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६०४ ५शं॥ ५/?2६७ ०10९, , उत्तर : प्रस्तुत दोहे में कबीरदास कहते हैं कि लघुता से प्रभुता मिलती है, याने विनम्रता से सामाजिक प्रतिष्ठा, प्राप्त होती है। प्रभुता से प्रभु ( ईश्वर) दूर हो जाता है, याने जिसके हृदय में अहं का भाव है उसके हृदय में ईश्वर, निवास नहीं करता। कबीरदास ने चींटी और हाथी का उदाहरण दिया है। विनय के साथ चलनेवाली चींटी शक्कर, हनी) लेकर चल सकती है । हाथी को बड़ा प्राणी होने का घमंड है, इसलिए वह अपने सिर पर धूल ही डाल सकता, ।, , इस दोहे का मतलब यह है कि व्यक्ति के महत्व का आधार उसकी सादगी और विनम्रता है। अहंकार को, छोड़ना चाहिए, तभी हृदय में ईश्वर की प्रतिष्ठा होगी।, , 3. दुख में सुमिरन सब करै, सुख में करे न कोय।, जो सुख में सुमिरन करै, तो दुख काहे होय।।, 1. ' स्मरण' शब्द का समानार्थी शब्द कौन-सा है ? ( सुमिरन, सुख, दुख), उत्तर : सुमिरन, 2. सब लोग कब ईश्वर का स्मरण करते हैं ?, उत्तर : दुख के अवसर पर।, 3. सुख में ईश्वर का स्मरण करने से क्या फायदा है ?, उत्तर : दुख कभी नहीं होगा ।, 4. दोहे का आशय लिखें।, , उत्तर : कबीरदास कहते हैं कि दुख के अवसर पर सब लोग ईश्वर का स्मरण करते हैं। सुख के अवसर पर कोई भी, स्मरण नहीं करता। अगर सुख में भी ईश्वर का स्मरण करें तो फिर दुख कभी नहीं होगा ।, , इस दोहे का मतलब यह है कि केवल दुख के अवसर पर ईश्वर का नाम लेना सच्ची भक्ति नहीं। सच्चा भक्त, सुख- दुख की परवाह किये बिना बराबर भगवान का नाम लेता है। जब तक ईश्वर का स्मरण करेगा तब तक उसकी, कृपा मिलती रहेगी और जब तक ईश्वर की कृपा मिलती रहेगी तब तक हमें दुख नहीं होगा।, , 4. कामी क्रोधी लालची, इनते भक्ति न होय।, भक्ति करै कोई सूरमा, जाति बरन कुल खोय।।, 1. किन-किन से भक्ति नहीं होती ?, उत्तर: कामी, क्रोधी और लालची व्यक्तियों से भक्ति नहीं होती।, 2. कौन भक्ति कर सकता है?, , , , , , उत्तर : कोई शूर या बहादुर व्यक्ति ही भक्ति कर सकता है।, , 3. सच्चा भक्त क्या-क्या छोड़ देता है ?, , उत्तर : सच्चा भक्त जाति, वर्ण, कुल (परिवार) आदि को छोड़ देता है।, 4. ' शूर' का समानार्थी शब्द दोहे में कौन-सा है ?