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मेघ आए, भावार्थ , मेघ आए कविता मे बादलों की तुलना शहरी अतिथि(मेहमान) से कर रहा है। जिस प्रकार अतिथि सजधज कर आते हैं। उसी प्रकार बादल भी अलग-अल्रग रंग-रूप मे सज-धज कर आते दिखाई दे रहे हैं।जिस, प्रकार अतिथियों के आने से खुश दिखाई देते हैं, उसी प्रकार बादलों के आने पर खुश दिखाई दे रहे हैं।हवा, के आने से घरों के खिड़कियाँ-दरवाजे खुल जाते है वर्षा ऋतु में काले-काले बादल घिर आज हैं।लोगों ने, वर्षा की प्रतीक्षा में मे घर के दरवाजे और खिड़कियाँ खोल दिए हैं तथा बदलों के बरसने का इंतजार करने, लगे हैंबदल आ गए, जानकर पेड़ कभी झुककर, कभी ऊपर की तरफ उचक कर देखने का प्रयास करते हैं।, धीरे-धीरे मंद हवा आँधी का रूप धारण कर लेती है। गाँव की स्त्रियाँ अपना घाघरा सँभाले घर की ओर, भागी जा रही है। नदी तिरछी नजरों से देखती हुई ठिठक जाती है जैसे गाँव की स्त्री तिरछी नजर से, मेहमान को देखती है।जिससे उनका घूँघट सूरक जाता है।, , , , , , , , तेज हवा और बादलों के आने पर मनुष्य ही नहीं पेड़-पौधे भी उनका झूम-झूम कर स्वागत करते हैं।, हवा और बारिश के वेग से पीपल का बूढा पेड़ भी झूमता प्रतीत होता है।ऐसा लगता है मानो वह झुककर, तथा नमस्कार करते हुए मेह मेहमान रूपी बादलों का स्वागत करते हैं।नायिका रूपी लता बादल रूपी, मेहमान का शरमाते-त्रजाते हुए दरवाजे के पीछे से छिपकर कह रही है कि आपने हमें एक साल बाद याद, किया है।, , , , , , , , कवि ने बादल और बिजली के बीच मे एक अटूट रिश्ता बताया है। आकाश मे बादल छा जाने पर, अंधकार हो जाता है तथा बिजली के चमकने से तन-मन खुशी से भर उठता है।साथ ही भ्रम की गाँठे भी, खुल जाती है कि अब मेघ रूपी प्रियतम नही आएँगें।, , उनकी बात सुनकर बादलों के सब्र का बाँध टूट गया और वर्षा रूपी आँसू बूँदों के रूप मे निकल पड़े।