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मीठी बोली, पाठ 0
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पाठ 10, पाठ मंथन, कविता से, बताओ (मौखिक), 1. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध '", 2. (क), 2. (ग), पढ़ों और सही उत्तर चुनो, 1. (ii), लिखो, 2. (i), 3. (iii), 1. मीठी बोली सभी को खुश कर देती है।, 2. आपस में मेल करा देती है, मन के बैर भाव कटुता आदि को दूर कर देती, है।, 3. जिस प्रकार फूलों की डाली अपनी सुगंध से सभी को प्रसन्न कर देती है, असी प्रकार मीठी बोल भी सुनने वालों में प्रसन्नता की लहर दौड़ा देती, है। जो भी मीठी वाणी सुनता है वही प्रसन्न हो जाता है।, IV- 23
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4. मीठी वाणी सुंदर फूलों की तरह अपनी महक फैला देती है और प्रेम,, सौहार्द बढ़ा देती है।, कविस से आगे, सोचो और बताओ, 1. बच्चों को कडुवी बोली से होने वाली हानियों के बारे में बताएँ। तत्पश्चात्, इस प्रश्न का उत्तर लिखने को कहें ।, 2. कोयल और कौआ।, मूल्याधार प्रश्न, बच्चों से चर्चा करें।, बच्चों से चर्चा करें।, भाषा मंथन, शब्दों का संसार, जोड़-तोड़, बोली-होली, लाली-काली, मुखड़ा-दुखड़ा, सच्ची-कच्ची, |, टूटा-फूटा, |, बस, बहुत बोल लिए, अब बस भी करो।, हम बस द्वारा आगरा गए।, में, -, बहुत कम पानी है।, वह तबले की ताल पर नाच रहा है।, ताल, ताल, -, डाली, उसने चाय में चीनी नहीं डाली।, -, डाली पर पक्षी बैठे हैं।, पाठ-10 के शेष प्रश्न, 3. उल्टे अर्थ वाले शब्द, (क) खोल, 4. सही अर्थ का चुनाव, (ख) घटा, (ग) सुधार, (घ) झूठी, पत्थर को पिघलाकर मोम बनाने वाली, * जी में लगी हुई काई को धोने वाली, दिल के पेचीदे तालों की सच्ची ताली, बीज प्यार के बोने वाली, (ख), |, (घ), (ग), (क), -, ताल-मेल, डाली-शाखा, फूल-प्रसून, दिल-मन, चाह-इच्छा, निपट-एकदम, मुखड़ा-मुख, सदा-हमेशा, जन-व्यक्ति, IV – 24