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1% आफ शिफक लता: (0४ 8015) 2403628 शवर॥ालगरशर आन का- लत (2उका शाला कहता भारत एाका ताकत 80७9099॥ 4ए/गड (स्ााउकको ७0-सशतारतर्तय 4., , १रा-००र०2:, , काकी॥.. शि्ग-ब 82365 हा,, , पत्र-लेखन, , , , मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने जीवन को सरस और सफल बनाने के लिए वह अपने परिवार, समाज, संबंधियों, मित्रों तथा, , सभी परिचितों से संबंध बनाकर रखता था। पत्र-व्यवहार न केवल परिचितों के साथ बल्कि अपरिचितों के साथ भी विचार-विनिमय, , बनाए रखने में सहायक होता है। पत्रों के माध्यम से हम अपने मित्रों, आत्मीय जनों से विचारों का आदान-प्रदान सहजता से कर सकते, हैं। पत्र न केवल व्यक्तिगत संबंधों में बल्कि व्यापार और व्यवस्था में भी मनुष्य के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।, , पत्र के दो प्रकार होते हैं1. औपचारिक पत्र, 2. अनौपचारिक पत्र, , औपचारिक पत्र- ये पत्र अपने क्षेत्र में व्याप्त परेशानियों की चर्चा करने, आवश्यकताओं कौ पूर्ति के लिए उच्चाधिकारियों, का ध्यान आकर्षित करने, सरकारी कर्मचारियों को सूचित करने, समाचार-पत्र के संपादक को, प्रधानाचार्य आदि को लिखे, जाते हैं।, , औपचारिक पत्र को भी दो भागों में बाँट सकते हैं, 1. आवेदन पत्र, , 2. व्यावसायिक / आधिकारिक पत्र, , अनौपचारिक पत्र- ये पत्र अपने सगे-संबंधियों, मित्रों एवं परिचितों को लिखे जाते हैं। ऐसे पत्रों में भावनाओं, अनुभूतियों तथा, अपनत्व का पुट अवश्य होना चाहिए।, , पत्र लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, पत्र की भाषा सरल व सहज होनी चाहिए।, , वाक्य छोटे व सारगर्भित होने चाहिए।, , लेखन में तारतम्यता होनी चाहिए।, , पत्र संक्षिप्त व अर्थपूर्ण होना चाहिए।, , पत्र में अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।, , दोनों प्रकार के पत्र पृष्ठ की बाई ओर से लिखने चाहिए।, , शिकायती पत्र की भाषा में विवेक तथा संयम का भाव होना चाहिए।, , पत्र में दिनांक अवश्य लिखना चाहिए।, , एम
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200४३: > 5 बदा50 2 26/14/2000 ८05: 2 60:72 0224 23:22 738:5035 6 22062 6828: 656 25/& 2455 06052 6264 %5420000525050 22662 0:3/68 / ६:25, 2924, रापाव्थर0०21. 5. शिण्ग-व झ९३0७7 आह एम, , पत्रों के कुछ नमूने इस प्रकार हैं, 1. आजकल किशोरों के लिए दूरदर्शन पर आ रहे कार्यक्रमों में जीवन-मूल्यों की प्रेरणा देने वाले कार्यक्रम की आवश्यकता, को बताते हुए संपादक को प्रकाशनार्थ एक पत्र लिखिए।, मुख्य संपादक, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, विषय : दूरदर्शन कार्यक्रमों में जीवन-मूल्यों की बहुलता हेतु पत्र।