Page 1 :
कील अमल लीक अल शककिलल न आल ल न कली लकरन लकी लत..., , , , , , अपठित बोध, , ७॥५७९७॥ ?8559986, , आज इुजच 5, , अपठित अर्थात बिना पढ़ा हुआ। ऐसा गद्यांश या पद्यांश जिसका निर्धारित पाठ्यपुस्तक से कोई, संबंध नहीं होता, अपठित गद्यांश या पद्यांश कहलाता है। ये गद्यांश या पद्यांश पाठ्यक्रम से, भिन्न किसी पुस्तक, समाचार पत्र या पत्र-पत्रिकाओं से लिए जाते हैं।, , अपठित बोध को पाठ्यक्रम में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों कौ बौद्धिक, गहराई का मूल्यांकन करना होता है। इससे इस बात की जानकारी मिल जाती है कि विद्यार्थी, में भाषा का विकास किस स्तर का है। अपठित बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को दिए गए अवतरण, , (गद्य/पद्य) पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखने होते हैं। /, अपठित बोध के प्रश्नों का उत्तर देते समय इन्हें ध्यान में रखें, « विद्यार्थियों को अपठित गद्यांश या पद्यांश के मूलभाव को समझने के लिए उसे, तीन-चार बार अवश्य पढ़ना चाहिए। इससे मूलभाव समझ में आ जाने के बाद उत्तर, , लिखना आसान हो जाता है।, , « प्रश्नों के उत्तर मूल अवतरण में ही होते हैं, अत: उत्तर मूल अवतरण में ही ढूँढ़ने चाहिए।, , « प्रश्नों के उत्तर में मूल अवतरण के कुछ शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, किंतु, पूरा उत्तर अपने शब्दों में ही देना चाहिए।, , « प्रश्नों के उत्तर प्रसंग और प्रकरण के अनुकूल संक्षिप्त, स्पष्ट, सरल भाषा में देने चाहिए।, , *« अवतरण का शीर्षक उसके मूल भाव पर केंद्रित रहना चाहिए। साथ ही शीर्षक का, सरल एवं संक्षिप्त होना ज़रूरी होता है।, , यहाँ अभ्यास के लिए कुछ गद्यांश/पद्यांश दिए जा रहे हैं।, , निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़ें तथा उनके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें, हमारी हिंदी एक सजीव भाषा है, इसी कारण इसने अरबी, फ़ारसी आदि भाषाओं के संपर्क में, आकर इनके शब्द ग्रहण किए हैं और अब अंग्रेज़ी के शब्द भी ग्रहण कर रही है। इसे दोष, नहीं, गुण समझना चाहिए। अपनी इस ग्रहण-शक्ति के कारण ही हिंदी भाषा समृद्ध हो रही है।, ज्यों-ज्यों इसका प्रचार बढ़ेगा त्यों-त्यों इसमें नए शब्दों का आगमन होता जाएगा। क्या भाषा
Page 2 :
लिए पक्षपात करनेवालों में यह शक्ति है कि वे विभिन्न, , के, दें? यह कभी संभव नहीं जातियों, की भाषाओं के शब्दों लेन है. तो केवल इस, तर द्, श्षर्हि ही सके और उसका निरंतर विकास होता रहे। हमारी भाषा हिंदी, , हैक न, गदयांश के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दें, पा दी, हा. हिंदी हि. भाषा है? उसमें किन-किन भाषाओं के शब्द आ गए हैं?, 2. गद्यांश के आधार पर सजीव भाषा की परिभाषा क्या होगी?, 2. हिंदी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? “, 4. हिंदी में विदेशी भाषा के शब्दों का आगमन क्यों उचित है?, 5. गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा? ४, न. हिंदी सजीव भाषा है। हिंदी में अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं के शब्द आ, , गए हैं।, जो भाषा नए-नए शब्दों को, विदेशी भाषाओं के शब्दों को ग्रहण करके अपनी, शक्ति में निरंतर वृद्धि करती रहती है, उसे सजीव भाषा कहते हैं।, , अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण कर अपना शब्द-भंडार समृद्ध करना हिंदी भाषा की, , सबसे बड़ी विशेषता है।, शब्दों का आगमन इसलिए उचित है क्योंकि विदेशी भाषाओं, , 4. हिंदी में विदेशी भाषाओं के श, के शब्दों को ग्रहण करके हिंदी अपनी शक्ति में निरंतर वृद्धि कर रही है।, 5. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा- “हिंदी की समृद्धि', , ््फ्ककत, , संसार के प्राणियों के लिए ऊर्जा परम है। पड आह पा से ऋण ३, सूर्य से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा सौर ऊर्जा न अर मद कोयला, पेट्रोल, प् निर्भर रहते हैं। उसके विभिन्न स्रोतों मे के पारंपरिक स्रोत - कद) |] के, मिट्टी का तेल आदि हैं। आधुनिक युग में जल ऊर्जा, गैस ऊर्जा, उन्हें गैर पारंपरिक स्रोत कहा जाता है। कि अर्जा। बन उ पारंपरिक, ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा हा और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खोज, , है प्रात होनेवाली ऊर्जा की कमी के कार
