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০ त्रैमासिक परीक्षाओं का विश्लेषण विमर्श पोर्टल पर उपलब्ध हैं जो प्राचार्यो द्वारा परीक्षा परिणाम के, आधार पर भरा गया है। प्रत्येक शाला के पास डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों की सूची उपलब्ध है।, ई ग्रेड में भी दो श्रेणियाँ बनाई गई है, E, ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 20 से 33 प्रतिशत, के मध्य अंक प्राप्त किये है, तथा E, ग्रेड अर्थात ऐसे विद्यार्थी जिन्होने 0 से 20 प्रतिशत तक, अंक प्राप्त किये है। E, श्रेणी के विद्यार्थियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जावे ताकि ये विद्यार्थी, न्यूनतम दक्षता प्राप्त कर सके ।, ০ रेमेडियलकक्षाएँ उन्हीं शिक्षकों के द्वारा लीजाए जिन शिक्षकों द्वारा कक्षा में संबंधित विषय का, अध्यापन कराया जाता है क्योंकि उन्हें यह पता होगा कि किस विद्यार्थी का स्तर क्या है तथा, किन टॉपिक्स में उन्हें समस्या है।, ০ ऐसी शालाएं जहाँ डी एवं ई ग्रेड के अलग - अलग सेक्शन निर्मित है वहाँ सभी कालखण्ड़ में, रेमेडियल टीचिंग के मॉड्यूल से ही पढ़ाया जायेगा अर्थात विषयमान से लगाए जा रहे कालखण्ड़, में भी तथा रेमेडियल टीचिंग के 2 कालखण्ड़ में भी| ऐसे सेक्शन के लिए प्रत्येक दिवस किन्ही 2, विषयों के लिए 80-80 मिनट, होंगें। 80 मिनट वाले कालखण्ड़ के विषय प्रतिदिन परिवर्तित रहेंगें । अर्थात यदि प्रथम दिवस, हिन्दी एवं अंग्रेजी के 80 मिनट हैं तो अगले दिन विज्ञान एवं गणित के 80- 80 मिनट के, कालखण्ड़ होंगें। इस आधार पर समय- सारणी को तैयार करने का दायित्व प्राचार्य का होगा ।, ০ यदि सी, डी एवं ई ग्रेड के विद्यार्थियों का पृथक सेक्शन न बना हों तो कक्षा 9वीं में तीसरा एवं, चौथा कालखण्ड (80 मिनट) तथा कक्षा 10वीं में दूसरा एवं तीसरा कालखण्ड़ ( 80 मिनट), निदानात्मक/ रेमेडियल कक्षाओं के लिये होगा कक्षा 11वीं एवं 12वीं के लिए शैक्षणिक केलेण्डर, अनुसार निदानात्मक/रेमेडियल कक्षाओं का संचालन किया जायेगा।, कालखण्ड़ एवं शेष 4 विषयों के 40-40 मिनट के कालखण्ड़, 4. ऐसी शालाएँ जहाँ विषयमान से शिक्षक नहीं है वहाँ, ০ एक परिसर एक शाला वाले स्कूलों में शिक्षकों का उपयोग उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर, किया जाए ।, ০ ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाए जहाँ स्कूलों की आपस में साझेदारी हो सकती है । उदाहरण, लिए यदि एक स्कूल में गणित के शिक्षक उपलब्ध है, किन्तु अंग्रेजी के नही हैं, जबकि, निकटस्थ किसी स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक उपलब्ध है किन्तु गणित के नही, ऐसी स्थििति में दोनों, स्कूलों के विषय शिक्षकों की सेवायें साझा कर ली जायें । विषय शिक्षण की इस साझेदारी व्यवस्था, कराने को प्राथमिकता दी जाये।, ০ जहाँ साझेदारी न हो सके वहां भी शिक्षक व्यवस्था अन्य विद्यालयों से विषयमान से पूर्ण की जाये|, ০ उपर्युक्त व्यवस्था में शिक्षकों को सप्ताह में 03 दिवस अपने विद्यालय में तथा 03 दिवस निकट के, विषय शिक्षक विहीन विद्यालय में सेवायें देनी होगी । संबंधित दोनों विद्यालय (शिक्षक की मूल शाला, तथा आवंटित शाला दोनों) के लिए इस व्यवस्था को ध्यान में रखकर उचित प्रकार से, समय-सारणी निर्धारित करेंगे तथा संबंधित विषय के शिक्षक अपनी मूल शाला एवं आवंटित शाला, दोनों स्थानों पर अपने विषय का पठन पाठन पूर्ण करायेंगे अर्थात मूल शाला में शैक्षणिक कार्य भी, प्रभावित न हो यह भी सुनिश्चित किया जायेगा । जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस संबंध में आदेश, जारी किये जाएंगे। इन शिक्षकों की उपस्थिति दोनों स्कूलों में ली जावे तथा निर्देश का पालन न, करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जावे|, ০ इस प्रकार की गई व्यवस्था में प्रयुक्त शिक्षक को नियमानुसार माह में न्यूनतम 10 दिवस की अन्य, शाला में उपस्थिति के लिए आवागमन व्यय रेमेडियल टीचिंग मद' से रू. 1500 प्रतिमाह दिया, जायेगा।, ০ यदि निकटस्थ स्कूल से व्यवस्था न हो सके, तो, प्राचार्य निदानात्मक शिक्षण कालखंड के दौरान, कक्षाओं में विद्यार्थियों को लैपटॉप फोन या स्मार्ट टीवी के माध्यम से डिजिटल सामग्री द्वारा, अध्ययन करने की व्यवस्था कर सकते हैं । अध्ययन संबंधी डिजिटल सामग्री बुकलेट में उपलब्ध, करवाई गयी है।, कक्षा 11 एवं 12 के लिए प्रश्न बैंक प्रदान किए जाएंगे।