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हि, , , , , , , , , “टप-टप.....' पानी बरसने लगा। दोनों भाइयों ने केले, पत्ता काटा और उसे अपने सिर के ऊपर रख लिया। केले के, यत्ते ने छाते का काम किया, जिससे उन पर पानी नहीं, गिरा। थोड़ी देर में बारिश रुक गई।, , दूसरे भाई ने कहा, “बड़ी भूख लगी है।", , “मुझे भी," तीसरे भाई ने कहा। दोनों ने केले का, एक-एक पत्ता लिया। उस पर खाना परोसा और, भरपेट खाना खाया। इसके बाद एक-एक केला, भी खाया। /, , दूसरे भाई ने कहा, “मैं तो यहीं घर बनाऊँगा। केले, के पेड से अच्छा क्या होगा! बढ़िया केले खाने को, मिलेंगे। उनकी सब्जी भी बनाएँगे। कुछ केले हम बेच, देंगे। उनके पैसों से हम चावल खरीद लेंगे और केले * _, के पत्ते भी काम आएँगे।” इसलिए दूसरे भाई ने वहीं, अपनी झोपड़ी बना ली।, , मगर तीसरा भाई आगे चल दिया। चलते-चलते उसे, नारियल का एक पेड़ मिला।, , देखते ही देखते 'टप...' एक नारियल ज़मीन पर टपक, पड़ा। तीसरे भाई ने अपना चाकू निकाला और उसने, नारियल में छोटा-सा छेद किया और उसका ठंडा-ठंडा मीठा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।, , तीसरा भाई उसी नारियल के पेड़ की छोटी-सी छाँव में बैठ गया और सोचने लगा, “ आम का पेड़ बहुत, बढ़िया होता है और उसका फल भी बहुत अच्छा होता है। केले का पेड़ बड़े काम का होता है और केला खाने, में भी अच्छा होता है।, , नीम के पेड़ के क्या कहने! उसकी दातुन बड़ी अच्छी रहती है और तो और दवाइयों के भी काम आता है।, , अच्छे पेड़ों की क्या कमी है! नारियल के पेड़ की ही सोचो। नारियल की जटाओं को काटकर मैं मोटी, डोरियाँ बना सकता हूँ और डोरियों से मज़बूत चअटाइयाँ। रस्सियों और चटाइयों को मैं शहर के बाज़ार में बेच, सकता हूँ। मैं नारियल का पानी पी सकता हूँ। उसकी गरी खा सकता हूँ और उसे सुखाकर खोपरा भी तैयार कर, , ] का एक