Page 3 :
उपर्युक्त गदयांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर देंप्रश्न: 1. संसार के प्राणियों के लिए क्या आवश्यक है?, 2. सौर ऊर्जा किसे कहते हैं? ह, , 3. ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत कौन-कौन से हैं?, , 4. ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों के नाम लिखिए।, , क्यों प्राप्त की जा रही है?, , , , 5. गैर पारंपरिक स्रोतों से ऊर्जा, 6. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।, , संसार के प्राणियों के लिए ऊर्जा परम आवश्यक है।, , 1, 2. सूर्य से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं।, , 3. ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, मिट्टी का तेल आदि हैं।, , 4. ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत ईंधनवाली ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सौर ऊर्जा,, , गैस ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि हैं।, पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा की कमी के कारण गैर पारंपरिक प्ोतरों, , से ऊर्जा प्राप्त की जा रही है।, 6. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा- “ऊर्जा और उसके प्रकार!।, , निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें, पदयाश (11 ५॥॥], , पंथ पर चलना तुझे तो मुसकराकर चल मुसाफ़िर, याद रख जो आँधियों के सामने भी मुसकराते,, वे समय के पंथ पर पद-चिहन अपने छोड जाते।, चिह्न वे जिनको न धो सकते प्रलय-तूफ़ान घन भी,, मूक रहकर जो सदा भूले हुओं को पथ बताते।, प्रश्न : 1. यह कविता किसको संबोधित करके लिखी गई है?, , 2. मुसाफ़िर से कवि किस प्रकार चलने को कहता है?, , 3. कौन अपने पद-चिहन छोड़ जाते हैं? 0., , 4. किसके पद-चिहन अमिट रहते हैं? और भूलों को राह कौन बताता है?, , 5. पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए, , उत्तर :, , हा
Page 4 :
| 1, यह पदूयांश मुसाफ़िर (आम आदमी) को संबोधित, ४008 का चलने को कहता है। ८, जा अर्थात् कठिनाइयों के सामने हार मा, को 7र नहीं मानते वे अपने 'पद-चिहन छो।, 4. जो मुसीबतों और कठिनाइयों से घबराते नहीं और आगे बढ़ते है, ते जाते हैं,, निशान अमिट रहते हैं और कभी भी नहीं मिटते। बे दूसरों को रास्ता देबा हम गा, 5. पद्यांश का उचित शीर्षक होगा- 'मुसकराकर चल मुसाफ़िर", , अभ्यास, , लिखा गया है।, , , , , निम्नलिखित गदयांशों/पद्यांशों के आधार पर प्रए्नों के उत्तर देंगदयांश-1, , आज देश स्वतंत्र है। हमें अपनी शक्ति की वृद्धि करनी है जिससे हमारी नवीन स्वतंत्रता, की रक्षा हो सके। आए दिन ऐसे संकट हमको चुनौती देते रहते हैं, जिनसे निपटने के लिए एक, शक्तिशाली सेना की आवश्यकता है। अगर स्कूलों में ही देश-सेवा की भावना पक्की हो जाए. त्तो, भ्रविष्य के लिए यह बहुत बड़ी शक्ति हो सकेगी। प्राचीन काल में भी आश्रमों में छात्रों के लिए, बेद-शास्त्रों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा का भी प्रबंध होता था। द्रोणाचार्य ने कौरवों और, पांडवों को अपने आश्रम में सैन्य-शिक्षा दी थी। सैनिक शिक्षा से व्यक्ति में तत्परता, सेवा, निर्भयता,, परिश्रमशीलता के साथ-साथ अनुशासन जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है, जो जीवन के, संघर्ष में व्यक्त की सहायता करते हैं। भारतीय संस्कृति शांति-प्रधान है लेकिन इसका यह अर्थ, नहीं कि हम अपनी शक्ति में वृद्धि न करें। आज सादा संसार सैनिक शिक्षा पर जितना ध्यान दे, रहा है, उस्चे, देखते हुए हमारे लिए भी इस ओर कदम उठाना आवश्यक हो जाता है।, , , , 13, हमें अपनी शक्ति की वृद्धि क्यों करनी चाहिए? हर, छिलीत 2प्वर्तक्रतण तीए शक्ति “पलिए- छोर“ उधनी 20कित/ जी बृदीशि कश्मी्, 2. स्कूलों में देश-सेवा की भावना मज़बूत करने से क्या लाभ होगा? _ ०1, हक हे ४६-औएठए की चुएबमा अबू कामे पे उसेत देव बी शितओ वे दे सिए, 3, प्राचीन काल में आश्रमों में कैसी शिक्षा दी जाती थी? झिहैप ६६, पर कक से. अप भें“ वेढटशात “का अस्ास्शसा' वी शिक्षा “दी जाते थी |, जे सैन्य-शिक्षा से किन मानवीय गुणों का 'विकास होता है?, 5 न, अल पे कमा लि छोका है ।, , 3 | लत