, मान्यवर, मैं भारत देश का सामान्य नागरिक हूँ और देश की युवा पीढ़ी पथश्रष्ट हो रही है, इसलिए चिंतित होकर आपको पत्र लिख, रहा हूँ। देश की युवा पीढ़ी, जिसके कंधे पर भारत का भविष्य निर्भर करता है, दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले जादू-टोने,, सास-बहू के षड्यंत्र व चुडैलों के कार्यक्रमों को देखकर दिशा- भ्रष्ट हो रही है। भारत के युवाओं को आगे चलकर देश की, बागडोर सँभालनी है। ऐसे में यदि वे इन कार्यक्रमों को देखकर इन पर विश्वास करने लगेंगे तो यह समाज और देश दोनों के, लिए खतरनाक है। टीवी का युवाओं पर बड़ी जल्दी प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस पर इस प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित होने, चाहिए, जिनसे युवक व युवतियाँ देश-प्रेम की ओर उन्मुख हों। वे देश की उन्नति में अपना योगदान दें। युवाओं में शारीरिक, बल के साथ-साथ कुछ कर गुज़रने की तमन्ना व ढेरों सपने होते हैं, लेकिन ऐसे कार्यक्रम उनके सपनों पर कुठाराघात कर, उन्हें लाचार बना देते हैं। वे अपने बाहुबल पर नहीं इस तरह की बातों पर विश्वास करने लगते हैं जो उचित नहीं है।, आपसे अनुरोध है कि आप मेरे इस पत्र को अपने अख़बार में छापें, ताकि संबंधित अधिकारी इसे पढ़कर इस पर उचित कार्यवाही, कर सकें।, धन्यवाद।, भवदीय, क.ख.ग., 10 जुलाई, 202%, , 2. बरसात के दिनों में जल जमाव के कारण होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए नगर निगम अधिकारी को पत्र, लिखिए।, अधिकारी महोदय, नगर निगम कार्यालय, नई दिल्ली, विषय: जल भराव से होने वाली कठिनाइयों की जानकारी हेतु पत्र।, मान्यवर, मैं रोहिणी सेक्टर-1 का निवासी हूँ और अपने क्षेत्र में वर्षा के दिनों में होने वाले जल-भराव से परेशान होकर आपको पत्र लिख, रहा हूँ।, सेक्टर-1 में वर्षा के दिनों में गलियों में पानी भर जाता है। शौचालय ऊपर तक भर जाते हैं, जिससे उनका गंदा पानी न केवल, गलियों में वरन घरों के अंदर तक पहुँच जाता है। आप सोच सकते हैं ऐसे में वहाँ रहने वालों का क्या हाल होता होगा। पानी, निकल जाने के पश्चात नालियों की सारी गंदगी गलियों व घरों में सडाँध पैदा कर देती है। बच्चे व बूढ़े बीमार होने लगते हैं।, डेंगू, मलेरिया, हैज़ा जैसी बीमारियाँ हर घर में अपना स्थान बना लेती हैं। आने वाले माह में वर्षा आरंभ होने को है और हम, उससे उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को सोचकर ही चिंतित हो रहे हैं।, हम सभी क्षेत्रवासियों का आपसे अनुरोध है कि समय रहते हमारी समस्या का उचित समाधान कर दें ताकि हम चैन की साँस, ले सकें।, धन्यवाद।, भवदीय, क.ख.ग., 31 मार्च, 20209
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1 फू शिफक लता: (0४ 8015) 2403628 शवर॥ालगरशर आन अकाा- तप (2उका शलाका [रहता भारत पता ताकत रत 80७099॥ 42 (ट्ााउछको 0-सशतापतणय 4., रा-०्थर०21. कक. शिव्ग-4 । एम, , 3. यात्रा करते समय मेट्रो में छूट गए अपने बैग और मोबाइल को मेट्रो-कर्मचारी द्वारा वापिस भेज दिए जाने पर उसकी, ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए पत्र लिखिए।, अध्यक्ष महोदय, मेट्रो कार्यालय, नई दिल्ली, विषय : मेट्रो कर्मचारी की प्रशंसा हेतु पत्र।, मान्यवर, मैं सेक्टर अठारह रोहिणी का निवासी हूँ। आप का ध्यान एक अच्छे व ईमानदार मेट्रो-कर्मचारी की ओर दिलाना चाहती हूँ।