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मुख से, 1. कवि ने अपने आपको पवित्र धरती का बेटा कहा है।, 2. खेतों के अधिकार को ऊँची-ऊँची इमारतों ने छीन लिया है ।, 3. युवकों की आँखें शहरों का सपना देखती हैं। उन्हें शहरों की चकाचौंध लुभाती है।
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लेखिनी से, 1. क. गोदी, ख. शहरों, ग. तुच्छ, घ. मुद्रा, ङ इमारतों, 2. क. वही पात्र गाँव के लोगों के लिए कहा गया है ।, ख. पहले लोग खेती करते थे, उसमें गर्व महसूस करते थे। सब साथ बैठकर भोजन करते थे गाँव की, हवा स्वच्छ थी, चारों तरफ़ हरियाल थी। कुओं और नदियों में पानी था। समय से वर्षा होती थी।, ग. वे दृश्य अब बदल रहे हैं। लोग शहरों की ओर भाग रहे हैं। खेतों पर इमारतें बनती जा रही हैं।, नदियों व कुओं का पानी सूखता जा रहा है। प्रदूषण के कारण हवा भी स्वच्छ नहीं है।, घ. इन बदले हुए दृश्यों के कारण खेत कम होते, वाली पीढ़ियाँ हमें कोसेंगी। हम उन्हें भूखा भारत देंगे।, रहे हैं। फलत: अनार, कम होता जाएगा। आने, 3. अन्नपूर्णा, गाँव की धरती, कुएँ का पानी, स्वच्छ हवाएँ, युवकों के सपने, शहरों को भागना, खेत उजाड़ना, भूखा भारत, खेत बचाना, भूख मिटाना, कुछ शब्दों में, 1. गाँव के युवक शहरों की ओर भाग रहे हैं ।, 2. कवि अपने बापू को रोज़ सुबह खेतों में जाते हुए देखता था ।, 3. महलों की ऊँची दीवारें हमें भूख देंगी।, कुछ वाक्यों में, 1. कवि ने गाँव की धरती को पावन कहा है। वह अन्नपूर्णा है । बचपन में वह इसी की गोद में खेला, है। पिता सुबह खेतों में जाते और माँ खाना लेकर जाती। सब तरफ़ हरियाली है। कुएँ तथा नदियों में, पानी रहता है। स्वच्छ हवा है तथा वर्षा समय से होती है।, 2. खेत हमें फ़सलें देते हैं, अनाज देते हैं, हमारी भूख मिटाते हैं । मानव जाति का पालन- पोषण खेतों में, उगाए अन्न से ही होता है। इसलिए यह उनका अधिकार है कि उन्हें रहने दिया जाए। परंतु बढ़़ते हुए, शहर धीरे-धीरे आस-पास के खेतों को समाप्त करते जाते है किसानों से खेत खरीद लिए जाते हैं, और ज़मीन पर ऊँची-ऊँची इमारतें बन जाती हैं।
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3. खेत समाप्त हाते जा रहे हैं अर्थात् भोजन का स्रोत खत्म हो रहा है । खेत न होंगे तो आने वाली पीढ़ी को, भोजन कहाँ से मिलेगा। वे हमसे पूछेंगे कि जब वर्तमान पीढ़ी को धन- धान्य से भरा हुआ भारत मिला, तो उन्हें खेत-खलिहानों से रहित भूखा भारत क्यों दिया।, मेरे विचार से, 1. धरती है कि उसपर कम से कम तोड़-फोड़ तथा खुदाई हो।, धरती की पुकार है कि उसपर खेत हों, वन हों।, सभी प्राणी सुख चैन से रहें।, 2., हमारा मुख्य व्यवसाय कृषि है। यह प्राचीन काल से चला आ रहा है।, धरती उपजाऊ है, मौसम अनुकूल है।, पूरे वर्ष कुछ-न-कुछ पैदावार होती है। दो फरसलें हैं ।, सिंचाई के साधन है, वर्षा भी अच्छी है।, 3., जनसख्या के साथ नगरों का विस्तार होने लगा।, खेतों की ज़मीन पर सड़के, पुल, बाँध और इमारतें बनने लगी।, धीरे-धीरे खेत और खाली जगहें कंक्रीट में बदलने लगी।, यह प्रक्रिया अब भी तेज़ी से चल रही है।, भाषा और व्याकरण, 1. आँचल, दामन, पात्र, बरतन, मुद्रा, सिक्के, सोना, स्वर्ण, -, 2. दौड़ना, दौड़, उलझना, उलझन, सजाना, सजावट, थकना, थकान, पूजना, पूजा
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मुख से, 1. अंतरिक्ष में जाते वक्त हम पृथ्वी की तुलना में लगभग तीन गुना गुरुत्वाकर्षण बल महसूस करते हैं ।, 2. अंतरिक्ष केंद्र 24 घंटे में 15 से ज्यादा बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है ।, 3. अंतरिक्ष केंद्र में चलना उड़ने जैसा है। वैसे ही जैसे सुपरमैन उड़ता है।
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लेखिनी से, 1. क. (iv), ख. (iii), ग. (i), घ. (ii), ङ. (v), 2. क. अंतरिक्ष यात्री गैरेट रेसमैन ने तीन महीने अंतरिक्ष केंद्र में बिताए।, ख. इसमें सात खिड़कियाँ थी।, ग. अंतरिक्ष केंद्र बहुत ही बड़ा होता है-विशाल और अद्भुत वहाँ से पृथ्वी का दृश्य भी अद्भुत, होता है। वहाँ का जीवन असाधारण है इसलिए उसे एक असाधारण अनुभव कहा है।, 3. क. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कें द्र, घ. सेरगई, ख. अंतरिक्ष, ग. शौचालय, ङ. 300, कुछ शब्दों में, 1. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अलग अलग क्वार्टर होते हैं जिनमें छोटी-सी खिड़की होती है। इसमें से, आवाज़ बाहर नहीं जा सकती।, 2. अंतरिक्ष केंद्र में नहाने के लिए पानी के जैट और गीले नैपकिन का प्रयोग होता है।, 3. वहाँ यात्री 8.10 बजे से 1 बजकर 5 मिनट तक काम करते थे।, कुछ वाक्यों में, 1. अंतरिक्ष में शौचालय हवा के दबाव से संचालित होते हैं। जो काम पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण करता है, वह काम एक पंखा करता है। वहाँ सारे अपशिष्ट को रीसायकल कर दिया जाता है । मंजन वहाँ पर, निकालना पड़ता है। गिरने पर पानी गोल गेंदों में बदल जाता है, इसलिए कोई सिंक नहीं होता। नहाने, के लिए पानी के जेट और गीले नैपकिन का प्रयोग होता है।, 2. यात्रियों को स्लीपिंग बैग में सोना होता है। उन्हें पढ़ने के लिए लैंप और ज़रूरत का सारा सामान, मिलता है जिसे वे दीवारों में लगी जालियों या दराज में रखते हैं। एक अलमारी भी होती है। एक, लैपटॉप भी दिया जाता है।, 3. अंतरिक्ष में मंजन करना लगभग वैसा ही है जैसा पृथ्वी पर होता है। यहाँ कोई सिंक नहीं होता इसलिए, टूथपेस्ट की झाग थूक नहीं सकते। गिरने पर पानी के गोले बन जाते हैं। इसलिए टूथपेस्ट निगल लिया, जाता है। वहाँ का टूथपेस्ट निगलने वाला होता है।