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जंतुओं में जनन, 0855CH09, सारणी 9.1, आ, पने पाचन, परिसंचरण एवं श्वसन प्रक्रम के, बारे में पिछलं, कक्षा में पढ़ा था। क्या, आपको इनके विषय में याद है? ये प्रक्रम, प्रत्येक जीव की उत्तरजीविता के लिए आवश्यक हैं।, विषय में भी पढ़, क्र.सं., जंतु, संतति (बच्चे), 1., मनुष्य, शिशु, आप पौधों में जनन के प्रक्रम, 2., बिल्ली, चुके हैं। जनन जाति (स्पीशीज) की निरंतरता बनाने, के लिए आवश्यक है। कल्पना कीजिए कि यदि जीव, प्रजनन नहीं करते तो क्या होता? आप इस बात को, 3., कुत्ता, मानेंगे कि जीवों में जनन का विशेष महत्त्व है क्योंकि, 4., तितली, यह एक जैसे जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतरता बनाए, रखना सुनिश्चित करता है।, आप पिछली कक्षा में पौधों में जनन के विषय में, 5, मुर्गी (कुक्कुट), चूज़ा, 6., पढ़ ही चुके हैं। इस अध्याय में हम जानेंगे कि जंतु, किस प्रकार जनन करते हैं।, NG, मेंढक, 9.1 जनन की विधियाँ, 9.2 लैंगिक जनन, क्या आपने विभिन्न जंतुओं के बच्चों को देखा है?, कुछ जंतुओं के बच्चों के नाम सारणी 9.1 में भरने, का प्रयास कीजिए जैसा कि क्रम संख्या 1 एवं 5 में, उदाहरण देकर दर्शाया गया है।, कक्षा VII में आपने पौधों में जनन के विषय में पढ़ा, था। इसे स्मरण करने का प्रयास कीजिए। आपको याद, होगा कि लैंगिक जनन करने वाले पौधों में नर और, आपने विभिन्न जंतुओं के बच्चों का जन्म होते, हुए भी देखा होगा। क्या आप बता सकते हैं कि चूज़े, और इल्ली (केटरपिलर) किस प्रकार जन्म लेते हैं?, बिलौटे और पिल्ले का जन्म किस प्रकार होता है?, मादा जननांग ( भाग) होते हैं। क्या आप इन भागों के, नाम बता सकते हैं? जंतुओं में भी नर एवं मादा में, विभिन्न जनन भाग अथवा अंग होते हैं। पौधों की ही, तरह जंतु भी नर एवं मादा युग्मक बनाते हैं जो, संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं। यह युग्मनज विकसित, होकर एक नया जीव बनाता है। इस प्रकार का जनन, जिसमें नर तथा मादा युग्मक का संलयन होता, पौधों की ही तरह जंतुओं में भी जनन की दो विधियाँ है, लैंगिक जनन कहलाता है। आइए हम मनुष्य में, क्या आप सोचते हैं कि जन्म से पूर्व ये जीव वैसे ही, दिखाई देते थे जैसे कि वह अब दिखाई देते हैं?, आइए पता लगाते हैं?, होती हैं। यह हैं: (i) लैंगिक जनन और (ii) अलैंगिक, जनन भागों का पता लगाएँ तथा जनन प्रक्रम का, जनन।, अध्ययन करें।, 2020-21
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नर जनन अंग, नर जनन अंगों में एक जोड़ा वृषण, दो शुक्राणु नलिका, तथा एक शिश्न (लिंग) होते हैं ( चित्र 9.1) । वृषण नर, युग्मक उत्पन्न करते हैं जिन्हें शुक्राणु कहते हैं। वृषण, लाखों शुक्राणु उत्पन्न करते हैं। चित्र 9.2 को देखिए, जिसमें शुक्राणु का चित्र दिखाया गया है। शुक्राणु यद्यपि, बहुत सूक्ष्म होते हैं, पर प्रत्येक में एक सिर, एक मध्य, भाग एवं एक पूँछ होती है। क्या शुक्राणु एकल कोशिका, जैसे प्रतीत होते हैं? वास्तव में हर शुक्राणु में कोशिका के, सामान्य संघटक पाए जाते हैं।, सिर, मध्य भाग, पूँछ-, चित्र 9.2 : मानव, शुक्राणु में पूँछ किस, काम आती है?, माद, जनन अंग, मादा जननांगों में एक जोड़ी अंडाशय, अंडवाहिनी ( डिंब, वाहिनी) तथा गर्भाशय होता है ( चित्र 9.3)। अंडाशय, अंडवाहिनी, शिश्न, अंडाशय, गर्भाशय, वृषण, चित्र 9.1 : मानव में नर जननांग।, चित्र 9.3 : मानव में मादा जननांग।, जंतुओं में जनन, 101, 2020-21, CERT, ahuolist
