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[.,९॥९/ /४४४४78, , पत्र- लेब्छाज थी, , , , आजकल हमारे पास बातचीत करने तथा हाल-चाल जानने के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध हैं; जैसेटेलीफ़ोन, मोबाइल फ़ोन, ई-मेल, फैक्स आदि। प्रश्न यह उठता है कि फिर भी पत्र-लेखन सीखना, क्यों आवश्यक हे? पत्र लिखना महत्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय, नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के, अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र लिखना पड़ता है। फ़ोन आदि, पर बातचीत अस्थायी होती है। इसके विपरीत लिखित दस्तावेज़ स्थायी होते हैं।, , ७००००+०००००००००००, ७७००+०००००१०००००००००००००००००००००%१०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००० *, , ; पत्र-लेखन एक कला है। अच्छा पत्र लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना ई, ; «० पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट व सरस होनी चाहिए। था, ; * पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा व, : ० अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।, , ; « पत्र में लिखी वर्तनी शुद्ध व लेख स्वच्छ होना चाहिए। . । के, : ० पत्र-प्रेषक (भेजने वाला) तथा प्रापक (प्राप्त करने वाला) के नाम, पता आदि स्पष्ट रूप े, : होने चाहिए।, , न् ० पत्र के विषय से नहीं 'भटकना चाहिए अर्थात व्यर्थ की बातों का उल्लेख नहीं करना है ै, , ##०००००००००७०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००, , , , , , , पत्र के प्रकार |, मुख्य रूप से पत्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, 1. अनौपचारिक पत्र-अनौपचारिक पत्र संबंधियों व मित्रों को लिखे जाते हैं, इसलिए इन पत्रों में मन, . की भावनाओं को प्रमुखता दी जाती है। इसके अंतर्गत पारिवारिक या निजी पत्र आते हैं।