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जंजीरे:, , उत्तर1:, उत्तर2:, , पहिया:, , उत्तर1:, - महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई।, . कृषि उत्पादों को समीपवर्ती गाँवों में बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी व आत्मनिर्भर, , उत्तर3:, , , , पाठ - 13, जहाँ पहिया हैं, , लेखक जंजीरों द्वारा रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है।, , "...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही, लेते है.. लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक, समय तक बंधनों में नहीं रह सकते। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को, लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रुढ़ियों के, बंधनों को तोड़ डालती है। ठीक वैसे ही तमिलनाडु के पुड़कोट्टई गाँव में हुआ है। महिलाओं, ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरंभ किया और वह, आत्मनिर्भर हो गई।, , 'साइकिल आंदोलन' से पुड़कोइई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए , हो गई।, समय और श्रम की बचत हुई।, , - स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई।, उत्तर2:, , शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया क्योंकि उन्हें डर था इससे नारी समाज, में जागृति आ जाएगी। आर. साइकिल्स के मालिक गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर, थे, इस आंदोलन से उसकी आय में वृद्धि होना स्वभाविक था। इसलिए उसने स्वार्थवश, आंदोलन का समर्थन किया।, , फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना, पड़ा। उसे लोगों की फ़ब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी। फातिमा मुस्लिम परिवार से, थी। जो बहुत ही रुढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया। पुरुषों ने, भी इसका बहुत विरोध किया। दूसरी कठिनाई यह थी कि लेड़ीज साइकिल वहाँ पर्याप्त, संख्या में उपलब्ध नहीं थी।