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सारांश-एक क्षमणशील व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक के, के खट्ठे-मीठे अनुभव होते हैं। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने अपने ऐसे, ही एक अनुभव को व्यक्त किया है। लेखक ऐतिहासिक महत्व के, स्थानों को देखने के विचार से पैदल यात्रा कर रहे थे | ऐंक शत वे, एक कस्बे में पहुँचे । वहाँ उन्होंने रात्रि-विश्राम के उद्देश्य से ढेर, साहब के बंगले का दरवाजा खटखटाया, किन्तु उन्हें, अपने घर ठहराने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने लेखक कक, धर्मशाला में ठहर जाने की बात कहकर रास्ता दिखाने के लिए, अपने नौकर को साथ भेज दिया। किन्तु अँधेरे में भटकते हुए, लेखक फिर हेडमास्टर साहब के बंगले पर पहुँच गये। ईगी बार, उनसे और अधिक रूखा व्यवहार किया गया। अन्ततः लेखक ने, गाँव वालों को अपना परिचय पत्र दिखाया। पुनः उन्हें रत्रिविश्राम, के लिए धर्मशाला भेज दिया गया। तब तक काफी रात हो चुकी थी, और धर्मशाला का दरवाजा बन्द हो चुका था | लेखक ने वहीं बरामदे, में रात काटने की सोची | वहीं बरामदे के एक किनारे पर एक अंधा, भिखारी सो रहा था। उसने लेखक को अपने पास बुलाया और, सहानुभूतिपूर्वक उनकी सारी बातें सुर्नीं तथा उनकी थकान मिटाने, के लिए कुछ उपक्रम किये।, , , , , , शब्दार्थ-फुर्सत > अवकाश (खाली समय), आशामयी - उम्मीद, से भरी, प्रतीक्षा > इंतजार, सामर्थ्य 5 शक्ति, अनाधिकार - बिग, अधिकार के, चेष्ठा > प्रयास, हर्गिज > कदापि, मर्माहत > भीतर तव, चोट खाया हुआ, चिराग > दीपक, विपत्ति 5 संकट, व्यग्र व्याडुल,, , मूर्तिवत् > मूर्ति के समान, निश्चल |, बे . _ गद्यांशों की व्याख्या ', (1) जैसे जीवन-पथ पर, वैसे ही साधारण सड़क पर आदमी के, 'लिए अकेले चलना कठिन है। कोई ठहरकर किसी पीछे अपने वाले का, साथी हो लेता है, कोई चार कदम तेज चलकर आगे जाने वाले का।, सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक “छत्तीसगढ़ भारतीः, के पाठ 'आतिथ्य” से लिया गया है। इसके लेखक श्री भदंत आनन्द, कौशल्यायन जी हैं।, प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि अकेले रास्ता, चलना कठिन है।, व्याख्या-जिस प्रकार जीवन के मार्ग पर अकेले चलना कवि, | उसी प्रकार सामान्य सड़क पर भी अकेले यात्रा करना कठिन कार्य है, अर्थात् मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होने के नाते अकेले जीवन नहीं जी, सकता | उसे पग-पग पर किसी साथी की जरूरत पड़ती है, उसी प्रकाः, , 6, 0०, 2५ ८५ (५, , दा तं दा., , क्षय
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हे , अजुष्य को साथी की जरूरत महसूस होफ उ, चा न जा मनुष्य पीछे आने वाले राहगीर की है, का के लिए रास्ते में थोड़ी देर वहर जाता है अथवा तेजी से चलकर, पाती जाने वाले के साथ हो लेता है।, आख (8) उन्हें क्या मालूम जो उनके लिए अन्चेर है, वही मेरे लिए, अहाअब्धेर है। विषतति पड़ने पर कहते हैं, अक्ल मारी जाती है। लेकिन, नह" ली को और कोई सहारा नहीं रहता, तब बुद्धि हो उसके काम, , आती है।, सन्दर्भ-पूर्ववत् ।, प्रस्नंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि संकट के समय, , काम आती है।