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ऐसा गदयांश जो पहले पढ़ा नहीं गया है, अपठित गद्यांश कहलाता है।, , भाषा की अच्छी पकड़ तथा समझ के लिए अपठित गद्यांश का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।, यहाँ अपठित गद्यांश उदाहरण के रूप में दिया गया है। छात्र उसे पढ़ें और समझें। इसके पश्चात, अभ्यास के लिए दिया गया अपठित गद्यांश हल करें।, , उदाहरण, हमारे देश के महान संत स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए। बे रेल में यात्रा कर रहे थे। एक, दिन ऐसा हुआ कि उन्हें खाने को फल नहीं मिले। उन दिनों फल ही उनका भोजन था। गाड़ी, एक स्टेशन पर ठहरी, वहाँ भी उन्होंने फलों की खोज की, पर उन्हें वहाँ अच्छे फल नहीं मिले।, उनके मुँह से निकला, “जापान में शायद अच्छे फल नहीं मिलते!” एक जापानी युवक प्लेटफ़ॉर्म, पर खड़ा था। वह अपनी पत्नी को रेल में बैठाने आया था, उसने ये शब्द सुन लिए। वह अपनी, बात बीच में ही छोड़कर भागा और कहीं दूर से एक टोकरी ताज़े फल ले आया। वे फल उसमे, स्वामी रामतीर्थ को भेंट करते हुए कहा, “लीजिए, आपको ताज्ञे फलों की ज़रूरत थी।” स्वामी, जी ने समझा कि यह कोई फल बेचनेवाला है। उन्होंने दाम पूछे, पर उसने दाम लेने से इनकार, कर दिया। बहुत आग्रह करने पर उसने कहा, “आप इनका मूल्य देना ही चाहते हैं तो वह यह है, कि आप अपने देश में जाकर किसी से यह न कहिएगा कि जापान में अच्छे फल नहीं मिलते।”, , प्रश्न 1. स्वामी रामतीर्थ को फलों की आवश्यकता क्यों थी?, , उत्तर-- स्वामी रामतीर्थ को फलों की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि बे भोजन के रूप में फल, ही खाते थे।, , प्रश्न 2. “जापान में शायद अच्छे फल नहीं मिलते।”” -- स्वामी जी ने ऐसा क्यों कहा?, , उत्तर-- स्टेशन पर उन्होंने फल खोजे, परंतु ताज़े फल नहीं मिले। तब उन्होंने सोचा कि यहाँ, अच्छे फल नहीं मिलते।, , प्रश्न 3. जापानी युवक ने पैसे लेने से मना क्यों किया?, , उत्तर-- वह कोई फल बेचनेवाला नहीं था, बल्कि अपनी पत्नी को गाड़ी में बैठाने आया था। उसे, जब मालूम पड़ा कि स्वामी जी को फल नहीं मिले तब वह स्वयं जाकर फल ले आया।, , #:०2८ 92