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पाठ-योजना का परिभाषा ,अर्थ, महत्व, विशेषता, आवश्यकता, पाठ योजना का अर्थ परिभाषा, , पाठ योजना का अर्थ, कक्षा में जाने से पूर्व हम अपने विषयवस्तु का एक, छोटा-सा स्वरुप बना लेते हैं, जिसे शिक्षक किसी निश्चित कालांश में पढ़ाता हैं., पाठ पढ़ाने के सामान्य, और विशिष्ट उद्देश्य, पाठ्य-विषय से सम्बन्धित बालकों का पूर्वज्ञान, विषय-वस्तु ,शिक्षण की, विधियाँ आदि बातों का पूरा विवरण जिन्हें शिक्षक कक्षा-शिक्षण द्वारा एक घंटें में पूरा करना, चाहता हैं, पाठ-योजना में रहता हैं., , , , इस प्रकार पाठ-योजना का तात्पर्य उन सभी बातों के विस्तारपुर्वक, विवरण से हैं जिन्हें शिक्षक एक निश्चित अवधि के अन्दर पूरा कर लेता हैं. यह अवधि भिन्नभिन्न विधायलों में कुछ कम अथवा अधिक हो सकती हैं., , पाठ योजना का परिभाषा, (0शीग्रां।णा ० 16550 धा) :, नेल्सन वासिंग के अनुसार, “पाठ-योजना उस कथन का शीर्षक हैं जिसमें घंटें के, समय में कक्षा-क्रियाओं द्वारा प्राप्त करने वाली उपलब्धियों और विशिष्ट साधनों का उल्लेख, , होता हैं.“, , बॉसिंग के अनुसार, “पाठ-योजना से अभिप्राय उपलब्धियों की प्राप्ति के लिए उन विशिष्ट, साधनों का वर्णन हैं जिनके द्वारा वे उपलब्धियों एक निश्चित समय में की गयी क्रियाओं के, परिणामस्वरूप प्राप्त की जाती हैं.“
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बिनिंग तथा बिनिंग के अनुसार, “दैनिक पाठ-योजना के निर्माण में उद्देश्यों को, परिभाषित करना, पाठ्य-वस्तु का चयन करना क्रमबद्ध करना तथा प्रस्तुतिकरण की विधियों, का निर्णय करना प्रमुख हैं.“, , , , पाठ योजना की आवश्यकता (ए&व॒पप ८छा७०६ ०४, , 1+658807 [0797) :पाठ योजन की आवश्यकता निम्न हैं पाठ योजना शिक्षक को इधर-उधर भटकने नहीं देती, , अपितु उसे शिक्षण की राह पर लागये रहती हैं. शिक्षण की प्रक्रिया में पाठ-योजना की, आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से भी हैं, - पाठ-योजना के माद्यम से कक्षा में नियंत्रण रहता हैं., 2. पाठ-योजना के द्वारा कक्षा अनुशाषित रहता है., , , , , , 3. पाठ-योजना के द्वारा शिक्षक को छात्रों के बारें में जानकारी हो जाती हैं और उनकी शिक्षण, , विधि छात्रों के अनुरूप होती हैं., , . पाठ-योजना क्क्षागत परिस्थितियों में समायोजन की संभावनाओं का विकास करती हैं. इससे, शिक्षण प्रभावशाली बन जाता हैं., , « पाठ-योजना पाठ्यक्रम की इकाई के प्रत्येक पद का प्रत्यास्मरण करने में सहायता प्रदान, करती हैं., , . पाठ-योजना शिक्षक को मार्गदर्शक दिखाने का कार्य करता हैं., , , , , , 7. पाठ-योजना के द्वारा शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग प्रभावशाली होता हैं., , . पाठ-योजना शिक्षक को आवश्यकता अनुसार समय विभाजन और प्रयोग के लिए अवसर देती, , हैं., , पाठ योजना का महत्व (एरछु०&८ब४०७ ०£ 165307, 097०7) : पाठ-योजना बनाने के निम्नलिखित महत्व हैं
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- उपयुक्त वातावरण - पाठ-योजना में पाठ पढ़ाने के उद्देश्यों को निश्चित करते हुए शिक्षण, की विधियाँ, प्रविधियाँ तथा सहायक सामग्री आदि बातों पहले से ही निश्चित हो जाती हैं., इससे विद्यार्थी की पाठ में रूचि उत्पन्न होती हैं. जब उपयुक्त अथवा शैक्षिक वातावरण तैयार, हो जाता हैं तो शिक्षण बड़े नियोजित ढंग से चलता रहता हैं., , . पूर्वज्ञान पर आधारित - पाठ-योजना बनाने में शिक्षक नवीन ज्ञान को विद्यार्थीयों के पूर्वज्ञान, , के आधार पर प्रस्तुत करता हैं. इससे जहाँ एक ओर विधार्थी ज्ञान को सहज में ग्रहण कर, लेते हैं वहीँ दूसरी ओर शिक्षक अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हो जाता हैं., , , , . मनोवैज्ञानिक शिक्षण - पाठ-योजना बनाकर शिक्षक विद्यार्थीयों को पढ़ाने के लिए उनकी, रुचियों, अभिरुचियों, आवश्यकताओं, क्षमताओं की दृष्टि में रखते हुए उपयुक्त शिक्षणनीतियों, प्रविधियों, युक्तियाँ तथा उपकरणों का प्रयोग करता हैं. इससे शिक्षण मनोवैज्ञानिक, हो जाता हैं., , . विषय-सामग्री का सिमित होना - पाठ-योजना में विषय-सामग्री परिमित एवं सिमित हो, जाती हैं. इससे जहाँ एक ओर शिक्षक को आवश्यक बातें छोड़ते हुए केवल निश्चित तथा, सिमित बातों को याद करने तथा उन्हें विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत करने में आसानी होती हैं, वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों को भी क्रमबद्ध तथा व्यवस्थित रूप से प्राप्त हो जाता हैं., , . सहायक सामग्री की तैयारी - पाठ-योजना बनाते समय शिक्षक यह निश्चित कर लेता हैं कि, वह कौन-कौन से तथ्यों को कौन-कौन से विधियों, प्रविधियों तथा उपकरणों की सहायता से, स्पष्ट करने के लिए किस-किस सहायक सामग्री का कब और कैसे प्रयोग करेगा? इससे, आवश्यक एवं प्रभावोत्पादक सहायक सामग्री शिक्षण आर५्भ होने के पहले ही तैयार हो जाती, , हैं., , , , . शिक्षण कौशल का विकास - पाठ-योजना शिक्षा में विधार्थी शिक्षकों के अन्दर शिक्षणकौशल को विकसित करने के लिए मत्वपूर्ण साधन का कार्य करती हैं., , . कक्षा में अनुशासन - पाठ-योजना बनाने से शिक्षक को इस बात का पूरा ज्ञान हो जाता हैं, की उसे कक्षा में क्या, कब और कैसे करना हैं. इससे सभी छात्र अपने-अपने कार्य में लगे, रहते हैं, जिससे कक्षा में प्रशंसनीय अनुशासन बना रहता हैं.
