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मंत्री, , महारानी :, , सेनापति :, , महारानी :, , सेनापति :, महारानी :, , सेनापति :, : परसों सूर्य की पहली किरण फूटने से पहले हमें खुर्दा पर चढ़ाई कर देनी चाहिए। शत्रु को सचेत, , महारानी, , महारानी :, , ( रानी सिंहासन पर बैठी हैं।), , : (महारानी को सलाह देते हुए) महारानी! अब तो एक ही रास्ता बचा है कि शत्रु से हार मानका, , आत्म-समर्पण कर दें।, (आग बबूला होकर) मैं एक सच्ची क्षत्राणी हूँ। शत्रु के सामने नहीं झुक सकती। ऐसा सोचन, भी हमारे लिए शर्मनाक है।, महारानी जी, राजा के न रहने से सेना का मनोबल टूट चुका हे। खुर्दा की विशाल सेना से जीत ।, पाना संभव नहीं है। राज्य का कुछ हिस्सा खुर्दा के राजा को देकर, संधि कर लेने में ही, समझदारी है।, , (रानी गुस्से से उठ खड़ी हुई और चहलकदमी करती हें।) |, (पूरे जोश के साथ) सेनापति जी, हम अपनी ज़मीन का एक टुकड़ा भी उन्हें नहीं देंगे। अगर|, आपको लड़ाई से डर लगता है, तो अपने घर जाकर छिप जाइए॥ (उत्तेजित स्वर में) अगर कोई | ४, भी मेरे साथ युद्ध में चलने के लिए तैयार नहीं है, तब भी में अपने अधिकार के लिए युद्ध, करूँगी। मैं एक औरत हूँ, लेकिन कमज़ोर नहीं। में अकेले ही यह लड़ाई लड़ूँगी।, (सिर झुकाकर , हाथ जोड़ते हुए) क्षमा करें महारानी जी! हम सब आपके साथ हैं।, केवल वे मेरे साथ चलें, जिन्हें मृत्यु से डर न लगता हो। केवल वे लोग शस्त्र उठाएँ, जिन्हें अपने, देश की स्वतंत्रता अपने प्राणों से अधिक प्यारी हो। केवल वे योद्धा चलें, जिन्हें अपने देश के, लिए मर-मिटने में सोचना न पडे।, , (मंत्री और सेनापति भी जोश से भर गए।), , प्रत्येक सिपाही अपने देश के लिए आख़िरी साँस तक लड़ेगा।, , होने का समय नहीं देना चाहिए। सेनापति जी! जल्दी से कूच करने की तैयारी कीजिए।, , (कूच करने से पहले रानी ने सेना का निरीक्षण किया।), (ललकारते हुए) बंकी के वीर सिपाहियो! आपके वीर राजा ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने, प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि देश की प्रतिष्ठा के लिए हम अपने प्राणों, को दाँव पर लगा दें।, , कि, 66 हिंदी
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(खुर्दा का राजा अपनी जीत का समारोह मना रहा था । तभी राजा को सूचना मिली।), : महाराज! बंकी की रानी ने आक्रमण कर दिया है।, ! (हक््का-बक्का होकर) अरे! वह तो राजा की मं पर दस, , दुख और शोक के आँसू बहा रही होगी ;, फिर वह हमसे टक्कर लेने की हिम्मत कैसे कर सकती है!, , प्ेत्ापति : ( सिर झुकाकर) महाराज! लेकिन यह सच है कि रानी शुकदेई ने आक्रमण कर दिया है।, , : (गुस्से से) तो जाओ, युद्ध की तैयारी करो। रानी को हराना हमारे सोचिए और बताड़एंहे बाएँ हाथ का खेल है। इस युद्ध में कौन जीतेगा?, महारानी : (पूरे जोश के साथ) वीरो! मुझे आपके साहस पर पूरा भरोसा है।