Page 1 :
अनौपचारिक पत्र, , 1. ग्रीष्मावकाश में पर्वतीय यात्रा के दौरान आप अपने मित्र के घर ठहरे। वहाँ हुई आवभगत के लिए मित्र को आभार-पत्र लिखिए। __ [085६2008], 5/112 सी, प्रीत विहार,, , नई दिल्ली।, दिनांक : 28 जून, 2000९, , प्रिय मित्र रमेश,, सप्रेम नमस्ते।, , में सकुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी परिवारसहित कुशलतापूर्वक होंगे। तुम्हारे आतिथ्य से ग्रीष्मावकाश की पर्वतीय यात्रा यादगार बन गई। आपके, परिवार से मुझे जो स्नेह मिला और आप लोगों ने मेरी जो आवभगत की, उसे मैं कभी नहीं भूलूँगा। तुमने मुझे शिमला, कुल्लू-मनाली आदि स्थानों की, सैर कराई। वहाँ का क्षेत्रीय निवासी होने के कारण तुमने वहाँ के विषय में जो जानकारी दी, उससे मेरे सामान्य ज्ञान में बड़ी वृद्धि हुई; इसलिए वहाँ, घूमने में बहुत आनंद आया। चाची जी द्वारा बनाया गया स्वादिष्ठ भोजन अब भी याद आ रहा है। उनके द्वारा बनाए गए राजम्ा-चावल का तो जवाब, ही नहीं। छोठे भाई कमल की मीठी-मीठी बातें और मेरे प्रति उसका अपनत्व मुझे सदैव याद रहेगा।, , मित्र| तुमने इस यात्रा में मेरी जो आवभगत की, उसके लिए मैं आप सबका आभार प्रकट करता हूँ और साथ ही आपको सपरिवार दिल्ली आने के, , लिए आमंत्रित करता हूँ। आशा है तुम मेरा निमंत्रण अवश्य स्वीकार करोगे और मुझे भी अपने आतिथ्य का अवसर दोगे। चाचा जी और चाची जी को, चरणस्पर्श और कमल को ढेर सारा प्यार कहना।, , तुम्हारा मित्र ८, शशांक
Page 2 :
वी-73, कल्याणपुरी,, , वाराणसी |, , दिनांक : 12 दिसंबर, 20)00९, , प्रिय मित्र सुरेश,, , सप्रेम नमस्ते।, , भआज बड़े भाई साहब से फोन पर बात, , त्यागने के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए। [6858 2009], , पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। फेफड़े के कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान ही हैं। यह उच्च, , रक्तचाप और हार्ट अटैक का, ं कारण भी बनता है। इससे धन का अपव्यय भी होता है। धूम्रपान स्वयं को ही नहीं, बल्कि पास बैठने वाले को भी उतनी, , है हानि पहुँचाता है, जितनी धूम्रपान करने वाले को।, मित्र! तुम्हारा कहना है कि अब यह व्यसन छुड़ाए, जझे आशा है कि तुम मेरी सलाह अवश्य मानोगे, तम्हारा मित्र, , कमलेश, , नहीं छूटता तो एक बात ध्यान रखो कि दृढ़-इच्छाशक्ति से किसी भी व्यसन को छोड़ा जा सकता हैं।, और इस जीवन-घातक व्यसन को शीघ्र त्याग दोगे।, , 1 गयी वा में 'पायलठट' के पद के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में असफल मित्र को ढाढ़स बँधाते हुए पुनः प्रयास के लिए एक प्रेरणापत्र ए।, , परीक्षा भवन,, क०ख०ग० विद्यालय, विलासपुर।, , [८85६ 2077, 12], , दिनांक : 22 मई, 2020, , प्रिय मित्र सुबोध,, , सप्रेम नमस्ते।, , आज सुबह कपिल से मुलाकात हुई थी। उससे यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि भारतीय वायुसेना में पायलट पद के लिए संपन्न हुई प्रतियोगिता परीक्षा, में तुम्हारा चयन नहीं हो सका। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। मैं जानता हूँ कि तुम जी-जान से इस परीक्षा की तैयारी में लगे थे और इसके लिए तुमने, बहुत मेहनत भी की थी, कितु तुम इससे बिलकुल भी निराश मत होना। जीवन में सफलता-असफलता तो लगी ही रहती है। इस परीक्षा के लिए पुनः, दुगुने उत्साह से तैयारी करना। तुम एक दिन अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त करोगे। याद रखो, परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। इस वर्ष के अनुभव से तुम, अपनी कमी पर ध्यान देकर उसे पूरा करने का प्रयास कछना। अगली बार तुम निश्चय ही सफलता प्राप्त करोगे।, , तुम्हारा मित्र, , अ0०ब०स०, [०० _ 5५ , 9 + १गर्द सौरभ को पत्र लिखकर मालम कीजिए कि उसकी पढार्ड कैसी चल रही है। उसे
Page 3 :
विकास सक्सेना ४, विदेश यात्रा में सभी प्रकार की व्यवस्था करने वाले मित्र के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए। आप 113, गांधीनगर , पटनों के मनीष प्रसाद, , हे [८85६ 2013], 113, गांधीनगर,, पटना।, , दिनांक : 16 जुलाई, 20200, , प्रिय मित्र विनीत,, , सप्रेम नमस्ते।, मैं कल सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) से भारत लौठ आया हूँ। तुम्हारे साथ की गई इस पहली विदेश यात्रा का अनुभव मैँ जीवनभर नहीं भूल पाऊँगा। इस विदेश, , यात्रा की व्यवस्था में तुमने मेरी जो सहायता की है, मैं उसके लिए तुम्हारा हृदय से आभारी हूँ। यदि तुम्हारा सहयोग नहीं मिलता तो शायद वह यात्र, करना मेरे लिए संभव ही न हो पाता। तुम्हारे जैसे सच्चे मित्र, जो संकट के समय सहायता करें, कम ही होते हैँ। वीज़ा दिलवाने और सिडनी में रहने, , की व्यवस्था करने में तुमने जो सहायता की, उसके लिए मैं तुम्हारा जितना धन्यवाद करूँ, कम है।, जब तुम भारत आओ तो अवश्य सूचित करना। यदि मैं तुम्हारे किसी काम आ सका तो मुझे बहुत खुशी होगी। अंकल और आंटी को मेरा साबर प्रणार, कहना।, , तुम्हारा मित्र, , मनीष प्रसाद, री 2 मी कल प> मे जन वजलेज् ऋजले छा अपलसे सित्र को पत्र निर्लिएा 1८75४ 72014