, , बुद्धि हक आानलेखक कहते हैं कि उनके हेडमास्टर साहब के बंगले, पर फिर लौट आने पर उन पर गाँव वालों का सन्देह बढ़ गया। उन्होंने, कहा कि यह तो अब्धेर है अर्थात् इस व्यक्ति ने तो हद ही कर दी, जो, यहाँ फिर लौट आया, लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिस बात को वे, अब्धेर समझ रहे हैं वह मेरे लिए कष्ट की पराकाष्ठा है। कहा जाता है कि, संकट आने पर मति मारी जाती है, अर्थात् बुद्धि काम नहीं करती।, लेकिन आदमी जब हर तरफ से बेसहारा हो जाता है, तब बुद्धि ही, उसके काम आती है।, , अभ्यास, , 0 पाठ से, प्रश्न 1, लेखक के द्वारा की गई पदयात्रा का कारण क्या या ?, , उत्तर-लेखक एक क्षमणशील व्यक्ति था वह ऐतिहासिक महत्त्व, के स्थलों को देखने के विचार से पदयात्रा कर रहे थे।, , प्रश्न 2. हेडमास्टर जी ने लेखक को अपने घर पर न ठहरने की, क्या वजह बताई ?, , उत्तर-हेडमास्टर जी ने लेखक को कहा “यहाँ आस-पास कई, चोरियाँ हो गई हैं। हम अपने घर किसी को नहीं ठहरने देते ”” यही, बजह बताई।, , प्रश्न 3. थकावट के दुःख से भी अधिक दर्द था मर्माहत अभिमान, का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का क्या कारण हो सकता है ?, , उत्तर-थकावट के दुःख से भी अधिक दर्द या मर्माहत अभिमान, का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का कारण है कि-दिनभर पैदल, यात्रा के बाद लेखक यके हुए थे उन्हें हेडमास्टर से उम्मीद थी कि वह, रात विश्राम करने देंगे किन्तु हेडमास्टर जी ने विश्राम करने की अनुमति नहीं, दी और उन्हें धर्मशाला भेज दिया । लेखक को थकान के कारण जितना दुःख, हो रहा कह 2 लक लि भीतर के आहत अभिमान की थी।, , |. यके हुए लेखक के मन में हेडमास्ठर जी के घर ठहरने को, , लेकर कौन-कौन सी भावनाएँ उठ रही थीं ?, ली उत्तर-थके हुए लेखक सोच रहे थे कि आगे के कस्बे में हेडमास्टर, सा पहुँचकर यदि मिलेगा तो गरम-गरम पानी से पैर धोऊँगा हो, जो तो. कओ मलने को मिल जाए और कहीं गरम दूध मिल, , प्रश्न 5. हेडमास्टर से मिलने से पूर्व और उसके के, , कमा का पूर्व बाद में लेखक, हेडमास्टर सर ले मिलने से पूर्व लेखक ने सुन रखा था कि, दे देंगे। किन्दु आशा के 1 वे अपने घर में एक रात रुकने की अनुमति, अनुमति नहीं दी विपरीत हेडमास्टर ने उन्हें अपने घर ठहरने की, , दर्द का अहसास कक को अपनी थकावट की पीड़ा से भी अधिक, , छत्तीसगढ़ भारती, कक्षा 8वीं [__ हझ, , किले प्रश्न 6. 'परिचय-पत्र देकर हेडमास्टर के विचारों में किस प्रकार का, , आ होगा? सोचकर लिखिये।, पर्वर्तन मै. हेडमास्टर पहले लेखक को चोर समझ रहे थे और उनकी, बातों पर विश्वास नहीं कर रहे थे किन्तु परिचय-पत्र देखकर उनके, विवारों में परिवर्तन हुआ होगा | हेडमास्टर जान गये होंगे कि लेखक कोई, आदमी न होकर एक शिक्षित एवं जिज्ञासु यात्री है।, बुरी प्रश्न 7. लेखक चोर नहीं था, इस बात का विश्वास दिलाने के लिए, किया ?, उसने “त्र-लेखक चोर नहीं था इस बात का विश्वास दिलाने के लिए, लेखक ने अपना यैला खोलकर उसमें से दो चिट्ठियाँ निकाली। दोनों, चरििय पत्र थे एक था ग्वालियर पुरातत्व विभाग के निदेशक के नाम, तथा दूसरे निजाम हैदराबाद के प्रधान मन्त्री महोदय के नाम | दोनों में, कक का साधारण परिचय था।, प्रश्न 8. लेखक के अनुसार जीवन के पथ पर अकेले चलना क्यों, 4], उत्तर-जैसे सड़क पर चलने के लिये नियमों का पालन करना, प्रड़ता है वैसे ही हमें जीवन पथ पर सफलतापूर्वक चलने के लिये, महापुरुषों के बताये गये वचनों को अपनाकर उनका अनुसरण करना, चाहिए, इससे हमारा जीवन रूपी सफर सरल हो जाता है।