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दब अर कारक पहन क जाती है # ०, रहने के कारण स्वच्छ दिखाई देता है ।, , मनाने का 5 1-1 कहते हैं कि भगवान् राम रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण., के साथ इसी दिन अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में नगर को, -अजाया था और दीपक जलाए थे ॥, मनाने के ढंग- (दीपावली का कार्यक्रम कई दिनों तक पका है ॥|इसका प्रारम्भ, कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी से होता है । इसे धनतेरस भी कहते हैं। लोग बर्तन, , आदि खरीदते हैं । इसी दिन वैद्य लोग धन्वन्तरि जयन्ती मनाते हैं। अगले दिन नरक रात्रि को होत, चतुर्दशी होती है । इसको छोटी दीपावली भी कहते हैं |इस दिन केवल एक दीपक जलाया जाता है। मुख्य उत्सव अगली रा, , दीपकों और रंग-बिरंगे बलों ओं से सजाते हैं।, समय लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती का पूजन होता है। लोग घरों, दुकानों और कार्यालयों को दीपकों और रंग-बिर मी दस कि, सभी नये वस्त्र पहनते हैं और प्रसन्न दिखाई देते हैं । लोग अपने इष्ट-मित्रों और रिश्तेदारों को मिठाइयाँ खिलाते हैं ॥ ड्ॉपावल, , , , , , नि-पूजा और तीसरे दिन भैया दौज के उत्सव मनाए जाते हैं ।, दीपाजली का महत्त्व-(दीपावली अत्यन्त महत्त्वपूर्ण त्योहार है । इस उत्सव पर घरों की सफाई-पुताई अवश्य की जाती है । कक न, , सारी गन्दगी साफ हो जाती है । दीपक (जलने से भी वातावरण शुद्ध होता है । मच्छर आदि बीमारी फैलाने वाले कीट-पतंगे मर खा गा गम हि, कुरीतिय्रो- (कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं । हजारों रुपए जुए में हारकर लोग दूसरों के ऋणी हो जाते हैं । अब बच्चों में पटा ड़, , चलन बहुत हो गया है | पटाखों के कारण कभी-कभी भयंकर दुर्घटनाएँ हो जाती हैं । प किक, उपसंहार--दीपावली वास्तव में एक पवित्र और महत्त्वपूर्ण त्योहार है । यह हमें प्रसन्नता और सम्पन्नता का वरदान देता है । यदि हम अपने स, , के कुछ दोषों को दूर कर सकें तो दीपावली हमारे लिए अवश्य ही मंगलमय सिद्ध होगी ।, ह्ल्मिल्ल टन कर कम