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5. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?, , बाहर की गिलहरियाँ खिड़की के जाली के पास बैठ कर चिंक् चिंक् करती। उन्हें देखकर गिल्लू उनके पास, आकर बैठ जाता उसको इस तरह बाहर निहारते हुए देखकर लेखिका ने इसे मुक्त करना आवश्यक समझा।, लेखिंका ने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया जिससे गिल्लू बाहर आ जा सके।, , 6. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?, , लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और ननहें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता।, इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।, , 7. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?, , गिल्लू ने दिन भर कुछ भी नहीं खाया न बाहर गया अंत समय की मुश्किल के बाद भी वह झूले से उतरकर, लेखिका के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे पहले उसने, घायल अवस्था में पकड़ा था। इन्हीं चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका अंत समय समीप है।, , 8. 'प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया' -का आश्य, स्पष्ट कीजिए।, , इस कथन का आशय यह है कि सुबह होते होते गिल्लू की मृत्यु हो गई और वह हमेशा के लिए सो गया ताकि, बह कहीं और जन्म लेकर नए जीवन को पा सके।, , 9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?, , सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि बनाई गई क्योंकि यह लता गिल्लू को बहुत पसंद थी और साथ, ही लेखिंका को विश्वास था कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रुप में देखेगी। जुही में जब, पीले फूल लगेंगे तो लेखिका के समक्ष गिल्लू की स्मृति साकार हो जाएगी। इससे उन्हे संतोष मिलेगा।