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जॉन रॉयल्स के न्याय के सिद्धांत की चर्चा करें।, , जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी, 1921 को अमेरिका के मैरीलैंड में हुआ, था।, , रॉल्स एक प्रसिद्ध उदारवादी, राजनीतिक दार्शनिक थे।, रॉल्स ने अपनी पुस्तक 'ए थ्योरी ऑफ जस्टिस' में न्याय के विषय पर, , उदारवादी सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे “निष्पक्षता के रूप में न्याय” का नाम, दिया।
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जॉन रॉयल्स ने अपनी पुस्तक & ७४९०५ ० ५५४८७ में न्याय के स्पा, को स्पष्ट किया हैं।, , 19वीं शताब्दी में न्याय का उदारवादी सिद्धांत लोकप्रिय था।, , लेकिन जॉन रॉयल्स ने एक ऐसा न्याय का सिद्धांत बनाना चाहा जो कि, आधुनिक लोकतंत्र और कलया णकारी राज्य के अनुरूप हो, , जॉन रॉल्स ने न्याय के लिए वितरण को आधार बनाया रॉयल्स के, अनुसार जब तक वितरण ठीक से नहीं होगा तब तक न्याय की, स्थापना नहीं की जा सकती
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इस प्रकार जॉन रॉल्स ने मानव आवश्यकताओं की वस्तुओं को दो, में विभाजित किया तथा इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित किया, , जा सकता हैं :, 1. सामाजिक पदार्थ और, 2. प्राकृतिक पदार्थ, , समाजिक पदार्थ - ऐसी वस्तुओं को कहा जाता है जिनका वितरण, सामाजिक संस्थाओं के द्वारा किया जाता हैं या समाज द्वारा किया जाता, है जैसे - वेतन, अधिकार, संपत्ति , स्वतंत्रा आदि
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प्राकृतिक पदार्थ - उन वस्तओं को कहा जाता है जिन का बंटवारा हि., सामाजिक संस्थाओं के दवारा नहीं किया जाता जैसे - बदधि, कल्पनाशीलता, शक्ति, साहस।, , इस तरह सामाजिक पदार्थों का वितरण करके पूरे तरीके से इस तरह, समाज में न्याय स्थापित किया जा सकता है जॉन रॉल्स ने न्याय के, सिद्धांत का समर्थन किया है जो कि सामाजिक समझाँते के सिद्धांत पर, आधारित हैं, , जॉन रॉयल्स का मानना है कि लोगों ने अपनी आवश्यकताओं को पर्ति, करने के लिए सामाजिक समझौते किए हैं लेकिन उनका उददेश्य था कि, एक ऐसे समाज का निर्माण किया जाए जहां सब को न्याय मिल्रे।
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जॉन रॉयल्स का मानना है। पहली अवस्था में प्रारंभ में एक दूसरे के श, प्रति लोग उदासीन थे जब तक एक दूसरे की आवश्यकता पूर्ति होती, रहती थी जब तक वह ना तो किसी से नफरत करते थे ना ही किसी से घृणा, करते थे फिर भी एक नए समाज के बारे में निर्णय देते हैं ।, , मान लीजिए, समाज बना ही नहीं समाज में मिलकर बनाना है तो हम ऐसे में, समाज बनाने के बारे में फैसला लेंगे जिसमें उसकी अधिकतर हितो की पूर्ति हो, सके जैसे उनको ज्यादा से ज्यादा अधिकार मिल्रे ज्यादा से ज्यादा, स्वतंत्रता मिले और ज्यादा से ज्यादा हर किसी व्यक्ति को वेतन, मिले। हम ऐसे समाज में आना चाहिए जिसमें हमारे ज्यादा से ज्यादा, हितों की पूर्ति की जा सके। जो लोग समाज बनाएंगे। उनको यह नहीं, पता कि इस समाज में किस व्यक्ति की क्या स्थिति होगी।