, मैं कल सुबह लगभग 7 बजे सेक्टर-18 से मेट्रो पकड़कर “एम्स' के लिए गई थी। मेरे पास मेरे छोटे बैग के अतिरिक्त लैपटॉप, बैग भी था। जिसमें मैंने मोबाइल भी रख दिया था। डॉक्टर से मिलने की हड्बड़ी में मैं अपना बैग अपनी सीट के नीचे ही भूल, गई। अस्पताल जाकर याद आया कि मुझे तो यहीं से ऑफिस जाना था, बैग तो वहीं छूट गया। बहुत दुख हो रहा था कि अब, लैपटॉप के बिना कैसे काम चलेगा। बैग में लगभग 3000 रू० व ज़रूरी कागज़ों की फाइल भी थी। तभी आपके नरेश नाम के, कर्मचारी का फोन आया और उन्होंने वह बैग लेने के लिए मुझे एम्स मेट्रो स्टेशन पर बुलाया। मैं वहाँ पहुँची और नरेश जी ने, मेरा बैग ज्यों-का-त्यों मुझे लौटा दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे उनका धन्यवाद करूँ। सच में आज भी दुनिया, में ईमानदार है, तभी यह दुनिया चल रही है। उन्होंने बताया कि सफ़ाई करते समय उन्हें मेरा यह बैग मिला, जिसकी एक जेब, से मेरा कार्ड था, जिस पर मेरा फोन नं» लिखा था। मेरे पैसे, मोबाइल व लैपटॉप सब कुछ उस बैग में मौजूद थे।, आपसे अनुरोध हे कि आप अपने इस कर्मचारी को प्रशंसा करते हुए सम्मानित करें ताकि दूसरों को भी ऐसा कार्य करने की, प्रेरणा मिल सके।, धन्यवाद।, भवदीया, क.ख.ग., 10 फरवरी, 20202, , 4. परिवहन निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए, जिसमें आपने गाँव या कॉलोनी में बस चलाने का अनुरोध किया गया हो।, , अध्यक्ष महोदय, , परिवहन निगम, नई दिल्ली, , विषय: गाँव तक बस चलाने का अनुरोध करते हुए पत्र।, , मान्यवर, , मैं रोहिणी सेक्टर-35 के पास रज़ापुर गाँव का निवासी हूँ। आपसे अपने गाँव तक बस चलाने का अनुरोध करते हुए पत्र लिख, रहा हूँ।, , श्रीमान जी, हम सभी यहाँ रज़ापुर के वासी खराब बस-व्यवस्था से परेशान हैं। हमारे यहाँ से सुबह-सुबह लगभग सौ लोग काम, पर जाने के लिए निकलते हैं, लेकिन गाँव के पास बस-स्टैंड तो पिछले वर्ष बना दिया गया, पर वहाँ कोई बस आती-जाती, नहीं। हमें लगभग 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल चलकर सेक्टर 34 के पास पहुँचना पड़ता है। वहाँ भी एक निश्चित समय पर, केवल एक ही बस आती है। दोनों गाँवों के निवासियों के लिए एक ही बस में इतनी सवारियों का चढ़ना लगभग असंभव हो, जाता है। कभी झगड़ा तो कभी गाली-गलौच होने लगता है। काम पर पहुँचने में देरी होने से मालिक की डाँट भी खानी पड़ती, है। बच्चों को स्कूल पहुँचने में देरी होने से वे भी स्कूल में सज़ा पाते हैं। स्त्रियाँ तो कहीं आने-जाने लायक रहती ही नहीं,, क्योंकि छोटे बच्चों को लेकर इतनी दूर तक पैदल चलना, फिर सामान ढोकर लाना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देता है।, आपसे अनुरोध है कि आप स्वयं इस कार्य को अपने हाथ में लेकर हमारी समस्या का उचित समाधान करें। सभी क्षेत्रवासी, आपके प्रति अनुगृहित होंगे।, , धन्यवाद।, , भवदीय, , क.ख.ग., , 24 जुलाई, 20202
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200४३: > 5 बदा50 2 26/14/2000 ८05: 2 60:72 0224 23:22 738:5035 6 22062 6828: 656 25/& 2455 06052 6264 %5420000525050 22662 0:3/68 / ६:25, 2924, रापाव्थर0०21. 5. शिण्ग-व झ९३0७7 आह एम, , 5. प्लास्टिक की चीज़ों से हो रही हानि के बारे में किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर अपने सुझाव दीजिए।, संपादक महोदय, संध्या टाइम्स, नई दिल्ली, विषय: प्लास्टिक की चीज़ों से होने वाली हानियों के विषय में पत्र।