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ड् “नए मेहमान 'एकांकी की मुख्य स्त्री पात्र कौन है? उसका चरित्रांकन कीजिए।, उ०- “नए मेहमान' एकांको को मुख्य स्त्री पात्र विश्वनाथ को पत्नी रेवती है। वह मध्यम वर्ग के परिवार की गृहस्वामिनी का, प्रतिनिधित्व करती है। उसके चरित्र को निम्नलिखित विशेषताएँ हैं, (अ) आवास की समस्या से पीड़ित- रेवती एक मध्यमवर्गीय सामान्य नारी है। उसका छोटा बच्चा बीमार है, मकान, छोटा एवं कम हवादार है। वह और उसका बच्चा तेज गर्मी से पीड़ित है। आवास की समस्या से पीड़ित होकर वह, झुँझला पड़ती है और कहती है - “जाने कब तक इस जेलखाने में सड़ना पड़ेगा।'!, , (ब) पति परायणा एवं सहनशील- अपनी वर्तमान समस्याओं से पीड़ित होते हुए भी वह अपने पति से अत्यंत प्रेम, करती है। वह खुद आँगन में लेटकर गर्मी में रात बिताने को तैयार है, परंतु पति को छत पर खुली हवा में सोने को, विवश करती है। वह चाहती है कि उसके पति को कोई परेशानी न हो। वह अत्यधिक गर्मी में भी कष्ट उठाकर, परिस्थितियों से समझौता कर लेती है। सहनशीलता उसका प्रमुख गुण है।, , (स) पड़ोसी के अशिष्ट व्यवहार से पीड़ित- रेवती के प्रति उसके पड़ोसियों का व्यवहार अच्छा नहीं है। वह अपनी, पड़ोसन लाला की औरत के विषय में अपने पति से शिकायत भी करती है। विश्वनाथ जब लाला से बात करने को, कहता है तो वह कहती है, “ क्या फायदा? अगर लाला मान भी जाए तो बह दुष्टा नहीं मानेगी।'', , (द) तुनकमिजाज और शंकालु- रेवती परिस्थिति के कारण तुनकमिजाज हो गई है। अपरिचित मेहमानों के आने पर, वह खाना नहीं बनाती और उनके प्रति शंका प्रकट करती हुई कहती है-“'दर्द के मारे सिर फटा जा रहा है, फिर, खाना बनाना, इनके लिए और इस समय? आखिर ये आए कहां से हैं?, , (य) समझदार स्त्री- रेवती एक समझदार स्त्री है। विश्वनाथ संकोच के कारण मेहमानों से उनका परिचय पूछने में, झिझकता है, परंतु रेवती एक समझदार स्त्री की भाँति विश्वनाथ को बार-बार उनका सही परिचय पूछने के लिए, प्रेरित करती है। आखिर में पता चलता है कि मेहमान भूल से गलत स्थान पर आ गए हैं।, , (२) भाई के प्रति स्नेही- रेवती अपने भाई से बहुत स्नेह करती है इसलिए सिर दर्द होते हुए भी वह भाई के आने पर, उसकी आवभगत करती है और खाना बनाने को तैयार हो जाती है और कहती है- मैं खाना बनाऊँगी। भैया भूखे, नहीं सो सकते।”, इस प्रकार हम देखते हैं कि अपने पति से विपरीत स्वभाव वाली रेवती, आधुनिक महिलाओं की भाँति समझदार, गृहिणी है। पारिवारिक परिस्थितियों ने उसके स्वभाव को चिड़चिड़ा बना दिया है। उसके माध्यम से उदयशंकर भट्ट, जी ने मध्यमवर्गीय नारी का सही चित्रण किया है।, , 3. “नए मेहमान 'एकांकी में एकांकीकार का क्या उद्देश्य निहित है?, उ०- “नए मेहमान” एकांकी उदयशंकर भट्ट द्वारा लिखित एक समस्याप्रधान सामाजिक हास्य एकांकी है, जो महानगरों में रहने, वाले मध्यमवर्गीय परिवार का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है। इसमें लेखक भट्ट जी ने महानगरों कौ आवास समस्या को, संकेत रूप में उजागर किया है। महानगरों में मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए आवास की समस्या बड़ी विकट है। उन लोगों, को छोटे एवं बंद मकानों में रहना पड़ता है, जिसमें प्रकाश तथा हवा का प्रवेश भी संभव नहीं होता।, , मेहमानों के आने पर यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। सीमित साधनों वाले व्यक्ति जिनके पास एक खुली छत भी, , नहीं होती, मेहमानों के आने पर किस प्रकार चिंतित हो जाते हैं, इसका प्रस्तुत एकांकी में भट्ट जी ने विश्वनाथ के परिवार, , के माध्यम से प्रस्तुतीकरण किया है। विश्वनाथ के शब्दों में-- “इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है, मकान है कि, भट्टी?”, , रेवती के शब्दों में आवास की समस्या इस प्रकार उजागर हुई है- “घड़े में भी तो पानी ठंडा नहीं होता, हवा लगे तब तो, , ठंडा हो, जाने कब तक इस जेलखाने में सड़ना होगा।'”, 1 1