, प्रश्न 9. गहरी सहानुभूति दिखाने वाले की आज्ञा का उल्लंघन, आसान नहीं होता, “इस पंक्ति के द्वारा लेखक अपने दुखिया भिक्षुक मित्र, के किन भावों को बताना चाहता है ?, उत्तर-लेखक ने भिक्षुक मित्र के पास बैठकर अपने ऊपर घटित, किस्सा सुनाया भिक्षुक सहानुभूति के साथ घटित किस्से को सुना। अंधे, श्रिखारी ने अपने हाथों से लेखक के दर्द भरे पैरों को ठठोला और नीचे से, “ऊपर तक कसकर बाँध दिया। उसने कहा, “अब थोड़ी देर ऐसे ही बैठे, रहो | लेखक भिक्षुक के गहरी सहानुभूति दिखाने वाले आज्ञा को कैसे, हुकरा सकता था और वह मूर्तिवत् बैठा रहा। लेखक दुखिया मित्र के, सहानुभूति भरे भाव को बताना चाहता है।, प्रश्न 10. “उन्हें क्या मालूम कि जो उनके लिए अँधेर है, वह मेरे, लिए महाअँधेर है ।”” लेखक ने महाअंधेर किसे कहा है ?, उत्तर-लेखक धर्मशाला की खोज में भटक गया लोग लेखक को, _ चोर समझने लगे | लोग कहते, देखिए न अंधेर है, अभी-अभी निकला, था, फिर इतनी जल्दी हिम्मत की है, उन्हें मालूम नहीं था कि जो उनके, लिए अँधेर है वह लेखक के लिए महाअँधेर है। विपत्ति पड़ने पर कहते, <हैं मति मारी जाती है। महाअँधेर का अर्थ है कि लोग लेखक को चोर, समझकर पुलिस को बुलाना चाहते थे।, , 0 पाठ से आगे, प्रश्न 1, पाठ में लेखक ने लिखा है कि बुरे आदमी में क्या अच्छाई, गा होती ? अर्थात् हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई सम्भवतः दोनों होती, आप स्वयं की बुराई और दूसरे की अच्छाई पर समूह में बात करते, डुए बातचीत के प्रमुख बिन्दुओं का लेखन कीजिए।, में कछ "हमे इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं। प्रत्येक बुरे व्यक्ति, उसे व आछ अच्छाइयाँ भी होती हैं। ये 5 अच्छाइयं अवसर आने पर, आचरण में दिखायी पड़ती हैं | बुरे से बुरा व्यक्ति भी कभी-न-कभी, अवश्य करता है।, के गलियाई. 2. जब सभी लेखक की अवहेलना कर रहे थे तब धर्मशाला, व्यवहार को में भिक्षुक हे उसकी सहायता और सेवा की | भिक्षुक के इस, ? उसे एक पढ़ते-समझते हुए आपके मन में कौन-से भाव उत्पन्न हुए, अनुच्छेद में लिखिए।
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करामदे के कोने व उपर खोले के स्याव, केक फिशुक के जज को जुजी और उसकी थकाज दूर करने का, फिश्युक अखश्थ दया आर पढ़ते-समझते हुए लग रहा हैं कि, , प्रश्ब 3. पाठ के व्यक्ति रहा होगा।, घेर पल्या। अपने आपको अप को लोगो ने रात में चोर समझकर, सहारा नहीं मिला तद इस समस्या से उदारने के लिए उसे जब', उरह को परिस्थिसि में होगे >, न हो बुद्धि काम आई है। आप, जो से होगे तो क्या ? अनुमान करके और, , जात कर लिखिए।, न उत्तर-ऐसी विषम परिस्थिति में हम भी अपनी बुद्धि से काम, ए भाषा से, सन 1. 'अनधिकार' शब्द 'अन्' उपसर्ग के साथ 'अधिकार' शब्द, के मेल से दजा है। जिसका अर्थ होता है- बिता अधिकार के' आप पी, “अर' उपसर्ण से बने दस शब्दों का निर्माण कीजिए।, , ह उत्तर-'अन्' उपसर्ण से बने शब्द-, उपसर्ण + शब्द, , अन् + आदर चिप अनादर, , अब + यह ज्ः अनपढ़, , अन् + मोल जः अनमोल, , अन् + जान ्द अनजान, , अन् + कन ब्ड अनबन, , अन् + आचार तक अनाचार, , अन् + आगत रू अनागत, , अन् + सुना चः अनसुना, , अन् + अंत च्ः अनंत, , अन् + भिज्ल तल अनभिज्ञ, , प्रस्न 2. (राम कहानी, कोई चारा न होना, अपना रास्ता लेना,, अब से इति तक, रस जाना।) अक्ल गुम हो जाना,, कोल््हू का बैल आदि मुहावरे हैं, जो इस पाठ में आए हैं। इन मुहावरों के, अर्थ लिखिए और वाक्यों में प्रयोग भी कीजिये।