, मान्यवर, देश का सामान्य नागरिक होने के नाते प्लास्टिक की चीज़ों से हो रहे नुकसान को लेकर चिंतित हूँ, इसलिए आपको पत्र लिख, रहा हूँ।, कुछ दिनों पहले कारखाना क्षेत्र में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ जाकर जो देखा उसे शब्दों में बयाँ कर पाना आसान नहीं,, क्योंकि कर्मचारियों की स्थिति व आसपास का दूषित वातावरण देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक, बाहर से दिखने में जितना सुंदर लगता है, उतना ही बनते समय खतरनाक भी होता है। इससे वायु प्रदूषित होकर हमारी साँसों, दूवारा शरीर के भीतर प्रवेश करके विभिन्न बीमारियों को जन्म देती है। लोग प्लास्टिक की थैलियों में गर्म खाना लेकर आते, हैं, वह भी दूषित होकर शरीर के भीतर जाता है। हम इन सभी बातों को जानकर भी अनजान बने घूम रहे हैं। अस्थमा, कैंसर,, फेफड़ों से संबंधित रोग इस प्लास्टिक की ही देन हैं। यदि हम चाहते हैं कि हम अपना जीवन अच्छे से जीएँ तो आवश्यक हे, कि प्रण लें कि प्लास्टिक की इन चीजों का प्रयोग न स्वयं करेंगे और न किसी को करेने देंगे।, आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने अख़बार में छापें ताक आम लोग इसे पढ़कर जागरूक हों तथा प्लास्टिक, की चीज़ों से होने वाली हानियों को समझकर इसका प्रयोग कम कर दें तभी हम अपने मकसद में कामयाब होंगे।, धन्यवाद।, भवदीय, क.ख.ग., 15 दिसंबर, 20296, , 6. क्षेत्र में बढ़ते अपराधों की सूचना देते हुए क्षेत्र के थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए।, अध्यक्ष महोदय, थाना रानीबाग, नई दिल्ली, विषय: क्षेत्र में बढ़ते अपराधों की सूचना हेतु पत्र।, मान्यवर, मैं रानीबाग क्षेत्र का आम नागरिक हूँ और पिछले दिनों क्षेत्र में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों से परेशान होकर आपको पत्र लिख, रहा हूँ।, कल शाम को सब्जी लेते समय दो मोटर साइकिल सवार लड़कों ने महिला की चेन खींच ली। उससे पहले सुबह-सुबह फोन, पर बात कर रहे एक प्रौढ़ के हाथ से मोबाइल फोन छीनकर भाग गए। कल रात को साथ वाली गली में चोरों ने सेंध मारी।, ये कुछेक घटनाएँ दो-तीन दिन के अंदर ही घटित हुई हैं। कुछ दिन पहले रात करीब 11 बजे मैंने तीन-चार लोगों को रेकी, करते देखा और अपने क्षेत्र के प्रधान से इस विषय में बात भी की। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे आपसे मिलकर इस विषय, में अवश्य चर्चा करेंगे। कुछ अराजक तत्व जान-बूझकर पड़ोस में झगड़ा तक करवा रहे हैं जबकि वे हमारे क्षेत्र के निवासी भी, नहीं हैं। इन तत्वों से बात करते हुए भी डर लगता है। बच्चों को बाहर खेलने के लिए भेजना भी एक समस्या बन चुका है।, घर की महिलाएँ अलग परेशान हैं कि बच्चे खेलने नहीं जाएँगे तो सारा दिन घर में उधम मचाएँगे। संध्या समय भी पार्क खाली, नज़र आते हैं। क्षेत्र का माहौल डरा-डरा-सा हो गया है।, आप से विनम्र प्रार्था है कि आप इस विषय में स्वयं हस्तक्षेप करते हुए इस क्षेत्र का दौरा करें और सारी स्थिति को समझकर, उसके अनुकूल पुलिस कर्मियों को तैनात करें। दुर्घटना होने से पहले यदि उसका बचाव कर लिया जाए तो अधिक उचित है।, धन्यवाद।, भवदीय, क.ख.ग., 4 अगस्त, 20236