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स्वर्ण काक:, , , , यह कहानी विश्व कथा शतकम से संकलित की गई है इसके लेखक श्री पद्म शास्त्री हैं। इस कहानी में लोग के, दुष्परिणाम के बारे में बताया गया है। प्राचीन काल में एक गांव में एक निर्धन वृद्धा स्त्री रहती थी उसकी एक, बेटी थी जो सुंदर, मनोहर और सुशील थी। एक दिन उस वृद्धा ने अपने आँगन में चावल के दानों को पसारते, हुए बेटी से कहा कि- पक्षियों से इसकी रक्षा करो' और बाहर चली गई। उसी समय चावल के पास एक विचित्र, कौवा आया, जिसका पंख सोने का और चोंच चांदी की थी, वह चावलों को खाने लगा और हंसने लगा। उसे, हँसता हुआ देखकर लड़की डर गई और रोने लगी रोते-रोते उसने कौंवे से कहा कि “तुम हमारी चावलों को मत, खाओ हम गरीब आदमी है हमारे चावल्रों को मत खाओ'।, , इस पर कौवा बोला “कल प्रातः काल इस गांव के बाहर जो पीपल का पेड़ है वहां आकर अपने चावलों का, मूल्य ले जाओ'। कौवे के इतना कहते ही लड़की बहुत खुश हो गई खुशी के मारे वह रात भर सो नहीं पाई और, प्रातः सूर्योदय के पहले ही गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास चली गई। वहां जाकर उसने देखा की पीपल के, पेड़ पर एक सोने का बहुत बड़ा भवन बना हुआ है। उसने नीचे से आवाज लगाया कि 'मैं आ गई हूं मुझे, चावलों का मूल्य दे दो'! भवन की खिड़की से झांकते हुए कौवे ने लड़की से पूछा कि 'तुम सोने की सीढ़ी से, ऊपर चढ़ना पसंद करोगी या तांबे या चांदी की”?, , लड़की ने कहा मैं एक गरीब मां की बेटी हूं इसलिए तांबे की सीठी ही पर्याप्त है। कौवे ने उसके लिए सोने की, सीढ़ी दी और उसे ऊपर बुला लिया। कौवे ने पुनः कहा कि तुम भूखी हो पहले नाश्ता कर लो और बताओ तुम्हें, किस प्रकार की थाली में भोजन दूँ? सोने की चांदी की अथवा तांबे की? लड़की ने कहा- मैं एक गरीब मां की, बेटी हूं अतः मुझे तांबे की थाली में ही खाना है। कौवे ने उसे सोने की थाली में खाना परोसा। खाना खाने के, बाद लड़की ने घर जाने की इच्छा जताई तब कौवे ने उसे तीन पेटियां दिखायी और कहा कि जो तुम अपने, चावलों के मूल्य के बराबर वाली पेटी ले सकती हो। लड़की ने उसमें से सबसे छोटी पेटी को चुना और अपने, , , , घर आ गयी। घर आने पर उसने देखा कि वह पेटी हीरे-जवाहरातों से भरी पड़ी है।, , , , उनके घर के बगल में एक लालची वृद्धा और उसकी बेटी रहती थी। उन्होंने भी उसी प्रकार धन हासिल करने, के बारे में सोचा, और एक दिन आंगन में चावल्र का दाना प्रसार कर वृद्धा ने बेटी को उसकी रक्षा के लिए, कहा और घर के बाहर चली गई। सोने का कौवा आया और जब चावलों को खाने लगा तब उसकी बेटी ने उसे, गाली देते हुए चावलों के मूल्य देने को कहा। तब कौवे ने उसे पूर्व की भांति पीपल वृक्ष के नीचे आकर मूल्य, लेने के लिए कहा। वह लड़की पीपल पेड़ के नीचे जाकर कौवे को गाली देती हुई बोली कि “मुझे मेरे चावलों के, मूल्य दो। कौंवे ने उसे पूछा कि तुम सोने, चांदी अथवा तांबे की सीढ़ी में से किसी प्रकार की सीढ़ी से ऊपर, आओगी? लड़की ने उसे बुरा-भला कहते हुए सोने की सीढ़ी मांगी तब कौवे ने उसे तांबे की सीढ़ी से ऊपर, बुलाया। भोजन के लिए भी कौवे ने उसे उसी प्रकार पूछा और लड़की दवारा सोने की थाली मांगे जाने के, उपरांत कौवे ने उसे तांबे की थाली में भोजन दिया। भोजन के पश्चात् कौवे ने लड़की को तीन पेटियां दिखाते, हुए चावलों के मूल्य बराबर पेटी चुन लेने के लिए कहा। लड़की सबसे बड़ी बेटी उठाकर घर की ओर चल दी।, घर आकर जब मां-बेटी ने उस पेटी को खोला तो उसमें एक काला सांप दिखाई दिया। सच ही कहा गया है “ल्लाल्च काले सांप के समान होता है जो व्यक्ति की अच्छाई को डस लेता है'।