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sE, भगवान के डाकिए, टिश- वि, प्रात्यीन, कवि- श्री रामधारी सिंह 'दिनकर, ऋतृ ", वर्णन |, 6., कविता का भाव, है?, पाते), "भगवान के डाकिए" नामक कविता पाठ के माध्यम से कवि श्री रामधारी, 'दिनकर' पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हुए कह रहे हैं पक्षी और ा, पोस्टमैन हैं जो संदेश को सर्व्र पृथ्वी पर एक दिशा से दूसरी दिशा में पहुँचाने का काय, करते हैं। पृथ्वी पर छोटे-छोटे कई देश, प्रदेश और महादेश हैं। जो एक देश से (एक स्थन, देश, से) दूसरे देश को (दूसरे स्थान पर) संदेश पहुँचाने का कार्य करते हैं। उनके द्वारा जो स्हैश, पत्र के रूप में लाया जाता है, उनकी लायी हुई चिट्टियों को पेड़-पौधे, पानी और यहाट, द्वारा पढ़ा जाता है।, हमारे द्वारा केवल यह आंकलन होता है कि एक देश की पृथ्वी (धरती) दूसरे देश, को अपनी सुगंध भेजती है और वह महक हवा में तैरती हुई, पक्षियों के पंखों में दिखाई, दूसो, देती है। बादलों के द्वारा जो वर्षा की जाती है वह एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनका, गिरता है।, गिर, कठिन शब्दार्थ, पढ़, डाकिए = पोस्टमैन या संदेशवाहक, चिट्ठियाँ = पत्र या संदेश, बाँचते 3 पढ़ने हैं, को, ऑकते = अनुमान करना, मूल्यांकन करते हैं, सुगंध %3 महक, खुशबू, सौरभ 3 सुवास, सुगंध को, महक, पाँखों = पंखों पर, तिरता = तैरता है, भाप 3 वाष्प।, %3D, %3D, %3D, भा, प्रश्न-अभ्यास, कविता से, प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है ?, स्पष्ट कीजिए।
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35, भगवान के डाकिए, उत्तर- कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए बताया है क्योकि ये, देश-विदेश में आकाश के माध्यम से उड़ान भरकर संदेश पहुँचाते हैं। पक्षियों का प्रयोग, प्राचीनकाल में संदेशवाहक के रूप में किया जाता था बादल, कतु परिवर्तन का संदेश पहुँचाते हैं। साहित्यकारों ने भी बादल को संदेशवाहक मानते हुए, वर्णन किया है अत: कवि ने इन्हें भगवान के डाकिए बताया है।, प्रश्न 2. पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते, आकाश में भ्रमण करते हुए, है ? सोचकर लिखिए।, उत्तर- पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी पहाड़ बाँचते (पढ़, पाते) हैं। साथ ही इनके द्वारा लाई गई चिट्ठियों को मनुष्य भी पढ़ पाते हैं।, | सिंह, दल, कार्य, थान, प्रश्न 3. निम्न पंक्तियों का भाव है-, (क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे, देश को भेजते हैं।, देश,, उत्तर- पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं,, हाड़, जो एक महादेश से, दूसरे महादेश को जाते हैं।, (ख) प्रकृति देश-देश में भेद-भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल, देश, दूसरे देश में बरस जाता है।, खाई, उत्तर- एक देश की धरती, दूसरे देश को सुगंध भेजती है। और वह सौरभ हवा में, ক तैरते हुए, पक्षियों की पाँखों पर तिरता है और एक देश का भाप, टूसरे देश में पानी बनकर, गिरता है।, प्रश्न 4. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या, पढ़ जाते हैं ?, उत्तर-पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ छिपे हुए संदेश, हैं, को पढ़ पाते हैं। पक्षी और बादल के द्वारा लाया गया प्रेम, सद्भाव और एकता के संदेश, ध को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ समझकर प्रकृति के महत्त्व को पढ़ पाते हैं।, प्रश्न 5. "एक देश की घरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है"., भाव स्पष्ट कीजिए।, उत्तर- "एक देश की धरती टूसरे देश को सुगंध भेजती है"'- कथन का भाव स्पष्ट करते, हुए कह सकते हैं, "भगवान के डाकिए" नामक कविता पाठ के माध्यम से कवि श्री रामधारी, सिंह 'दिनकर' कह रहे हैं। पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश, से टूसरे देश को भेजते हैं प्रकृति देश-विदेश में भेद-भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल, दूसरे देश में वर्षा करता है। हवा के माध्यम से सुगंध को बादल फैलाते हैं।, -कथन का
