्रक्रिया नही करनी पड़ती हैं।, 7. बड़े आकार की प्रिन्टिंग भी की जा सकती हैं।, 8. इस प्रकार की प्रिन्टिंग में बहुत अधिक कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता नही होती हैं।, 9. अधिक मात्रा की प्रिन्टिंग के लिए यह सबसे सस्ती प्रणाली हैं।, 10. बहुरंगी प्रिन्टिंग की जा सकती हैं।, 11. प्रिन्टिंग के समय बहुत शोर नही होता हैं, जैसे की | ९(९॥|०125५5५ 11011 में होता हैं।, , एछांड्व6५गा१5९५ एा एज5९ "1076 (ऑफसेट प्रिन्टिंग, प्रणाली की कमीयाँ), , 1. ऑफसेट मशीन की लागत अधिक होती हैं|, , 2. इसमें इलेक्ट्रिक पावर की आवश्यकता अधिक होती हैं।, , 3. इस प्रिंटिंग के लिए अर्धकुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती हैं।, 4. एक बार बनाई प्लेट को बार बार प्रयोग नही किया जा सकता हैं।, , 5, कम मात्रा की प्रिन्टिंग के लिए महंगी प्रणाली हैं।, , 6. फोटो क्वालिटी प्रिन्टिंग अच्छी नही होती हैं।, , वर्तमान में इस प्रकार की प्रिन्टिंग लगभग सभी छपाई के काम के लिए प्रयोग हो रही हैं। किताब,, समाचार पत्र, बहुरंग पोस्टर आदि का उत्पादन इस प्रकार की प्रिन्टिंग प्रणाली से किया जाता हैं।