Page 1 :
आई एम कलाम, , 4. 'हमारा सौदा था खेल घंटी में खाने की अदला - बदली का । ' - इस तरह की अदला - बदली से हम क्या समझ, सकते हैं?, , बच्चों के मन में स्वार्थ और उच्च वर्ग - निम्न वर्ग के विचार नहीं। दोस्तों को वे सब कुछ देते हैं। दोस्ती, का स्थान हमारे जीवन में बहुत बड़ा है।, , 2. ' रविवार की छुट्टी का दिन उनके लिम हफ़्ते का सबसे बुरा आ करता । ' ऐसा क्यों कहा गया है?, मोरपाल को अपने घर और खेत में कई काम थे। पढ़ाई के दिनों में वह इनसे मुक्त होकर दोस्त के साथ, हँसी - मज़ाक करके चलता था | इसलिए रविवार उसके लिए बुरा दिन हुआ करता था।, , 3. ' बाकी निन्यानवे कहानियों को कभी भूलना नहीं चाहिए जो हमारे बचपनों में है। ' - लेखक ने ऐसा क्यों कहा, , है?, बचपन जीवन का अनूठा समय है। उस समय के अनुभव जीवन के अंत तक बने रहते हैं। यही हमारे, जीवन को बनानेवाले हैं | बडे होकर बचपन की बातें याद करना एंक सुखद अनुभव है।, , 4 ' लेकिन छाटू सिर्फ छोटू होकर नहीं जीना चाहता ' - इससे आपने क्या समझा ?, छोटू चाय बनानेवाला है। लेकिन छोटू के मन में कलाम बनने की इच्छा है। वह कलाम से मिलकर, कुछ बाते बताने का इच्छा करता है। उसका लक्ष्य है जीवन की उन्नति पर पहुँचना |, , 5. ' लेकिन कलाम फिर कलाम है ' - लेखक के इस प्रस्ताव पर चर्चा करें।, कलाम फिर कलाम है का मतलब है कि हमारे कलाम को जीवन में आगे बढ़ने का लक्ष्य है। वह, जीवन की कठिनाइयों को हराकर जीने की इच्छा करता है |, , ७०७४ 800/( - 2996 37, * यह प्रसंग पढ़े , मिहिर और मोरपाल के जीवन अनुभवों के आधार पर टिप्पणी लिखें।, , मिहिर, , मिहिर अमीर घर का बच्चा था । उसे स्कूल जाना पसंद नल छुट्टी । छुट्टी के दिनों में वह खुश था । युनीफ़ॉम, पहनना उसे बुरा लगता था | क्योंकि उसके पास कई कीमती थे। उसका जीवन सुख - सुविधाओं से, भरा था।, मोरपाल, , मोरपाल गरीब बच्चा था | स्कूल जाना वह पसंद करता था । क्योंकि हर दिन उसे घर का और खेती, , का काम करना था। इनसे मुक्ति उसे स्कूल से मिलती थी। छुट्टी के दिन उसे बूरे लगते थे क्योंकि स्कूल, दिनों अपने मित्रों के साथ खुशी से चलता था। उसके पास सिर्फ एक नीली खाकी यूनीफ़ॉम थी। हर दिन वह, वही यूनीफ़ॉम पहनकर चलता था। उसका जीवन अभावों में चलता था ।, , » पढ़े , डायरी लिखें।, फ़िल्म के अंत में छोटू उर्फ कलाम का सपना साकार होता है। अपनी सफलता की बात वह अपनी, डायरी में लिखता है। संभावित डायरी लिखें।, , स्थान, तारीख, , मेरे जीवन के बारे में सोचकर आज मैं है । कई कठिनाईयों से गुज़रकर मैं अपना, सपना साकार बनाने में सफल हआ हूँ। पहले माँ मझे भाटी सा की चाय की दूकान में छोड़ गई थी, । टीवी में लंबे बालों वाले राष्ट्रपोति डा. कलाम को देख देखकर मन में कलाम बनने की आशा, आती है। विदेशी पर्याटक लूसी मेडम ने मुझे दिल्ली ले जाने का वादा किया था | अपने दोस्त, रणविजय के पिता से लगाये चोरी का आरोप मैं ने दोस्ती के नाम पर चुप से सह लिया। इसी तरह, कई कठिनाईयों के बाद डॉ. कलाम के पास पहुँचने के लिए खुद निकला । अब मैं अपनी मंजिल, पर पहुँच गया हूँ।