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लोनपो गार तिब्बत के बत्तीसवें राजा सौनगवसैन, गांपो के मंत्री थे। बे अपनी चालाकी और हाज़िरजवाबी, के लिए दूर-दूर तक मशहूर थे। कोई उनके सामने, टिकता न था। चैन से ज़िंदगी चल रही थी। मगर, जब से उनका बेटा बड़ा हुआ था उनके लिए चिता, का विषय बना हुआ था। कारण यह था कि वह, बहुत भोला था। होशियारी उसे छूकर भी नहीं गई, थी। लोनपो गार ने सोचा, “मेरा बेटा बहुत सीधा-सादा, है। मेरे बाद इसका काम कैसे चलेगा!”, , एक दिन लोनपो गार ने अपने बेटे को सौ भेड़ें, देते हुए कहा, “तुम इन्हें लेकर शहर जाओ। मगर, इन्हें मारना या बेचना नहीं। इन्हें वापस लाना सौ जो, के बोरों के साथ। वरना मैं तुम्हें घर में नहीं घुसने, दूँगा।” इसके बाद उन्होंने बेटे को शहर की तरफ़, रवाना किया।, , लोनपो गार का बेटा शहर पहुँच गया। मगर इतने, बोरे जौ खरीदने के लिए उसके पास रुपए ही कहाँ, थे? वह इस समस्या पर सोचने-विचारने के लिए, सडक किनारे बैठ गया। मगर कोई हल उसकी, समझ में ही नहीं आ रहा था। वह बहुत दुखी था।, तभी एक लड़की उसके सामने आ खड़ी हुई।, “क्या बात है तुम इतने दुखी क्यों हो?” लोनपो गार, के बेटे ने अपना हाल कह सुनाया। “इसमें इतना, दुखी होने की कोई बात नहीं। मैं इसका हल, निकाल देती हूँ।” इतना कहकर लड़की ने भेड़ों के, , नर, , 2024-22
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॒ बाल उतारे और उन्हें बाज़ार में, ही बेच दिया। जो रुपए मिले उनसे, की जौ के सौ बोरे खरीदकर उसे घर, , कद || वापस भेज दिया।, , अर ४... लोनपो गार के बेटे को लगा, | 2 के उसके पिता बहुत खुश होंगे।, ब्कः मगर उसकी आपबीती पर उन्होंने, हा हि ध्यान नहीं दिया। वे उठकर कमरे, रू ) से बाहर चले गए। दूसरे दिन, उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर, कहा, “पिछली बार भेड़ों के बाल उतारकर बेचना मुझे ज़रा भी पसंद नहीं आया।, अब तुम दोबारा उन्हीं भेड़ों को लेकर जाओ। उनके साथ जौ के सौ बोरे लेकर, ही लौटना।”, , एक बार फिर निराश लोनपो गार का बेटा शहर में उसी जगह जा बैठा। न, जाने क्यों उसे यकीन था कि वह लड़की उसकी मदद के लिए ज़रूर आएगी।, और हुआ भी कुछ ऐसा ही, वह लड़की आई। उससे उसने अपनी मुश्किल कह, सुनाई, “अब तो बिना जौ के सौ बोरों के मेरे पिता मुझे घर में नहीं घुसने देंगे।”, लड़की सोचकर बोली, “एक तरीका है।” उसने भेड़ों के सींग काट लिए उन्हें, बेचकर जो रुपए मिले उनसे सौ बोरे जो खरीदे। बोरे लोनपो गार के बेटे को, सौंपकर लड़की ने उसे घर भेज दिया।, , भेड़ें और जौ के बोरे पिता के हवाले करते हुए लोनपो गार का बेटा खुश था।, उसने विजयी भाव से सारी कहानी कह सुनाई। सुनकर लोनपो गार बोले, “उस, लड़की से कहो कि हमें नो हाथ लंबी राख की रस्सी बनाकर दे।” उनके बेटे, ने लड़की के पास जाकर पिता का संदेश दोहरा दिया। लड़की ने एक शर्त रखी,, “मैं रस्सी बना तो दूँगी। मगर तुम्हारे पिता को वह गले में पहननी होगी।” लोनपो, गार ने सोचा ऐसी रस्सी बनाना ही असंभव है। इसलिए लड़की की शर्त मंज़ूर, कर ली।, , अगले दिन लड़की ने नौ हाथ लंबी रस्सी ली। उसे पत्थर के सिल पर रखा, , ह्, , 2024-22
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और जला दिया। रस्सी जल गई, मगर रस्सी, के आकार की राख बच गई। इसे वह सिल, समेत लोनपों गार के पास ले गई और उसे, पहनने के लिए कहा। लोनपो गार रस्सी, देखकर चकित रह गए। वे जानते थे कि, राख की रस्सी को गले में पहनना तो दूर,, उठाना भी मुश्किल है। हाथ लगाते ही वह, टूट जाएगी। लड़की की समझदारी के सामने, उनकी अपनी चालाकी धरी रह गई। बिना, वक्त गँवाए लोनपो गार ने अपने बेटे की, शादी का प्रस्ताव लड़की के सामने रख, दिया। धूमधाम से उन दोनों की शादी हो गई।, , हत्तु, , अपनी बात