, , उत्तर- () राम कहानी सुनना - आपशीती बताना।, वाक्य प्रयोग - पथिक की राम कहानी सुनकर हम सब व्यवि्ल, हो गए।, (४) कोई चारा ब होना - कोई विकल्प नहीं होना। +, वाक्य प्रयोग - यहाँ से चले जाने के अलावा और कोई चारा जही, , है।, , (४) अपना रास्ता लेना 5 अपने काम मे लग जाना।, , वाक्य प्रयोग - सुबह होते ही मैं अपना रास्ता ले लुँगा।, , (४) अथ से इति तक शुरू से अंत तक।, , वाक्य प्रयोग - मैंने सारी बातें माताजी को अय से इति तक बता, डी।, , (९) अपना सा मुँह लेकर रह जाना 5 लज्जित होना।, वाक्य प्रयोग - हेडमास्टर साहब का उत्तर सुनकर मैं अच्या सा, मुँह लेकर रह गया। ५, (शं) अक्ल गुम हो जाना 5 दिमाग काम न करना।, जाक्य प्रयोग - अत्यधिक तनाव के कारण मोहन की अक्ल गुम, , हो गयी है।, , , , , , , (५घं) कोल््हू का बैल 55 कठिन परिश्रम करने वाला। हु, वाक्य प्रयोग - पैसा कमाने की धुन में सोहन कोल्हू का बैल, , *बन गया।, , प्रश्न 3. (क) एक 'स्टूल' बैठने के लिए दिया गया और पानी का, , हु एक गिलास 1, , (ख) जब आदमी को और कोई सहारा नहीं रहता, तब बुद्धि ही, काम आती है।, उपर्युक्त दोनों वाक्यों में और शब्द का अलग-अलग अर्थ है।, प्रथम वाक्य में 'और' का अर्थ जुड़ाव जबकि दूसरे में अन्य है। आप भी, इसी तरह 'और' शब्द के भिन्न-भिन्न प्रयोग करते हुए पाँच-पौँच अन्य, वा््यों की रचना कीजिए।, उत्तर- 1. कृष्ण और सुदामा सहपाठी थे।, मीरा के पास कृष्ण भक्ति के अलावा और कोई चारा नही था।, 2. राम कक्षा में गया और पुस्तक पढ़ने लगा।, सोहन परीक्षा में नकल करते पकड़ा गया अब उनके पास और, कोई रास्ता नही है।, 3. तोता और मैना एक ही डाल पर बैठे है।, रमेश के माता-पिता नही है ईश्वर के अलावा उनका और कोई, सहारा नही है।, 4. सीता और गीता एक ही कक्षा में पढ़ती है।, हेडमास्टर ने लेकर को रात रूकने नही दिया अब लेखक के पास, वहाँ से चले जाने के अलावा और कोई चारा नही है।, प्रश्न 4. (1) सुबह होते ही मैं अपना रास्ता लूँगा।, (2) मैं धीरे-धीरे पहुँच ही गया।, पाठ से उद्धृत उपर्युक्त उदाहरणों में ही निपात का प्रयोग हुआ, है। कुछ अव्यय शब्द वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके, अर्थ में विशेष प्रकार का बल ला देते हैं, इन्हें 'निपात” कहा जाता है। इसी, तरह भी, मात्र, तक, तो, भर आदि भी निपात है। आप भी इनका प्रयोग, करते हुए वाक्य बनाइए।, उत्तर-1. सोहन कल भी फुटबाल खेलने जायेगा।, 2. राहुल मात्र दो घण्टे पढ़ाई करता है।, 3. नेहा आज तक का गृहकार्य पूरा कर ली है।, 4. सोनू भले ही टी.वी. देखता है, लेकिन पढ़ाई करता तो है।, 5. मीरा जीवन भर कृष्ण भक्ति में लीन रही।, प्रश्न 5. प्रातःकाल अपने साथी को न पाकर लेखक के मन में, क्या विचार उठे होंगे? कल्पना करके लिखिये।, उत्तर-प्रातःकाल अपने साथी को न पाकर लेखक को पछतावा, हुआ होगा कि वे उसकी कोई मदद नहीं कर पाये। लेखक ने सोचा होगा, , कि उस अंधे भिखारी को दो रोटियों के लिए सुबह से शाम तक यहाँ-वहाँ, भठकना पड़ता होगा।, , ्त है कक के स्थान पर यदि आपके साथ यह घटना घढित, आप इसे अपनी किसी मित्र सहेली में कैसे, की को पत्र के रूप, , उत्तर-ात्र स्वयं करें।, 0 योग्यता विस्तार--छात्र स्वयं करें।, , 0, , जाएू--5 छा, , 3, ५४ ७, , 5, 93 9