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_ 00) संवेदना-पत्र_, अपने मित्र, संबंधी या पर की किसी हानि पर दुख प्रकट करने के लिए संबेदना-पत्र लिखे जाते हैं। इन पत्रों के, अंतर्गत पहले ही वाक्य में दुख की अनुभूति प्रकट करनी चाहिए।, , अपने मित्र को उसके पिता की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए संवेदना-पत्र लिखिए।, , परीक्षा भवन, नोएडा, दिनांक- 10 अप्रैल, 2000९, प्रिय दोस्त मनु, नमस्ते ", , अभी-अभी किसी मित्र के द्वारा तुम्हारे पिता जी के निधन का दुख भरा समाचार मिला। यह समाचार सुनकर तो, मुझे मेरे कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ। यह दुखद समाचार सुनकर मेरे पूरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। भाग्य, की विडंबना देखो कि मैं ऐसे समय में उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाया। वे मुझसे हमेशा पिता की तरह व्यवहार, करते थे तथा दुख के समय मुझे उत्साहित भी करते थे। वे अत्यंत धार्मिक एवं दया की प्रतिमूर्ति थे। गरीबों की, सहायता करना एवं उनके दुख में शामिल होना उनकी विशेषता थी। ईश्वर को भी सच्चे लोगों की आवश्यकता रहती, है इसलिए उन्हें अपने पास बुला लिया।, , मित्र, उनका निधन तुम्हारे परिवार के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति संभव नहीं है। लेकिन क्या कर सकते, हैं! जन्म और मृत्यु तो जीवन का क्रम है। इसे कौन बदल सकता है? परिवार में बड़ा होने के नाते तुम्हारा फ़र्ज़ है कि, परिवार को हिम्मत दिलाते हुए उसकी बागडोर अपने हाथ में सँभालो। किसी भी चीज़ की आवश्यकता हो तो, निःसंकोच मुझसे कहना। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारे पिता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे तथा परिवार, को दुख सहन करने की शक्ति दे।, ुप्हारा मित्र, के, ख. ग,