Page 1 :
1:>आफ्रहाचिकता का जाए, , मं पर आस्था रखने बाले लोगों को वर्ग संप्रदाय, सजा शी, क अन्य मत चलाता है तो उस मत को मानने वा. रही जाता है। कि, , , , ् मानने वाले लोगों विशेष सप्रदाय, ममान दृष्टि से देखता है। यहाँ ध (भी साय कहलाता है हफा सर, है ! समा हीं पर जितने धो को मानने वाले लोग हा है तारा है। हा देश, उहने संभवत: विश्व के, , , , अथवा मतों का मूल एक ही, खाता है। परंतु जो धम॑ इस भावना के विपरीत ०३७६, , ग अपने निजी स्वार्थों को सिदूध करने ४.23, । आज अपने को श्रेष्ठ कहलाने के लिए आतुर, गह रहे हैं। सांप्रदायिकता का जहर इस सौमा, पामा से हटकर संघर्ष का रूप ले लिया है। बहुत से, , , , , , तुर है। इसके लिए वे किसी भी सोमा तक जाकर दूसरों, , , , तक फैलता जा रहा है कि कहाँ-कहों इसने, लोग बलपूर्वक धम्म-परिवर्तन के लिए दूसरों को, , 1 को आड में लोग मानवता और धर्म को भुला से है। वे नन्हे-तन्हे मासुप बच्चों, गोद से उनके बच्चे छिन गए। कितनी हो औरतें युवाकस्था में हो वैधव्य का कष्ट झेल रही है, वा हो रहा है। लोगों के राजनीतिक स्वार्थ ने भी प्राय: सां्रदायिकता को हथियार को तरह प्रयोग किया, से दूसरे को धर्म अथबा जाति के नाम पर अलग कर वे हमेशा से हो अपना स्वार्थ सिदूध करते रहे है।, पर राजनीतिज्ञों ने प्राय: अपनी रोटियाँ सेंको हैं परंतु इस सबक लिए दोषी सिर्फ़ राजनोतिक्ष पहों, को हानि पहुँचाने की मूर्खता हम लोग हो करते हैं। हालाँकि सभी राजनीतिज्ञों को दोष देने को परपश, 7] यह सत्य है कि कुछ स्थानीय सांप्रदायिक नेतागण अपने संप्रदाय को सहानुभति के लाभ में ओछी, 'म देते रहे हैं। हमें ऐसे तत्वों से हमेशा सावधान रहना चाहिए।, ।कता का जो सबसे खतरनाक रूप है, वह हमारे मर्म को हो बेध जाता है। वे अपना संबल तथाकथित धमं, टन हैं। भारतीय संसद पर हमला, गुजरात के भौषणतम दंगे, कश्मीर में जेहाद, अमेरिका पर अमान, अपहरण कांड में लगधग चार सौ मासूमों की बलि. ये सा बाते, कैसे जायज ठहराया जा सकता है। आज भारत हो नहीं, संपूर्ण, है। हमारा देश हालांकि अपने उदार धार्मिक जकरिए के लिए., 'लेकर अपने हो अतीत को कलकित करने का कार्प का, , न्वो को भी नहोँ छोड़ रहे, , , , , , , , , , , , , 'विषपान करने के लिए अभिशल, परंतु कुछ लोग कद्टरवाद का सहाए, , उस समय के लोग, विभिनत संप्रदायों का अस्तित्व था परत दूघातों, , बौदूध, जैन आदि के लग दूसरे से दार-चिवाद के, लेते थे। उस समय प्रत्येक संप्रदाय, करता था जिससे मानव के विकास के, , , , (टायिकता वास्तविक रूप में यह, । को बहुत पीछे धकेल देती है। हक कर उनका समान रूप, आएँ। हर धर्म को समभाव सकेंगे।, मे माप्रदायिकता का संघूल विश