Page 1 :
९13/(९/ 4 - कठपुतली (९। 4 - कठपतली, , प्रश्न-अभ्यास, , कविता से, प्रश्न 1., कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?, , उत्तर- कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे सदैव दूसरों के इशारों पर, नाचना पड़ता है और वह लंबे अर्से से धागे में बँधी है। धागे में बँधना उसे, पराधीनता लगता है, इसीलिए उसे गुस्सा आता है।, , प्रश्न 2., , कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी, होती?[॥77.], , उत्तर - उस पर सभी कठपुतल्रियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है तो वह डर, जाती है। उसे ऐसा लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में, न डाल दे।, , प्रश्न 3., , पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतल्ियों को क्यों अच्छी त्लगीं ?, , अ5डा14 प्गगधवा' ए86९1
Page 2 :
उत्तर- पहली कठपुतल्ली की बात दूसरी कठपुतल्रियों को बहुत अच्छी लगी , क्योंकि, वे भी स्वतंत्र होना चाहती थीं और अपनी पाँव | पर खड़ी होना चाहती थी। यही, कारण था कि वह पहली कठपुतली की बात से सहमत थी।, , प्रश्न 4., , पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-“ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? / इन्हें तोड़ दो;, / मुझे मेरे पॉँवों पर छोड़ दो।” -तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-“ये कैसी इच्छा /, मेरे मन में जगी ? नीचे दिए वाक््यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए, , उसे दूसरी कठपुतलत्रियों की जिम्मेदारी महससू होने लगी।, उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने ल्गी।, , वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के, उपाय सोचने लगी।, , वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।, उत्तर, पहली कठपुतली गुलामी का जीवन जीते-जीते दुखी हो गई थी। धागों में बँधी, कठपुतल्रियाँ दूसरों के इशारे पर नाचना ही अपना जीवन मानती हैं लेकिन एक, बार एक कठपुतली ने विद्रोह कर दिया। उसके मन में शीघ्र ही स्वतंत्र होने की, लालसा जाग्रत हुई, अतः उसने आजादी के लिए अपनी इच्छा जताई , लेकिन सारी, , अ5डा14 प्गगधवा' ए०8९2
Page 3 :
कठपुतल्रियाँ उसके हाँ में हाँ मिल्राने लगी और उनके नेतृत्व मेँ विद्रोह के लिए, तैयार होने लगी, लेकिन जब उसे अपने ऊपर दूसरी कठपुतल्रियों की जिम्मेदारी का, अहसास हुआ तो वह डर गई, उसे ऐसा लगने लगा न जाने स्वतंत्रता का जीवन भी, कैसा होगा? यही कारण था कि पहली कठपुतली चिंतित होकर अपने फैसले के, विषय में सोचने लगी।, , कविता से आगे, , प्रश्न 1., , “बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।”-इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो, सकता है? नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए, (क)बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।, , (ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद, हो, लय हो।, , (ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।, , (घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।, , उत्तर:, बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए! इसका यह अर्थ है कि बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई अर्थात् कठपुतल्रियाँ परतंत्रता, , अ5डा14 प्गगधवा' ए०8९३
Page 4 :
से अत्यधिक दुखी हैं। उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे अपने मन की चाह को जान ही, नहीं पातीं। पहली कठपुतली के कहने से उनके मन में आजादी की उमंग जागी।, , प्रश्न 2., , नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो, स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए, , (क) सन् 1857 (ख) सन् 1942, उत्तर(क) 1857-1. महारानी लक्ष्मीबाई, 2. मंगल्र पांडे, , (ख) 1942-1. महात्मा गांधी, 2. जवाहर लाल नेहरू, , अनुमान और कल्पना, , प्रश्न 1., , स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद, स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में, बाधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से, की होगी?, , उत्तर, अ5डा14 प्गगधवा' ए०8९4
Page 5 :
स्वतंत्र होने के लिए कठपुतल्ियाँ लड़ाई आपस में मिलकर लड़ी होंगी , क्योंकि, सबकी परेशानी एक जैसी थी और सबको एक जैसे धागों से स्वतंत्रता चाहिए थी।, पहले सभी कठपुतलियों से विचार-विमर्श किया होगा। स्वतंत्र होने के बाद, स्वावलंबी बनने के लिए उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया होगा। रहने , खाने, पीने, जीवनयापन की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिन-रात एक किया होगा।, , यदि फिर भी उन्हें धागे में बाँधकर नचाने का प्रयास किया गया होगा तो उन्होंने, एकजुट होकर इसका विरोध किया होगा । उन्होंने सामूहिक प्रयास से ही शत्रुओं की, हर चाल को नाकाम किया होगा। इस तरह उन्होंने अपनी आजादी कायम रखी, होगी।, , भाषा की बात, , प्रश्न 1., , कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूत्र रूप में परिवर्तन हो जाता, है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और, पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में, सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए जैसे-काठ (कठ) से बनाकठगुलाब, कठफोड़ा, , उत्तर, अ5डा14 प्गगधवा' एग8९5