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मादा युग्मक उत्पन्न करते हैं जिसे अंडाणु (डिंब), कहते हैं (चित्र 9.4)। मानव (स्त्रियों) में प्रति मास दोनों, अंडाशयों में से किसी एक अंडाशय से एक विकसित, अंडाणु अथवा डिंब का निर्माचन अंडवाहिनी में होता है।, गर्भाशय वह भाग है जहाँ शिशु का विकास होता है।, शुक्राणु की तरह अंडाणु भी एकल कोशिका है।, शुक्राणु, अंडाणु, केन्द्रक, चित्र 9.5 : निषेचन।, चित्र 9.4 : मानव अंडाणु।, ERT, बूझो को पता है कि विभिन्न जंतुओं, में अंडे का साइज़ अलग-अलग, होता है। अंडाणु अति सूक्ष्म, सकते हैं जैसे कि मनुष्य में अथवा, बहुत बड़े भी होते हैं जैसे कि मुर्गी, के अंडे। शुतुर्मुर्ग का अंडा सबसे, विशाल होता है।, चित्र 9.6 : युग्मनज।, क्या आपको जानकारी थी कि एक युग्मनज नए व्यष्टि, का प्रारम्भ है?, निषेचन के प्रक्रम में स्त्री ( माँ) के अंडाणु और, नर (पिता) के शुक्राणु का संयोजन होता है। अत:, नयी संतति में कुछ लक्षण अपनी माता से तथा कुछ, लक्षण अपने पिता से वंशानुगत होते हैं। अपने भाई, अथवा बहन को देखिए। यह पहचानने का प्रयास, निषेचन, जनन प्रक्रम का पहला चरण शुक्राणु और अंडाणु का, संलयन है। जब शुक्राणु, अंडाणु के संपर्क में आते हैं कीजिए कि उनमें कौन से लक्षण माता से और कौन, तो इनमें से एक शुक्राणु अंडाणु के साथ संलयित हो, जाता है। शुक्राणु और अंडाणु का यह संलयन निषेचन, कहलाता है (चित्र 9.5)। निषेचन के समय शुक्राणु और, अंडाणु संलयित होकर एक हो जाते हैं। निषेचन के, परिणामस्वरूप युग्मनज का निर्माण होता है (चित्र 9.6)।, से लक्षण पिताजी से प्राप्त हुए हैं ।, वह निषेचन जो मादा के शरीर के अंदर होता है।, आंतरिक निषेचन कहलाता है। मनुष्य, गाय, कुत्ते,, तथा मुर्गी इत्यादि अनेक जंतुओं में आतरिक निषेचन, होता है।, 102, विज्ञान, 2020-21, to be repuoahed
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नर तथा मादा एक साथ पानी में आते हैं तो मादा सैकड़ों, अंडे देती है। मुर्गी के अंडे की तरह मेंढक के अंडे, कवच से ढके नहीं होते तथा यह अपेक्षाकृत, बहुत कोमल होते हैं। जेली की एक परत अंडों को, एक साथ रखती है तथा इनकी सुरक्षा भी करती है।, (चित्र 9.7) ।, क्या आपने परखनली शिशु के, विषय में, सुना, है?, बुझो और पहेली के अध्यापक ने एक बार कक्षा में, बताया था कि कुछ स्त्रियों की अंडवाहिनी अवरुद्ध, होती है। ऐसी स्त्रियाँ शिशु उत्पन्न करने में असमर्थ, होती हैं क्योंकि निषेचन के लिए शुक्राणु, मार्ग, अवरुद्ध होने के कारण, अंडाणु तक नहीं पहुँच पाते।, ऐसी स्थिति में डॉक्टर (चिकित्सक) ताज़ा अंडाणु, एवं शुक्राणु एकत्र करके उचित माध्यम में, के लिए एक साथ रखते हैं जिससे IVF अथवा, इनविट्रो निषेचन (शरीर से बाहर कृत्रिम निषेचन), हो सके। अगर निषेचन हो जाता है तो युग्मनज, कुछ, घंटों, को लगभग एक सप्ताह तक विकसित किया जाता, है जिसके पश्चात् उसे माता के गर्भाशय में, स्थापित किया जाता है। माता के गर्भाशय में, पूर्ण विकास होता है, तथा शिशु का जन्म सामान्य, शिशु की तरह ही होता है। इस तकनीक द्वारा जन्मे, शिशु को परखनली शिशु कहते हैं। यह एक मिथ्या, नाम है क्योंकि शिशु का विकास परखनली में नही, चित्र 9.7 : मेंढक के अंडे।, मादा जैसे ही अंडे देती है, नर उस पर शुक्राणु, होता।, छोड़ देता है। प्रत्येक शुक्राणु अपनी लंबी पूँछ की, सहायता से जल में इधर-उधर तैरते रहते हैं।, NCER, आते हैं जिसके, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अनेक जंतुओं शुक्राणु अंडकोशिका के संपर्क, में निषेचन की क्रिया मादा जंतु के शरीर के बाहर होती, है। इन जंतुओं में निषेचन जल में होता है। आइए, पता, लगाएँ कि यह किस प्रकार संपन्न होता है।, फलस्वरूप निषेचन होता है। इस प्रकार का, निषेचन जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन, मादा के शरीर के बाहर होता है,, कहलाता है। यह मछली, स्टारफिश जैसे जलीय प्राणियों, में होता है।, बाह्य निषेचन, क्रियाकलाप 9.1, वसंत अथवा वर्षा ऋतु के समय किसी तलाब, अथवा मंदगति से बहते झरने का भ्रमण कीजिए ।, जल पर तैरते हुए मेंढक के अंडों को, ढूँढ़िए। अंडों के रंग तथा साइज़ को नोट, कीजिए।, मछली और मेंढक एक, साथ सैकड़ों अंडे क्यों देते, हैं जबकि मुर्गी एक समय, में केवल एक अंडा ही, देती है।, वसंत अथवा वर्षा ऋतु में मेंढक तथा टोड पोखर,, तलाब और मंद गति से बहते झरने की ओर जाते हैं । जब, जंतुओं में जनन, 103, 2020-21