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#2441#/#6, न, | ॥#मरट4ढुर |, , तल, , 2. हे, , , , , , , , , , , , ।, , सतेन, खाना तैयार हो गया है, आकर खा, लो”, अंदर से माँ ने पुकारा। माँ ने, कुछ देर प्रतीक्षा की। ““एक बार, किताब खोल लेता है तो दुनिया, ही भूल जाता है”, कहते, हुए माँ सतेन के कमरे, में थाली लेकर आईं।, “बेटा, खाना खा, लो।”” सतेन ने, गरदन उठाकर, देखा और सिर, हिला दिया। माँ, थाली रखकर, चली गईं। सतेन, , , , , , , , , , , , , ने एक कौर तोड़कर खाया और फिर किताबों की ओर दृष्टि घुमा दी।, “*ब्रेटा, बहुत रात हो गई है, अब सो जा। चल उठ, तेरा बिस्तर ठीक कर दिया है ”', माँ, सतेन के कमरे में आईं। खाने की थाली वैसी ही भरी देख, माँ ने माथा टोका। इस लड़के, का मैं क्या करूँ? पढ़ाई के आगे तो इसे कुछ सूझता ही नहीं। बेटे को कंधे से झकझोर, कर माँ ने कहा, “सतेन उठ जाओ। चलो, मैं खाना गरम कर देती हूँ।”” ““बस एक मित्र, माँ”, सतेन ने माँ को देखते हुए कहा।, माँ ने सामने से किताब ठठा ली और कहा, “बहुत हो गया, अब और नहीँ।, उटो।”” सतेन अँगढ़ाई लेते हुए ठठ गया। हु, यही सतेन हैं जिन्हें हम सत्येंद्र नाथ बोस के नाम से जानते हैं। इनके पिता सुरेंद्र शथअट |, बोस ईस्ट इंडिया शलवे के इंजीनियरिंग विभाग में काम करते थ। सात भाई-बहनों में सब्, बढ़े सत्येंद्र का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ। ये बचपन से ही बुदृध्