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(9७४ 9 क्षितिज - ०0७७/७ 6: हरिशंकर परसाई हिंदी, , , , 4. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व, की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?, , उत्तर:- प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ , 1. प्रेमचंद बहुत ही सीधा-सादा जीवन जीते थे वे गांधी जी की तरह सादा जीवन जीते थे।, , 2. प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे।, , 3. प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे।, , 4. प्रेमचंद को समझौता करना मंजूर न था।, , 5. वे हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला करते थे।, , , , 2. सही कथन के सामने (४) का निशान लगाइए , क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर, निकल आई है।, , ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।, , ग) हा यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।, , घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो ?, , उत्तर:- ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। (४), , , , 3 नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए , 3. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर, पचीसों टोपियाँ न््योछावर होती हैं।, , उत्तर:- व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे, तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं। परन्तु आज लोग अपने सामर्थ्य के बल अनेक टोपियाँ, (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं।, , 2. तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।, , उत्तर:- प्रेमचंद ने कभी पर्दे को अर्थात लुकाव-छिपाव को महत्व नहीं दिया। उन्होंने वास्तविकता को, , कभी ढँकने का प्रयत्न नहीं किया है।लोग अपनी बुराइयों को कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया। वे, भीतर-बाहर एक समान थे।, , 3. जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो ?, उत्तर:- प्रेमचंद ने सामाजिक बुराइयों को अपनाना तो दूर उनकी तरफ देखा भी नहीं। प्रेमचंद गलत वस्ट्, या व्यक्ति को हाथ से नहीं पैर से ही सम्बोधित करना उचित समझते है।, , , , 4. पाठ में एक जगह लेखक सोचता है कि "फोटो खिंचाने कि अगर यह पोशाक है तो पहनने की, कैसी होगी ?' लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि"नहीं, इस आदमी की अलग-अलग, पोशाकें नहीं होंगी,।' आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की, क्या वजहें हो सकती हैं?, , उत्तर:- लोग प्रायः ऐसा करते हैं कि दैनिक जीवन में साधारण कपड़ों का प्रयोग करते हैं और विशेष, अवसरों पर अच्छे कपड़ों का। लेखक ने पहले सोचा प्रेमचंद खास मौके पर इतने साधारण हैं तो साधारण, मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर लेखक को लगा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व, दिखावे की दुनिया से बिलकुल भिन्न हैं क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।
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5. आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बात आकर्षित करती है ?, उत्तर:- मुझे इस व्यंग्य की सबसे आकर्षक बात लगती है -विस्तारण शैली। तथा लेखक ने व्यंग्यात्मक, शैली में महान साहित्यकार प्रेमचंद का चित्र प्रस्तुत किया है। इस पाठ में लेखक ने प्रेमचंद के साथ-साथ, स्वयं पर भी व्यंग्य किया है। लेखक ने सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग्य द्वारा प्रहार किया है। इस पाठ की, शुरुआत प्रेमचंद के फटे जूते से होती है और प्रेमचंद के पूरे व्यक्तित्व को उजागर कर देती है ।, , , , 6. पाठ में 'टीले' शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा ?, उत्तर:- टीला रस्ते की रुकावट का प्रतीक है। इस पाठ में टीला शब्द सामाजिक कुरीतियों, अन्याय तथा, भेदभाव को दर्शाता है क्योंकि यह मानव के सामजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न करता हैं।, , , , * रचना-अभिव्यक्ति, , 7. प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी, व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।, , उत्तर:- हमारे एक पड़ोसी है। जो बहुत ही कंजूस है। यहाँ तक के बच्चों के खाने-पीने की चीजों में भी, कटौती करते हैं। परंतु दुनिया में अपनी झूठी शान दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी नामचीन कम्पनियों के, कपड़े ही पहनते। उनका यह दोघलापन मेरी समझ से परे है।, , , , 8. आपकी हृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है ?, , उत्तर:- आज के समय में लोगों का दृष्टिकोण बहुत बदल गया है। यहाँ तक की व्यक्ति का मान-सम्मान, और चरित्र भी वेश-भूषा पर अवलम्बित हो गया हैं। आज की दुनिया दिखावे की दुनिया बन गई है। अगर, समाज में अपनी शान बनाए रखनी है तो महँगे से महँगे कपड़े पहनना आवश्यक हो गया है। आज सादा, जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है।, , , , , , , , , , , , » भाषा-अध्ययन, 9. पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।, उत्तर:आ ""7770झ9७ शिक्षज्न कक पकराराक्त अर्थ वाक्य, अटक जाना जाना इस सुंदर कंगन पर, अटक गई है।, न्योछावर होना कुर्बान होना मंगल पांडे फ़िल्म देखने के, बाद देश के लिए अपना सब, कुछ अर्पण करने के साथ, खुद भी न्योछावर होने का, मन करता है।, पछतावा होना पश्चाताप होना ऐसा कार्य करने के बाद, आपको पछतावा तो होना है, चाहिए।, रो पड़ना पीड़ा महसूस करना जमा त्र को चोट लगते, _ ._._._._.॒.॒॒॒.॒.].].॒1॒॒॒. देखमॉँकामनरोपड़ा। _, लहुलुहानहोना..... घायलहोना.....5 कारदुर्घटनामैंड्राइर, , ____€_€॒€॒॒॒॒॒॒॒ 7 लहलुहानहोगया।