, , चलो वीरो! आगे बढ़ो और शत्रु के छक्के छुड़ा दो।, (घमासान युद्ध शुरू हो गया। रानी बहुत साहस और चतुराई से लड़् रही थीं ! श् के सिपाहों उनके सामने टिक, नहीं पा रहे थे। इतने में खुर्दा के सेनापति लड़ाई में मारे गए। सेना में खलबली मच गई और वह, , ५ के खे खेमे घुस गई ओर ? खुदा के राजा को बंदी बना लिया ), ७ भाग गई। बंका को सना खुदा के राजा के खमे में ञ, , , , ने उसे बहुत लज्जा आ रही थी।), वे को बंदी बनाकर रानी शुकदेई: के सामने लाया गया। उसे बहुत लज्जा, (खुर्दा के राजा को बंदी बनाव * हे सन, राजा ; (मन-ही-मन सोच रहा था।) वह एक स्त्री के 3 सह शहर, बनकर खड़ा है। इस हालत में पहुँचने से तो रणभूमि में ही मा, , के राजा के साथ क्या करेंगी?, जाता, तो अच्छा था। अब रानी बदला अवश्य लेगी।, , 3 जद, हिंवी
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महारानी :, , राजा, , महारानी :, , राजा, , महारानी :, , सेनापति :, , महारानी :, , राजा, , (आदेश देते हुए) राजा के हाथों और पैरों के बंधन खोल दिए जाएँ। अब आप खुर्दा जा सके, , हैं। आप मुक्त हैं।, , (यह सुनकर खुर्दा का राजा चौंक गया।), , (हक््का बक्का होकर सोच रहा था।) रानी मृत्युदंड के बदले न केवल, जीवनदान दे रही है बल्कि राज्य भी वापस कर रही है।, आप स्वतंत्र हैं। अपने घर जा सकते हैं।, , (हाथ जोड़कर) महारानी, आप बहुत दयालु हैं।, मैंने जो अनर्थ किया, उसके बावजूद आप मुझे, जीवनदान दे रही हैं।, , (गंभीरता से) आप मेरे बंदी हैं। यदि मैं चाहूँ तो, आपका सिर कटवा सकती हूँ। लेकिन ऐसा, करने से मेरे पति तो जीवित न होंगे! जो दुख, मुझे इतना दर्द दे रहा है, वही दुख में आपको या, आपके परिवार को कैसे दे सकती हूँ! मैंने आपसे है के, युद्ध इसलिए किया था कि बंकी का खोया हुआ ५, सम्मान वापस ला सकूँ। मैंने बदले की भावना से युद्ध नहीं किया था।, , (हेरानी से) क्षमा कीजिए महारानी! लेकिन जिसने हमारे राजा को युद्ध में मार डाला, क्या आप, उसे यूँ ही जाने देंगी?, , जो दुख मेरे लिए असहनीय है, वह दुख और दर्द किसी दूसर को देकर मुझे सुख की अनुभूति, केसे हो सकती है! ऐसा करने से मेरी जीत में भी मेरी हार है।, , भर आईं।), , , , , , , , , (यह सुनकर राजा की, , : महारानी जी! आप महान हैं। आप न केवल युद्ध के मैदान में जीती हैं बल्कि आपने मेरा और, , सार खुर्दा निवासियों का दिल भी जीत लिया है। मैं हमेशा के लिए आपका ऋणी हो गया।, श्रदृधा के रूप मे पूरा 'कुसापल' आपको देता हूँ और प्रण करता हूँ कि खुर्दा की एक भी, , तलवार बंकी के विरुद्ध कभी नहीं उठेगी।, (रानी शुकदई की सहृदयता की प्रशंसा करता हुआ खुर्दा का राजा वापस चला गया। )), , (पएढा गिएता है।), -किरण कपस्तूरिया, , £ प्रेम, हृदय-परिवर्तन, त्याग और, 4. ॥17919168 ०10५७, लाक्ाव९ सा! ॥शाप्ाढांगांगा बात न