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4. “उदयशंकर भट्ट 'जी का जीवन परिचय और कृतियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।, उ०- जीवन परिचय- प्रसिद्ध एकांकौकार उदयशंकर भट्ट का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में 3 अगस्त 1898 को हुआ, था। चौदह वर्ष की अवस्था में ही माता-पिता का साया इनके सिर से उठ गया। इनका बाल्यकाल अपनी ननिहाल में व्यतीत, हुआ। वहाँ इन्होने संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। इसके बाद इन्होंने हिंदी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया।, भट्ट जी ने “काशी हिंदू विश्वविद्यालय” से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद पंजाब से 'शाख््री' तथा कलकत्ता से, , “काव्य-तीर्थ' की उपाधि भी प्राप्त को। सन् 1923 ई. में ये जीविका की खोज में लाहौर चले गए और वहीं हिंदी और, , संस्कृत के अध्यापक नियुक्त हो गए।, , सन् 1947 ई. में देश विभाजन के बाद भट्ट जी लाहौर छोड़कर दिल्ली चले आए और काफी समय तक आकाशवाणी, , दिल्ली में 'निदेशक' रहे। सेवा-अवधि के उपरांत आप स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य में संलग्न रहे। आपने नाटक,, , आलोचना, कहानी तथा उपन्यास आदि विधाओं पर लेखनी चलाई। 22 फरवरी , 1966 ई.में साहित्य जगत की यह घरोहर, सदैव के लिए चिरनिद्रा में विलीन हो गई।, , इन्होंने अपना साहित्यिक जीवन काव्य-रचना से आरंभ किया। इनकी कविताओं के कई संग्रह प्रकाशित हुए हैं। काव्य के, , साथ-साथ इन्होंने एकांकी और बड़े नाटक भी लिखे हैं। 1922 ई. से ही इन्होंने नाटकों की रचना प्रारंभ की और आजीवन, , नाट्य-सृजन में लगे रहे।, , कृतियाँ- एक ही कब्र में, दुर्गा, नेता, आज का आदमी, अपनी-अपनी खाट पर, विष को पुड़िया, बड़े आदमी की मृत्यु,, , परदे के पीछे, नया नाटक, मनु और मानव, दस हजार, वापसी आदि भट्ट जी के प्रमुख एकांकी हैं।, , मुक्तिपथ, शंका विजय, विक्रमादित्य इनके ऐतिहासिक नाटक हैं। साहित्य सृजन में आपने नाट्य शैली को अपनाया है।, , आपके “नया समाज' नाटक में आधुनिकता की झलक दिखती है।, , 5. इस एकांकी के प्रमुख पात्र विश्वनाथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।, उ०- “नए मेहमान' एकांकी का प्रमुख पात्र विश्वनाथ है। वह आधुनिक नगरों में रहने वाले मध्यमवर्गीय समाज का प्रतिनिधित्व, करता है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं, (अ) उदार व्यक्ति- विश्वनाथ महानगर में रहने वाला एक उदार व्यक्ति है। वह नौकरी करके अपने सीमित साधनों से, अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। वह उन सभी समस्याओं से ग्रस्त है, जो आधुनिक नगरों में सीमित साधनों, वाले व्यक्तियों को सहन करनी पड़ती हैं, किंतु वह उन सबको सरलता के साथ सहता है। वह अपनी पत्नी एवं, बच्चों के सुख-दुःख का पूरा ध्यान रखता है और अपने अपरिचित मेहमानों के आ जाने पर भी झुँझलाता नहीं है।, , (ब) मकान की समस्या से पीड़ित- विश्वनाथ बड़े नगर में मकान की समस्या से दुःखी है। वह किराए पर छोटा-सा, मकान लेकर अपने परिवार के साथ जीवनयापन कर रहा है। वह दो वर्ष से हवादार, खुले और अच्छे मकान की, तलाश में है। वह पड़ोसिन के दुर्व्यवहार को सहन करता हुआ संघर्षशील व्यक्ति की भाँति अपना जीवन व्यतीत, कर रहा है। मकान की समस्या पर प्रकाश डालता हुआ वह कहता है- '' मकान मिलता ही नहीं। आज दो साल, से दिन-रात एक करके ढूँढ रहा हूँ। .......एक ये पड़ोसी हैं, निर्दयी , जो खाली छत पड़ी रहने पर भी बच्चों के, लिए एक खाट नहीं बिछाने देते।'', , (स) विनप्र एवं संकोच्ची- विश्वनाथ विनम्र एवं संकोची स्वभाव का है। यही कारण है कि देर रात में आए अपरिचित, मेहमानों से वह उनका स्पष्ट परिचय भी नहीं पूछ पाता और उनको सेवा में लग जाता है। पड़ोसियों के निर्दयी और, अशिष्ट व्यवहार पर भी वह उनसे कुछ नहीं कहता और क्षमा माँगते हुए कहता है, अनजान आदमी से गलती, हो ही जाती है। उसे क्षमा कर देना चाहिए। कल से ऐसा नहीं होगा।'', , (द) समझौताप्रिय- विश्वनाथ परिस्थितियों से समझौता करना अच्छी तरह जानता है। नए मेहमानों के आने पर जब, उसकी पली रेवती सिर दर्द के कारण खाना बनाने में असमर्थता प्रकट करती है तो वह उससे कुछ कहे बिना, बाजार से खाना लाने को तैयार हो जाता है और मेहमानों की चिंता करते हुए अपनी पत्नी से कहता है- ''क्या, कहेंगे कि रातभर भूखा मारा, बाजार से कुछ मँँगा दो न! '", , (य) अतिथि-सत्कार करने वाला- विश्वनाथ के हृदय में अतिथियों के प्रति सेवाभाव है। अपने सीमित साधनों में भी, वह अतिथियों की सेवा करने कौ भावना रखता है। अपरिचित अतिथियों को भी वह प्रेम से बैठाता है, बर्फ मंगाकर, ठंडा पानी पिलाता है, स्नान का प्रबंध करता है और अपनी पत्नी से खाना बनाने के लिए कहता है, -“' कोई भी हो,