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तन्त्रिक वामाचार कौ धार्मिक पद्धति का प्रचार होने लगा था। शैवों तथा शाकतों में, भी धार्मिक आउम्बरों ने स्थान ले लिया था। वैदिक धर्म का तो पहले ही हास, हो चुका था क्योंकि उसे तो बौद्ध धर्म ने ही समाप्तप्राय कर दिया था। लोकव्यवहार में शिव तथा नारायण की पूजा होती थी। भारत के पश्चिमी भाग में बौद्ध, धर्म से ही विकसित शुद्धाचरण को लेकर चलने वाले नाथ पंथ का तथा इस्लाम, धर्म के अवलम्बियों अर्थात् सूफियों का भी प्रभाव जनता पर धामिंक दबाव डाल, रहा था। अतः धार्मिक दृष्टि से भी आदिकालीन साहित्य को -शोचनीय कहा जाता, है।, सामाजिक परिस्थितियां-जब किसी देश की राजनीतिक तथा धार्मिक दशा, दीन-हीन, छिन्न-भिन्न तथा नष्ट-भ्रष्ट हो तो उस युग की सामाजिक दशा भी, अत्यन्त शोचनीय ही होती है। इसीलिए तत्कालीन भारतीय समाज में अनेक, कुरौतियां, कुप्रथाएं तथा रुढ़ियां व्याप्त थीं। अत: जब हिन्दी साहित्य के आदि काल, का उदय हुआ तो जाति-प्रथा, छूआछूत, ऊंच-नीच, बाल-विवाह, सती-प्रथा,, स्यंवर-प्रथा तथा बहु-पत्नीवाद जैसी अनेक कुरीतियां आ चुकों थीं। समाज में, शिक्षा का अभाव था। स्त्रियों को दंशा दीन-हीन तथा दयनीय थी। नारी को केवल, भोग-विलास की सामग्री समझा जाता था। साधारण लोगों में हीनता के भाव आ, चुके थे और उनमें मनोबल की कमी आ गई थी। अत: सामाजिक परिस्थितियों, | ने भी आदिकालीन साहित्य को प्रभावित किया।, आर्थिक परिस्थितियां-लोगों की आर्थिक दशा से भी साहित्य सर्जन, निश्चित रूप से प्रभावित होता है। यद्यपि आर्थिक परिस्थितियों का सीधा सम्बन्ध, ग़जनीतिक तथा सामाजिक परिस्थितियों से होता है परन्तु आर्थिक परिस्थितियों का, अपना निजी प्रभाव भी साहित्य पर पड़ता है। आदि काल की आर्थिक परिस्थितियों, को देखने से पता चलता है कि आदिकालीनर भारतीय समाज में बहुत बड़ी आर्थिक, विषमता थी। एक ओर तो मनमाने कर वसूल करने वाले राजाओं तथा उनके, आमन्तों के पास आपार धन-सम्पदा थी, जिसका दुरुपयोग राजाओं को विलास-सामग्री, के लिए होता था। साधारण लोगों की आर्थिक दशा बहुत ही खराब थी क्योंकि, उनसे मनमाने टैक्स वसूल करने तथा आय के सीमित साधन होने के कारण आम, आदमी को तो अपनी रोजी-रोटी की ही चिन्ता लगी रहती थी। उसका ध्यान, जैसी कलाओं की ओर जाता ही नहीं था| भारत की आर्थिक दशा तो, कृषि-प्रधान ही थी तथा कृषि पूर्ण रूप से प्राकृतिक सिंचाई पर निर्भर थी। साधारण, लोग अपने हाथ की दस्तकारी से भी कुछ धन अर्जित करते थे। इस प्रकार एक, ओर धनो वर्ग था तथा दूसरी ओर निर्धन वर्ग। अभी तक मध्यम वर्ग का उदय नहीं, हैआ था। अत; आर्थिक विषमता की इस स्थिति में केवल राजाओं सम्बन्धी साहित्य, , अधिकांश रूप में रचा गया। साधारण लोगों के जीवन से सम्बन्धित साहित्य, 'हत हो कम रचा गया।