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अध्याय 1, क्या, कब, कहाँ और कैसे?, 0655CH01, रशीदा का सवाल, रशीदा बैठी अख़बार पढ़ रही थी। अचानक उसकी निगाह एक सुख्ख़ पर पड़ी, "सौ साल पहले"। वह सोचने लगी कि यह कोई कैसे जान सकता है कि इतने, वर्षों पहले क्या हुआ था?, कैसे पता लगाएँ?, यह जानने के लिए कि कल क्या हुआ था, तुम रेडियो सुन सकते हो,, टेलीविज़न देख सकते हो या फिर अख़बार पढ़ सकते हो।, साथ ही यह जानने के लिए कि पिछले साल क्या हुआ था, तुम किसी, व्यक्ति से बात कर सकते हो जिसे उस समय की स्मृति हो।, लेकिन बहुत पहले क्या हुआ था यह कैसे, जा सकता, अतीत के बारे में हम क्या जान सकते हैं?, है-जैसे लोग क्या खाते थे,, अतीत के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता, कैसे कपड़े पहनते थे, किस तरह के घरों में रहते थे? हम आखेटकों, (शिकारियों), पशुपालकों, कृषकों, शासकों, व्यापारियों, पुरोहितों, शिल्पकारों,, कलाकारों, संगीतकारों या फिर वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में जानकारियाँ, हासिल कर सकते हैं। यही नहीं हम यह भी पता कर सकते हैं कि उस, समय बच्चे कौन-से खेल खेलते थे, कौन-सी कहानियाँ सुना करते थे ,, कौन-से नाटक देखा करते थे या फिर कौन -कौन से गीत गाते थे।, लोग कहाँ रहते थे?, मानचित्र 1 (पृष्ठ 2) में नर्मदा नदी का पता लगाओ| कई लाख वर्ष पहले से, लोग इस नदी के तट पर रह रहे हैं। यहाँ रहने वाले आरंभिक लोगों में से कुछ, कुशल संग्राहक थे जो आस-पास के जंगलों की विशाल संपदा से परिचित थे।, अपने भोजन के लिए वे जड़ों, फलों तथा जंगल के अन्य उत्पादों का यहीं से, संग्रह किया करते थे। वे जानवरों का आखेट (शिकार) भी करते थे ।, क्या, कब, कहाँ और कैसे?, 2020-21, epuolished
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जहाज़ों में अपने साथ, मानचित्र 1 दक्षिण, मानचित्र पर सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों का पता लगाने का, प्रयास करो। सहायक नदियाँ उन्हें कहते हैं जो एक बड़ी नदी में मिल जाती, हैं। लगभग 4700 वर्ष पूर्व इन्हीं नदियों के किनारे कुछ आरंभिक नगर, फले-फूले। गंगा व इसकी सहायक नदियों के किनारे तथा समुद्र तटवत्ती, इलाकों में नगरों का विकास लगभग 2500 वर्ष पूर्व हुआ।, एशिया (आधुनिक, भारत, पाकिस्तान,, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, और श्रीलंका) और, अफ्रगानिस्तान, ईरान,, चीन तथा म्यांमार आदि, गंगा तथा इसकी सहायक नदी सोन का पता लगाओ। गंगा के दक्षिण में, पड़ोसी देशों को दर्शाता, है। दक्षिण एशिया एक, महाद्वीप से छोटा है,, लेकिन विशालता तथा, इन नदियों के आस-पास का क्षेत्र प्राचीन काल में ' मगध' (वर्तमान बिहार, में) नाम से जाना जाता था। इसके शासक बहुत शक्तिशाली थे और उन्होंने, एक विशाल राज्य स्थापित किया था। देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे राज्यों, की स्थापना की गई थी।, बाकी एशिया से समुद्रों,, पहाड़ियों तथा पर्वतों से, बँटे होने के कारण इसे, लोगों ने सदैव उपमहाद्वीप के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक यात्रा की।, कभी-कभी हिमालय जैसे ऊँचे पर्वतों, पहाड़ियों, रेगिस्तान, नदियों तथा, समुद्रों के कारण यात्रा जोखिम भरी होती थी, फिर भी ये यात्रा उनके लिए, असंभव नहीं थीं। अत: कभी लोग काम की तलाश में तो कभी प्राकृतिक, आपदाओं के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान जाया करते, सेनाएँ दूसरे क्षेत्रों पर विजय हासिल करने के लिए जाती थीं इसके, प्राय: उपमहाद्वीप कहा, जाता है।