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स्पष्ट हैं, की शिक्षण की सफलता के लिए सुव्यवस्थित पाठ-योजना का महत्वपूर्ण स्थान हैं. इसी विचार, को दृष्टि में रखते हुए डेपिज महोदय लिखते हैं,” कक्षा में जाने से पूर्व शिक्षक को पूरी, तैयारी कर लेनी चाहिए क्योंकि शिक्षक उन्नति के लिए कोई वस्तु इतनी घातक नहीं है जितनी, की अपूर्ण तैयारी. “, , आदर्श पाठ-योजना का विशेषता, (कऋहऋढटाफशाडाट 0 छाप फफछा, 1#550प शाप) :, पाठ-योजना के उपयुक्त सभी लाभ केवल, उसी समय, , प्राप्त हो सकेगें जब यह उत्तम एवं आदर्श हो. आदर्श पाठ-योजना की निम्नलिखित विशेषताएँ, हैं :, . उद्देश्य पर आधारित - पाठ-योजना किसी-न-किसी उद्देश्य पर आधारित होनी चाहिए,, क्योकि शिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसी उद्देश्य को प्राप्त करता हैं., , . उपयुक्त सहायक सामग्री के सम्बन्ध में निर्णय - सहायक सामग्री शिक्षक का एक, महत्वपूर्ण साधन हैं. अत: आदर्श पाठ-योजना तैयार करते समय सभी शिक्षण सहायक, सामग्री को उसके यथास्थान पर अंकित करना चाहिए, जिससे शिक्षक को शिक्षण के समय, प्रयोग करना हैं., , - पूर्व ज्ञान - आदर्श पाठ-योजना विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए. इससे, विद्यार्थियों को नवीन ज्ञान अर्जन करने में कठिनाई नही होती., , . उदाहरणों का प्रयोग - आदर्श पाठ-योजना में शिक्षक को उदाहरणों का प्रयोग करना चाहिए, जो विद्यार्थियों के वास्तविक जीवन से सम्बन्धित हो., , . समय का ध्यान - आदर्श पाठ-योजना विद्यार्थियों के मानसिक स्तर तथा कालांश की अवधि, को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए.
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. मूल्यांकन - आदर्श पाठ-योजना में विद्यार्थियों पर पड़े प्रभाव को जानने की विधि का भी, उल्लेख किया जाना चाहिए. इससे शिक्षक द्वारा उपयोग की गयी विधियों का मूल्यांकन भी हो, जायेगा. साथ ही विद्यार्थी भी सीखने में रूचि लेगें ., , , , . गृहकार्य - आदर्श पाठ-योजना में गृहकार्य की व्यवस्था भी होनी चाहिए. इससे विद्यार्थी, अर्जित किये हुए ज्ञान का उचित प्रयोग करना सीख जायेगें., , पाठ-योजना का निर्माण करते समय ध्यान देने योग्य बातें, , पाठ-योजना बनाते समय, निम्न बातों को ध्यान रखना बेहद जररी हैं: , - पाठ-योजन बनाते समय विषय की उद्देश्य की स्पष्टता होनी चाहिए., , 2. पाठ-योजना बनाते समय शिक्षक को अपने विषय का पूर्ण रूप से ज्ञान होना चाहिए., , . उत्तम पाठ-योजना के निर्माण के समय शिक्षक को अपने विषय के साथ-साथ सभी विषयों, की सामान्य जानकारी होनी चाहिए., , - पाठ-योजना बनाते समय शिक्षक को अपने शिक्षण विधियों, शिक्षण सूत्रों का पूर्ण ज्ञान होना, , चाहिए., , - पाठ-योजना बनाते समय विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखकर ही बनाना चाहिए., , - पाठ-योजना बनाते समय कक्षा के स्तर का ध्यान रखना चाहिए., , . पाठ-योजना बनाते समय सहायक सामग्री का प्रयोग करना बहुत जरुरी है क्योकि इससे, , शिक्षण प्रभावशाली बनती हैं., , . पाठ-योजना बनाते समय विद्यार्थियों के मानसिक तथा कालांश अवधि का ध्यान में रखकर ही, , तैयार करना चाहिए.