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वाक्य के प्रकार, (1) रचना के आधार पर वाक्य के प्रकार, रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं-, (1) साधारण वाक्य, (2) मिश्रित वाक्य, एवं (3) संयुक्त वाक्य ।, (1) साधारण वाक्य-एक ही भाव को प्रकट करने वाले वाक्य साधारण वाक्य के, जाते हैं। इनमें एक ही कर्ता और एक ही क्रिया होती है; जैसे-मोहन खाना खा रहा है।, (2) मिश्रित वाक्य-मिश्रित वाक्य में एक से अधिक उपवाक्यों का मिश्रण होता है।, इसमें एक प्रधान उपवाक्य होता है और शेष वाक्य आश्रित होते हैं; जैसे-जिसे आवश्यकत, हो वह खाना माँग ले।
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वचन तथा पुरुष कर्म के अनुसार हों, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे-, भाषा-बोध, (3) संयुक्त वाक्य-संयुक्त वाक्य में एक से अधिक प्रधान उपवाक्य होते हैं। उनमें, एक या अधिक आश्रित उपवाक्य अथवा आश्रितों के भी आश्रित उपवाक्य होते हैं। ये वाक्य, (2) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद, वाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-राम आज पढ़ने नहीं आयेगा ।, 331, संयोजक शब्दों के द्वारा जोड़े जाते हैं. जैसे-रम सत्य बोलता है पर रमेश झूठा है और चारा, करता है।, अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं ।, (1) विधानवाचक वाक्य-साधारणत: जिस वाक्य में किसी बात का उल्लेख किया, রा है, उसे विधानार्थक वाक्य कहते हैं%;B जैसे-श्याम नित्यप्रति घूमने जाता है।, (2) निषेधवाचक वाक्य-जिन वाक्यों में ना या निषेध का भाव होता है, वे निषेध-, (3) प्रश्नवाचक वाक्य-जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाता है, वे प्रश्नवाचक वाक्य, कहलाते हैं; जैसे-क्या आप मेला देखने जायेंगे ?, (4) आज्ञावाचक वाक्य-जिन वाक्यों में आज्ञा देने का भाव पाया जाता है, वे आज्ञा-, वाचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-तुम विद्यालय जाओ ।, (5) उपदेशात्मक वाक्य-जिन वाक्यों में उपदेश या परामर्श देना पाया जाता है, वे, उपदेशात्मक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए।, (6) इच्छासूचक वाक्य-इच्छा, आशीष या निवेदन प्रकट करने वाले वाक्य इच्छा-, सूचक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-ईश्वर करे, तुम्हारी नौकरी लग जाये ।, (7) विस्मयादिबोधक वाक्य-जिन वाक्यों से हर्ष, शोक, दर्द, भय, क्रोध,, आदि प्रकट हों वे विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं; जैसे-आह ! कितना भयानक दृश्य है ।, (৪) सन्देहसूचक वाक्य-सन्देह या सम्भावना प्रकट करने वाले वाक्य सन्देहसूचक, वाक्य कहलाते हैं; जैसे-सम्भवत: वह लौट नहीं पायेगा ।, घृणा, (3) वाच्य के आधार पर वाक्य के प्रकार, वाच्य-क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि वाक्य में क्रिया का मुख्य सम्बन्ध, कर्ता, कर्म या भाव से है, वह वाच्य कहलाता है। वाच्य के तीन प्रकार होते हैं-(1) कर्तृवाच्य, (2) कर्मवाच्य, (3) भाववाच्य।, (1) कर्तृवाच्य-जिस वाक्य में कर्ता मुख्य हो और क्रिया कर्ता के लिंग, वचन तथा, पुरुष के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं । जैसे-, 1. लड़का पढ़ता है।, 3. पत्र लिखा गया।, 2. लड़कियाँ बाजार जा रही हैं।, 4. कुसुम खाना खाकर चली गई।, (2) कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म मुख्य हो और इसकी सकर्मक क्रिया के लिग., 1. मोहन द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।, 3. रेखा ने रोटी खायी।, 2. मुझसे रोटी खाई नहीं जाती।, 4. माँ के द्वारा पत्र लिखा जा रहा है।