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36, ओसवाल स्टडी मैटिरियल : वसंत-VIII, पाठ से आगे, प्रश्न 1. पक्षी और बादल की चिद्वियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि, से देख सकते हैं ?, उत्तर- पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम ऋतु-परिवर्तन की दृष्टि, से देख सकते हैं। जब ऋतु परिवर्तन होता है तो बादल वर्षा के माध्यम से संपूर्ण पृथ्वी पर, खुशहाली का संदेश पहुँचाते हैं। पक्षी और बादल पुराने समय में डाक-विभाग के डाकिए के, रूप में संदेश पहुँचाते रहे हैं। कवि कालिदास ने 'मेघदूत' काव्यग्रंथ में बादलों को दूत के, रूप में वर्णित किया है।, प्रश्न 2. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन, इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस, पंक्तियाँ लिखिए ?, उत्तर- आधुनिक समय में दूर-संचार के साधनों में तीव्र गति से बहुत बड़ा परिवर्तन, हुआ है। वह साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल के संदेश भी एक तरह से इंटरनेट का, ही परिवर्तित रूप है। 'इंटरनेट' कम्प्यूटर नेटवर्क की विश्व-विस्तृत प्रणाली है। यह सामान्य, जन-जीवन के लिए संदेश एवं नवीन ज्ञान प्रदान करता है। मित्रों तथा संबंधियों से बातचीत, करने में बहुत उपयोगी है। इंटरनेट स्वस्थ मनोरंजन का साधन भी है। पक्षी और बादल के, द्वारा प्रसारित किए गए संदेश भी इंटरनेट का परिवर्तित नवीनतम रूप है। पक्षी आकाश में, उड़कर, बादल एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए संदेश पहुँचाते हैं। इंटरनेट, तार का दूर-संचार का आधुनिकतम साधन है जबकि पक्षी और बादल संदेश प्रसारण का, प्राचीन रूप रहे हैं।, प्रश्न 3. हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका पर दस वाक्य लिखिए ?, उत्तर- हमारे जीवन में डाकिए की महत्त्वपूर्ण भूमिका है- वह डाक-विभाग का एक, वेतनभोगी कर्मचारी है। जो प्रतिदिन हमारे दरवाजे पर आकर सुख-दुः:ख के संदेश पहुँचाता, है। यदि डाकिया न हो अथवा डाक लेकर न आए तो हम उदास होकर उसके आगमन की, प्रतीक्षा करते हैं। पोस्टमैन पत्र, विवाह संदेश, शोक संदेश के साथ-साथ बिजली, टेलीफोन, के बिल, साक्षात्कार पत्र आदि लेकर हमारे सम्मुख उपस्थित होता है। उसका आगभन हमारे, मन में प्रसन्नता एवं उत्साह को जाग्रत करता है। वह ऋतु परिवर्तन की भी परवाह नही, करता। दूर देश में कार्य-व्यवसाय कर रहे लोगों के धन को वह मनीऑर्डर के माध्यम से, सुरक्षित परिवार-जनों तक पहुँचाता है। अत: हमारे जीवन में डाकिए (पोस्टमैन) की, महत्तवपूर्ण भूमिका है।
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37, भगवान के डाकिए, अनुमान और कल्पना, प्रश्न-डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. w.w.w.), तथा पक्षी और बादल इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक, लेख तैयार कीजिए। "चिट्ठियों की अनूठी दुनिया'" पाठ का सहयोग ले सकते हैं।, उत्तर- डाकिया-डाकतार विभाग द्वारा नियुक्त एक वेतनभोगी कर्मचारी डाकिया है।, यह ईमानदार, परिश्रमी एवं धैर्य आदि गुणों से युक्त व्यक्तित्व वाला कर्मचारी होता है। जो, प्रातः काल से लेकर सायंकाल तक अपने सेवा-कार्य में संलग्न रहता है। जो ऋतु परिवर्तन-, सर्दी, गर्मी, वर्षा की चिंता न करते हुए अपने कर्तव्य में संलग्न रहता है।, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. w.w.w.) - यह लेखाचित्र,, र, न, स, ध्वनि, पाठ्य इन प्रयोक्ता के इनपुट वाले पृष्ठों को आपस में इंटरनेट से जोड़ने की एक, व्यवस्था है। वेब इंटरनेट के अनेक भागों में से एक भाग है। यह सूचनाओं का एक महाजाल, न, है यह संसाधनों को श्रोताओं को उपलब्ध कराता है।, का, पक्षी और बादल- पक्षी प्राचीनकाल में संदेशवाहक के रूप में प्रयुक्त होते रहे हैं।, न्य, पहले समय में जब संदेश प्रसारण, सशक्त आधुनिक साधन नहीं थे तब जन-साधारण, ीत, मनुष्य कबूतर, तोते, हंस आदि को संदेश प्रसारण हेतु प्रयुक्त करते थे। कवियों ने बादल, को भी "मेघदूत" उपनाम से पुकारा है। कवि कालिदास ने अपने साहित्य में 'मेघदूत' का, में, विशेष वर्णन किया है। पक्षी और बादल को भगवान का डाकिया मानकर कवि रामधारी सिंह, नेट, 'दिनकर' ने सम्मानित कर कविता लिखी है।, का, एक, ताि, की, जिन, मारे, मही