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1 पत्र-लेखनम्, , आवश्यक निर्देश-कक्षा 1४ की परीक्षा में संस्कृत के प्रश्न-पत्र में संस्कृत भाषा में सरल प्रार्थना-पत्र लिखने को कहा, जाता है। यहाँ संस्कृत में कुछ प्रार्थना-पत्र दिये जा रहे हैं। ढ, , लेखन-विधि- जिन्हें हिन्दी में पत्र-लिखने का अभ्यास है, उन्हें संस्कृत में पत्र लिखने में विशेष असुविधा नहीं होगी।, पत्र लिखते समय निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दें, (1) पत्र में सरल भाषा और छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।, , (2) जिस उद्देश्य से आप पत्र लिख रहे हैं, उसका स्पष्ट उल्लेख करें।, , (3) आवेदन-पत्र में बायीं ओर सम्मानसूचक शब्दों के साथ अधिकारी (प्रधानाचार्य आदि) का पद-नाम लिखें। इसमें, सम्बोधन कारक का प्रयोग करना चाहिए। सम्मान व्यक्त करने के लिए. आप बहुबंचन का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके, नीचे अधिकारी के कार्यालय (विद्यालय आदि) का पता लिखें।, , (4) अगली पंक्ति में पुनः महोदया:/श्रीमन्त:/श्रीमत्य;। आदि लिखकर अधिकारी को सम्बोधित करें। उसकी अगली, पंक्ति में अपना निवेदन लिखना प्रारम्भ करें। । /, , (5) अन्त में बायीं ओर आवेदन का दिनांक लिखें। दाहिनी ओर अपना नाम व पता निम्नवत् लिखें, प्रधानाचार्य को छात्र द्वारा- हे भवत:/भवताम् आज्ञानुवर्ती, , (नाम), , प्रधानाचार्या को छात्रा द्वारा(नाम), , लत 7725 (कक्षास्था), भवदीय: (पुरुष द्वारा), (नाम), पता, भवदीया (स्त्री द्वारा), (नाम ), (पता), नाम 'त:' लगाकर, , अधिकारी को, (6) निमन्त्रण आदि से सम्बन्धित व्यावहारिक पत्रों में पहले ऊपर दाहिनी ओर प्रेषण-स्थान का, (जयपुरत:, भरतपुरतः आदि) लिखें।, , (7) आजकल निमन्त्रण-पत्र प्रायः छपवाये जाते हैं, जिनमें प्राप्तकर्ता का नाम-पता बाद में आप लिखें।, , (8) पत्र की समाप्ति के बाद बायीं ओर दिनांक तथा दाहिनी ओर 'भवताम् अनुचर:', 'निवेदक:', 'विनीत:' आदि, लिखकर नाम लिखें। उसके नीचे बायीं ओर प्राप्तकर्ता का नाम तथा पता लिखें। ।, , (9) जहाँ संख्या की आवश्यकता हो वहाँ शब्दों (एक:, द्वौ आदि) की अपेक्षा अंकों (1, 2 आदि) का प्रयोग करें।, हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले अंक मूलतः संस्कृत के ही हैं, अत: इनका प्रयोग निःसंकोच कर सकते हैं। उदाहरणार्थ-आपको, लिखना है-'दो दिन का अवकाश ।' इसे संस्कृत में अनेक प्रकार से लिख सकते हैं; जैसे, (क) दिनद्वयावधिक: अवकाश: (ग) दिनद्वयात्मक: अवकाश:, , (खं) 2 दिनावधि; अवकाश; ... (घ) 2 दिनात्मक; अवकाश: :, (10) साधारण-पत्रों में हिन्दी में प्रचलित विधि का ही अनुकरण करें। प्रारम्भ में दाहिने कोने पर अपने स्थान (ग्राम,, , नगर आदि) का नाम तथा उसके नीचे दिनांक लिखें। उचित सम्बोधन तथा अभिवादन के साथ पत्र प्रारम्भ करें। अन्त में पत्र, को समाप्त करते हुए, पुनः दाहिने कोने पर अपना नाम तथा पूष पता लिख दें।. '