, amed, कभी-कभी, अतिरिक्त व्यापारी कभी काफ़िले में तो कभी, मूल्यवान वस्तुएँ लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाते रहते थे। धार्मिक गुरू, लोगों को शिक्षा और सलाह देते हुए एक गाँव से दूसरे गाँव तथा एक कसबे, से दूसरे कसबे जाया करते थे। कुछ लोग नए और रोचक स्थानों को खोजने, की चाह में उत्सुकतावश भी यात्रा किया करते थे। इन सभी यात्राओं से, लोगों को एक-दूसरे के विचारों को जानने का अवसर मिला।, आज लोग यात्राएँ क्यों करते हैं?, एक बार फिर से मानचित्र 1 को देखो । पहाड़ियाँ, पर्वत और समुद्र इस, उपमहाद्वीप की प्राकृतिक सीमा का निर्माण करते हैं । हालांकि लोगों के, लिए इन सीमाओं को पार करना आसान नहीं था जिन्होंने ऐसा चाहा वे, ऐसा कर सके, वे पर्वतों की ऊँचाई को छू सके तथा गहरे समुद्रों को पार, कर सके। उपमहाद्वीप के बाहर से भी कुछ लोग यहाँ आए और यहीं बस, गए। लोगों के इस आवागमन ने हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध, 3 1, क्या, कब, कहाँ और कैसे?, 2020-21
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इतने वर्षों में इनमें से कई पाण्डुलिपियों को कीड़ों ने खा लिया तथा कुछ, नष्ट कर दी गईं। फिर भी ऐसी कई पाण्डुलिपियाँ आज भी उपलब्ध हैं । प्राय:, ये पाण्डुलिपियाँ मंदिरों और विहारों में प्राप्त होती हैं । इन पुस्तकों में धार्मिक, मान्यताओं व व्यवहारों, राजाओं के जीवन, औषधियों तथा विज्ञान आदि सभी, प्रकार के विषयों की चर्चा मिलती है। इनके अतिरिक्त हमारे यहाँ महाकाव्य, कविताएँ तथा नाटक भी हैं । इनमें से कई संस्कृत में लिखे हुए मिलते हैं, जबकि अन्य प्राकृत और तमिल में हैं। प्राकृत भाषा का प्रयोग आम लोग, करते थे।, हम अभिलेखों का भी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे लेख पत्थर अथवा, धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किए गए मिलते हैं ।, कभी-कभी शासक अथवा अन्य लोग अपने आदेशों को इस तरह उत्कीर्ण, लगभग 2250 वर्ष पुराना यह, अभिलेख वर्तमान अफ़गानिस्तान, करवाते थे, ताकि लोग उन्हें देख सकें, पढ़ सकें तथा उनका पालन कर, के कंधार से प्राप्त हुआ है।, यह अभिलेख अशोक नामक, सकें। कुछ अन्य प्रकार के, शासक के आदेश पर उत्कीर्ण, अभिलेख भी मिलते हैं जिनमें, करवाया गया था। इस शासक, राजाओं तथा रानियों सहित, के विषय में तुम अध्याय 8 में, अन्य स्त्री-पुरुषों ने भी अपने, कार्यों के विवरण उत्कीर्ण, पढ़ोगी। जब हम कुछ लिखते, हैं तब हम किसी लिपि का, प्रयोग करते हैं। लिपियाँ अक्षरों, अथवा संकेतों से बनी होती, हैं। जब हम कुछ बोलते अथवा, पढ़ते हैं तब हम एक भाषा, का प्रयोग करते हैं ।, में, करवाए है। उदाहरण के लिए HTTIN ।, प्राय: शासक लडाइयों में MSYANAA ENROYN, अर्जित विजयों का लेखा- ২৯ -১}) ,, जोखा रखा करते थे।, क्या तुम बता सकती, हो कि कठोर सतह पर, यह अभिलेख इस क्षेत्र प्रयुक्त, होने वाली यूनानी तथा अरामेइक, नामक दो भिन्न लिपियों तथा, भाषाओं में है।, लेख लिखवाने के क्या, लाभ थे? ऐसा करवाने में क्या-क्या कठिनाइयाँ आती थीं?, इसके अतिरिक्त अन्य कई वस्तुएँ अतीत में बनीं और प्रयोग में लाई, जाती थीं। ऐसी वस्तुओं का अध्ययन करने वाला व्यक्ति पुरातत्त्वविद्, कहलाता है। पुरातत्त्वविद् पत्थर और ईंट से बनी इमारतों के अवशेषों, चित्रों, तथा मूर्तियों का अध्ययन करते हैं । वे औजारों , हथियारों, बर्तनों, आभूषणों, क्या, कब, कहाँ और कैसे?, 2020-21