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प्रमुख मुहावरे और अर्थ उनके वाक्य, , 1५०.-1. अंग-अंग ढीला होना (बहुत थक जाना), आज इतनी भागदौड़ करनी पड़ी कि मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है। *आज सारा दिन बहुम काम था,, अत: मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।, , 1५०.-2. अंग-अंग मुसकाना : अति प्रसन्न होना), बेटे की अच्छी नौकरी लगने पर उसके माता-पिता का अंग-अंग मुसकाने लगा।, , 1५०.-३. अंगारे उगलना : क्रोध करना), बिल्ली को दूध पीते देखकर शैलजा अंगारे उगलने लगी।, , 1५०.-4. अंगूठा दिखाना : साफ मना करना), मैंने मुकेश से मदद मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।, , 1५०.-5. अंधे की लकड़ी होना : असहाय व्यक्ति का एकमात्र सहारा होना), रमाकांत अपने वृद्ध माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।, , 1५०.-6. अक्ल का अंधा होना : मूर्ख), मोहन तो अक्ल का अंधा है, उसे अपना भत्रा-बुरा भी दिखाई नहीं देता।, , 1५०.-7. अक्ल का दुश्मन होना : मूर्ख), बबीता से कितनी बार कहा कि हमेशा अक्ल की दुश्मन मत बनो, समझदारी से काम लो किंतु वह, सुनती ही नहीं।, , , , 1५०.-8. अक्ल चकराना : कुछ समझ में न आना), परीक्षा में प्रश्न-पत्र को देखकर मेरी अक्ल चकराने लगी।, , 1५०.-9. अपना उल्लू सीधा करना : अपना मतलब निकालना (स्वार्थ पूरा करना)।, स्वार्थी लोग अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। * रमेश को तो अपना उल्लू सीधा करना था अब, वह शुभम से बात भी नहीं करता।
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1४०.-10. अपना-सा मुंह लेकर रह जाना : शर्मिंदा होना, झूठ पकड़े जाने पर वैशाली अपना-सा मुंह लेकर रह गई।, , , , |५०.-11. अपने पांवों पर आप कुल्हाड़ी मारना : अपना नुकसान खुद करना, रामपाल ने लगी लगाई नौकरी छोड़कर अपने पांवों पर आप कुल्हाड़ी मारी है।, , 1५०.-12. अपने मुंह मियां मिट॒ठू बनना : अपनी प्रशंसा स्वयं करना, अंकिता को कभी किसी की प्रशंसा करते नहीं देखा वह सदा अपने मुंह मियां मिट॒ठू बनती रहती है।, , 1५०.-13. आंखें खुलना : होश आना, अब मैं तुम्हारी बातों में नही आऊंगा अब तो मेरी आंखें खुल गई हैं।, , , , 1५०.-14. अक्ल पर पत्थर पड़ना : बुद्धि अष्ट होना (बुद्धि से काम न लेना), नीता की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे जो सीमा जैसी चाल्रक लड़की से मित्रता कर बैठी। * परीक्षा आने, से पहले पढ़े नहीं, तब क्या अक्ल पर पत्थर पड़े थे।, , 1५०.-15. आंखें तरसना : किसी को देखने की तीव्र इच्छा होना, मोहन विदेश क्या गया उसे देखने के लिए उसके माता-पिता की आंखें तरस गईं।, , , , 1५०.-16. आंखें फेर लेना : बदल जाना।, सरिता के अधिक अंक क्या आ गए उसने अपनी सहेलियों से भी आंखें फेर लीं। * बुरा वकत आने पर, अपने भी आंखें फेर लेते हैं।, , 1५०.-17. आंखों में धूल झोंकना : (धोखा देना), चोर पुलिस की आंखों में धूल झोंककर गायब हो गया।, , 1५०.-18. आकाश से बातें करना : बहुत ऊंचा होना, न्यूयॉर्क की इमारतें आकाश से बातें करती हैं।, , 1४०.-19. आकाश-पाताल एक करना : बहुत परिश्रम करना।, दौड़ जीतने के लिए सुनंदा ने आकाश-पाताल एक कर दिया।
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1४०.-20. आंखों का तारा होना : बहुत प्रिय।, बच्चे माता-पिता की आंखों के तारे होते हैं।, , 1४०.-21. आकाश-पाताल का अंतर होना : बहुत अधिक अंतर होना, उन दोनों भाइयों के स्वभाव में आकाश-पातात्र का अंतर है।, , 1५०.-22. आग-बबूला होना : गुस्से से भर जाना, दफ्तर देर से आने पर बड़े बाबू मोहन पर आग-बबूला होने लगे।, , 1४०.-23. आसमान सिर पर उठाना : बहुत शोर करना, अध्यापक के न होने के कारण सारी कक्षा ने आसमान सिर पर उठा रखा है।, , 1५०.-24. आस्तीन का सांप होना : धोखेबाज होना, रोहित को पता नहीं था कि विजय आस्तीन का सांप निकलेगा।, , 1५०.-25. इशारे पर नाचना : वश में होना।, आजकल तो पुलिस भी नेताओं के इशारे पर नाचती है।, , 1४०.-26. आपे से बाहर होना : अत्यधिक क्रोध करना (क्रोध को वश में न रखना)।, छोटी-छोटी बातों पर आपे से बाहर होना अच्छी बात नहीं है। * अपनी मां के लिए अपमानजनक शब्द, सुनकर देवेश आपे से बाहर हो गया।, , , , 1५०.-27. ईंट का जवाब पत्थर से देना : दृष्ट से दुष्टता का व्यवहार करना, महेश ने रामपाल को धोखा दिया तो रामपाल ने भी ईंट जवाब पत्थर से दे दिया।, , 1५०.-28. ईंट से ईंट बजाना : नष्ट-अष्ट कर देना।, जांबाज सिपाहियों ने डाकुओं की ईंट से ईंट बजा दी।, , 1३०.-29. ईद का चांद होना : कभी-कभी दिखाई देना (बहुत दिनों के बाद दिखाई देना)।, अरे, शालिनी तुम तो ईद का चांद हो गई हो। * अरे! अजय, तुम तो आजकल्र दिखाई ही नहीं देते;, बिलकुल ईदा का चांद हो गए हो।