Page 2 :
67, बल तथा गति के नियम, बल तथा गति के नियम, (Forces and Laws of Motion), बल-यह किसी भी कार्य को करने में मदद करता है।, किसी भी कार्य को करने के लिए, या तो हमें वस्तु खींचनी पड़ती है या धकेलनी पड़ती है । इसी, खींचने और धकेलने को, बल कहा जाता है।, उदाहरण-दरवाजे को खोलने के लिए या तो दरवाजा खींचा जाता है या धकेला जाता है।, अलमारी की किसी भी दराज़ को खोलने के लिए खींचना पड़ता है और बन्द करने के लिए, धकेलना पड़ता है।, बल का प्रभाव-, 1. बल किसी स्थिर वस्तु को गतिशील बनाता है, उदाहरण-एक फुटबाल को पैर से धक्का, मारने पर वह गतिशील हो जाती है ।, 2. बल किसी गतिशील वस्तु को स्थिर कर देता है; जैसे-गाड़ियों में ब्रेक लगाने से गाड़ी रूक, जाती है।, 3. बल किसी भी गतिशील वस्तु की दिशा बदल देता है; जैसे-साइकिल के हैडल पर बल लगाने, से उसकी दिशा बदल जाती है । इसी प्रकार कार का स्टिरिंग (Steering) घुमाने से दिशा, बदल जाती है।, बल किसी गतिशील वस्तु के वेग ने परिवर्तन कर देता है। त्वरित करने से किसी वाहन के, वेग का बढ़ाया जा सकता है और ब्रेक लगाने से इसके वेग को कम किया जा सकता है।, 5. बल किसी वस्तु की आकृति और आकार में परिवर्तन कर देता है; जैसे-हथौड़ा मारने से, किसी भी पत्थर के कई टुकड़े हो जाते हैं ।, 4., बल दो प्रकार के होते हैं-, 1. सन्तुलित बल, 1. सन्तुलित बल-बल संतुलित कहे जाते हैं जब वे एक- दूसरे को निष्प्रभावी करते हैं और उनका, परिणामी (नेट) बल शून्य (Zero) होता है।, उदाहरण-रस्साकशी के खेल में जब दोनों टीम रस्से को बराबर बल से खींचती हैं। तब, परिणामी बल शून्य होगा और दोनों टीमें अपने स्थान पर स्थिर बने रहते हैं । इस दशा में दोनों टीमों, द्वारा रस्से पर लगाया गया बल सन्तुलित बल है।, 2. असन्तुलित बल।, सन्तुलित बल किसी भी वस्तु की अवस्था में परिवर्तन नहीं लाता है क्योंकि यह बल समान, परिमाण का होता है परन्तु विपरीत दिशाओं में होता है।, सन्तुलित बल किसी भी वस्तु की आकृति और आकार में परिवर्तन कर देता है। उदाहरण-फूले, हुए गुब्बारे पर अगर दोनों दिशाओं से बल लगे तो गुब्बारे की आकृति एवं आकार दोनों में, परिवर्तन हो जाएगा।
Page 3 :
विज्ञान कक्षा- 9 ( S.A. - ), 68, 2. असन्तुलित बल-जब किसी वस्तु पर लगे अनेक बलों का परिणामी बल शून्य नहीं होता है,, तो उस बल को असन्तुलित बल कहा जाता है।, असन्तुलित बल निम्नलिखित प्रभाव दिखा सकता है -, किसी भी स्थिर वस्तु को गतिशील कर देता है ।, किसी भी गतिशील वस्तु के वेग को बढ़ा देता है।, किसी भी गतिशील वस्तु के वेग को कम कर सकता है।, किसी भी गतिशील वस्तु को स्थिर बना देता है।, किसी भी वस्तु के आकृति एवं आकार में परिवर्तन कर देता है।, गति के नियम, गैलीलियों ने अपने प्रयोगों के प्रेक्षण से निष्कर्ष निकाला कि कोई गतिशील वस्तु तब तक स्थिर, या नियत वेग से गति करती रहेगी जब तक कोई बाह्य असन्तुलित बल इस पर कार्य नहीं करता ।, अर्थात् कोई भी असन्तुलित बल वस्तु पर नहीं लग रहा है। प्रायोगिक रूप से यह असम्भव है किसी, भी वस्तु पर शून्य असन्तुलित बल हो।, क्योंकि घर्षण बल, वायु दाब और अन्य कई तरह के बल वस्तु पर लगते हैं ।, न्यूटन के गति के नियम, न्यूटन ने गैलीलियों के सिद्धान्तों का अध्ययन किया और वस्तुओं की गति का विस्तृत अध्ययन, किया और गति के तीन मूल नियम प्रस्तुत किए।, न्यूटन की गति को प्रथम नियम-न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार, कोई, विराम अवस्था या एक समान रैखिक गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है जब तक उस पर, वस्तु, अपनी, कोई बाह्य असन्तुलित बल कार्य न करें।