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रिक पत्र- औपचारिक, , हा पत्रों ;, , प्रार्थना पत्र (अबकाश, रा तीन जो में विभाजित किया जा सकता है, _ क्वार्यालयी पत्र (किसी सरकारी कक ँ 0, आदि के लिए लिखे जाने बाले पत्र)।, |. व्यावसायिक पत्र ( “कारी, विभाग आदि को लिखे जाने वाले पत्र)।, , ड़ का ' अकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे जाने वाले पत्र आदि)।, , पचारिक पत्र के निम्नलिखित सात अंग होते हैं-1. प्रेषक का पता : गली, /कॉलोनी, का /मोहल्ला, शहर, पिनकोड, राज्य।, 3. पत्र प्रापक्त का पदनाम तथा पता, 4. विषय-जिसके बारे में पत्र लिखा, ही लिखना चाहिए।, $ 5. संबोधन-महोदय, माननीय आदि (औपचारिक पत्र में); प्रिय, पूज्य/पूज्या, आदरणीय आदि, (अनौपचारिक पत्र में)।, 6. विषयवस्तु-इसे दो अनुच्छेदों में लिखना चाहिए। ', , पहला अनुच्छेद - अपने विषय/समस्या के बारे में लिखें।, , दूसरा अनुच्छेद - आप पत्र पाने वाले से क्या अपेक्षा रखते हैं, उसे लिखें तथा धन्यवाद के साथ, , समाप्त करें।, 7. हस्ताक्षर व नाम-भवदीय/भवदीया के नीचे अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।, , जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में, , अनौपचारिक पत्र, , क पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए, , , , , , हि भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।, , पद व कार्य के अनुकूल संबोधन, अभिवादन व पत्र की भाषा होनी चाहिए।, , पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।, , पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।, , भाषा और वर्तनी शुद्ध तथा लेख स्वच्छ होना चाहिए, , यत्र-प्रेषक व प्रापक का पता साफ़ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।, , कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन, चाहिए।, , ..._ स्थान पर क०ख०ग० लिखना जा, , क् ७ अपना पता और दिनांक लिखने के जार एक पति |डुकर आगे, , ५0१००००७