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भोला-भाला, , ]. तिब्बत के मंत्री अपने बेटे के भोलेपन से चिंतित रहते थे।, (क) तुम्हारे बिचार से वे किन-किन बातों के बारे में सोचकर परेशान होते थे?, (ख) तुम तिब्बत के मंत्री की जगह होती तो क्या उपाय करती?, , शहर की तरफ़, ]. “मंत्री ने अपने बेटे को शहर की तरफ़ रवाना किया।”, , (क) मंत्री ने अपने बेटे को शहर क्यों भेजा था?, , (ख) उसने अपने बेटे को भेड़ों के साथ शहर में ही क्यों भेजा?, , (ग) तुम्हारे घर के बड़े लोग पहले कहाँ रहते थे? घर में पता करो। आस-पड़ोस में भी, किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पता करो जो किसी दूसरी जगह जाकर बस गया हो।, उनसे बातचीत करो और जानने की कोशिश करो कि क्या बे अपने निर्णय से खुश, हैं। क्यों? एक पुरुष, एक महिला और एक बच्चे से बात करो। यह भी पूछो कि, उन्होंने वह जगह क्यों छोड़ दी?, , , , 2. “जौ' एक तरह का अनाज है जिसे कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। इसकी रोटी बनाई, जाती हे, सत्तू बनाया जाता है और सूखा भूनकर भी खाया जाता है। अपने घर में और स्कूल, में बातचीत करके कुछ और अनाजों के नाम पता करो।, , गेहूँ जौ, , , , 3. गेहूँ और जौ अनाज होते हैं और ये तीनों शब्द संज्ञा हैं। “गेहूँ” और 'जौ' अलग-अलग, किस्म के अनाजों के नाम हैं इसलिए ये दोनों व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं और 'अनाज', जातिवाचक संज्ञा है। इसी प्रकार 'रिमझिम' व्यक्तिवाचक संज्ञा है और “पाठ्यपुस्तक', जातिवाचक संज्ञा है।, , (क) नीचे दी गई संज्ञाओं का वर्गीकरण इन दो प्रकार की संज्ञाओं में करो, , , लेह धातु शेरवानी भोजन, ताँबा खिचड़ी शहर वेशभूषा, (ख) ऊपर लिखी हर जातिवाचक संज्ञा के लिए तीन-तीन व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ खुद, सोचकर लिखो।, , तुम सेर, मैं सवा सेर, ]. इस लड़की का तो सभी लोहा मान गए। था न सचमुच नहले पर दहला! तुम्हें भी यही, , करना होगा।, , 2024-22
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तुम ऐसा कोई काम ढूँढ़ो जिसे करने के लिए सूझबूझ की ज़रूरत हो। उसे एक कागज़ में, लिखो और तुम सभी अपनी-अपनी चिट को एक डिब्बे में डाल दो। डिब्बे को बीच में, रखकर उसके चारों ओर गोलाई में बैठ जाओ। अब एक-एक करके आओ , उस डिब्बे से, एक चिट निकालकर पढ़ों और उसके लिए कोई उपाय सुझाओ। जिस बच्चे ने सबसे ज़्यादा, उपाय सुझाए वह तुम्हारी कक्षा का 'बीरबल' होगा।, 2. मंत्री ने बेटे से कहा, “पिछली बार भेड़ों के बाल उतारकर बेचना मुझे ज़रा भी पसंद नहीं, आया।”, क्या मंत्री को सचमुच यह बात पसंद नहीं आई थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।, सींग और जौ, पहली बार में मंत्री के बेटे ने भेड़ों के बाल बेच दिए और दूसरी बार में भेड़ों के सींग बेच, डाले। जिन लोगों ने ये चीज़ें खरीदी होंगी, उन्होंने भेड़ों के बालों और सींगों का क्या किया, होगा? अपनी कल्पना से बताओ।, बात को कहने के तरीके, . नीचे कहानी से कुछ वाक्य दिए गए हैं। इन बातों को तुम और किस तरह सें कह सकती हो(क) चैन से ज़िंदगी चल रही थी।, (ख) होशियारी उसे छूकर भी नहीं गई थी।, (ग) मैं इसका हल निकाल देती हूँ।, (घं) उनकी अपनी चालाकी धरी रहं गई।, 2. “लोनपो गार का बेटा होशियार नहीं था।', (क) 'होशियार' और “चालाक' में क्या, फ़र्क होता है? किस आधार, पर किसी को तुम चालाक या, होशियार कह सकती हो? इसी, प्रकार ' भोला' और 'बुद्ध', के बारे में भी सोचो और, कक्षा में चर्चा करो।._, (ख) लड़की को तुम “समझदार रे, कहोगी या बुद्धिमान? क्यों?, , हि, , 202-22