, व्याख्यान-अगर कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह वस्तु तब तक विराम अवस्था में रहेगी, जब तक कि कोई बाह्य बल उसको गति प्रदान नहीं कर देता । इसी प्रकार अगर कोई वस्तु गतिशील, है तो वह तब तक गतिशील रहेगी जब तक के कोई बाह्य बल उसको रोक नहीं देता। इसका मतलब, है सभी वस्तुएँ अपनी विद्यमान अवस्था में किसी परिवर्तन का विरोध करती हैं। किसी भी अवस्था में, परिवर्तन सिर्फ बाह्य बल से ही हो सकता है।, दैनिक जीवन में न्यूटन की गति का नियम, (a) एक व्यक्ति अगर बस में खड़ा है और अचानक बस चलने लगे तो वह व्यक्ति पीछे की तरफ, गिरेगा क्योंकि बस और वह व्यक्ति दोनों ही विराम अवस्था में है, बस के चलने से व्यक्ति के पैर तो, गति में आ गए परन्तु शरीर का अतिरिक्त भाग विराम अवस्था में ही रहता है। इसी कारण व्यक्ति, पीछे की तरफ गिर जाता है।, (b) अगर कोई व्यक्ति चलती बस में खड़ा है और अचानक बस रूक जाए तो वह व्यक्ति आगे, की तरफ गिरेगा। जब बस चल रही होती है तो व्यक्ति भी गति में होता है । परन्तु अचानक ब्रेक
Page 4 :
69, बल तथा गति के नियम, लगाने से, बस की गति कम हो जाती है या रूक जाती है, इससे व्यक्ति के पैर भी विराम अवस्था में, जा जाते हैं। परन्तु उसका शरीर गति में ही रहता । जिसके कारण व्यक्ति आगे की तरफ गिरता है ।, (c) गीले कपड़ों को तार पर सूखाने से पहले कपड़े को कई बार झटकने से पानी की बूँदें नीचे, गिर जाती हैं और कपड़े जल्दी सूख जाते हैं। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि कपड़े को झटकने से, कपड़ा गति में आ जाता है और पानी की बूंदें विराम अवस्था में ही रहती हैं और इसी बजह से कपड़ों, से अलग हो जाती हैं और जमींन पर गिर जाती है ।, (d) एक स्ट्राइकर को अपनी अँगुलियों से तीक्रता से क्षैतिज झटका देकर, ढेरी (कैरम की गोटियाँ), की सबसे नीचे वाली गोटी पर टकराने से नीचे वाली गोटी ही शीघ्रता से ढेरी से बाहर आ जाती, है। नीचे वाली गोटी के बाहर आ जाने के बाद शेष गोटियाँ अपने जड़त्व के कारण लम्बवत् दिशा, में नीचे की ओर गिर जाती हैं।, (e) कारों में सीट बैल्ट, यात्रियों को अचानक ब्रेक लगने से लगने वाले झटके की बजह से गिरने, से बचाती है।, द्रव्यमान तथा जड़त्व, जड़त्व-जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी विराम अवस्था अथवा एक, समान गति की अवस्था में परिवर्तन का प्रतिरोध करता है। वास्तव में द्रव्यमान ,, किसी, वस्तु, के जड़त्व, का माप है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान अधिक है तो उसका जड़त्व भी अधिक होता है अर्थात्, हल्की वस्तुओं की अपेक्षा भारी वस्तुओं में अधिक जड़त्व होता है।, दूसरे शब्दों में किसी भी वस्तु की प्राकृतिक प्रवृत्ति जिससे वह तब तक अपनी विराम अवस्था, या एक समान रैखिक गति की अवस्था में रहती है जब तक कि वस्तु पर कोई बाह्य असन्तुलित बल, कार्य न करें जड़त्व कहलाती है । एक भारी वस्तु का द्रव्यमान अधिक होता है इसलिए जड़त्व भी, अधिक होता है यही कारण है कि भारी बक्से को खींचना और हिलाना होता है ।, संवेग (Momentum), किसी वस्तु में समाहित गति की कुल मात्रा को संवेग कहते हैं।, गणितीय रूप में किसी वस्तु का संवेग इसके द्रव्यमान और वेग का गुणनफल है। संवेग का, प्रतीक P है।, संवेग (P) = द्रव्यमान (m) x वेग ( v), m = वस्तु का द्रव्यमान, v = वस्तु का वेग, उदाहरण-किसी भी पत्थर, कंकड़ या किसी भी अन्य वस्तु को फेंककर मारने से, व्यक्ति घायल, हो जाता है क्योंकि वस्तु का संवेग ज्यादा होता है।, एक छोटी सी बन्दूक की गोली किसी व्यक्ति की जान भी ले सकती है क्योंकि बन्दूक की गोली, का संवेग ज्यादा होता है।, चलती हुई गाड़ी से टकराने से एक व्यक्ति को ज्यादा चोट लग सकती है क्योंकि उस गाड़ी, का संवेग ज्यादा होता है।