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अध्याय-1, शस्य विज्ञान, भारतीय कृषि का इतिहास, शाखाएँ, महत्व एवं क्षेत्र, (एकांत 4ह87८णाप्रा'९ : पम्ांडाणए, छा्याटलार5, 5९००० & धाशा- व्राए०7-/आा९९०), , हमारे देश की लगभग”70 प्रतिशत आबादी कृषि व, कृषि उद्योगों पर निर्भर हैं| प्राचीन काल से ही भारत कृषि प्रधान, -.. देश रहा हैं। भारत के प्राचीन ग्रन्थों यथा वृक्षायुवेद, कृषि पाराशर,, कृषि सूकत, अथर्ववेद, ऋग्वेद आदि का अध्ययन करने से स्पष्ट, * होता हैं, कि प्राचीन समय से ही कृषि, भारत में अपना विशिष्ट, # स्थान रखती थी। खाद्य कृषि संगठन (780) के कृषि विशेषज्ञ, रह चुके हो. के एल मेहरा ने बताया कि सरस्वती चदी के उद्भव के. एल मेहरा ने बताया कि सररू, श्य पता लगने के बाद शोध द्वारा यह प्रमाणित हो गया हैं कि, भारत प्राचीन काल से ही एक साथ दो फसलें लेने वाला दुनिया, का पहला देश हैं. इस तरह भारतीय कृषि सभ्यता विश्व को, प्राचीनतम् सभ्यता मानी जाती हैं।, मनुष्यों की अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति कृषि द्वारा, ही होती हैं | आहार, वस्त्र, आवास सहित सभी आवश्यकत्ताओं की, पूर्ति कृषि अथवा कृषि आधारित उद्योगों से होती हैं।), प्राचीन समय से ही राज्य व्यवस्था चलाने में कृषि को महत्वपूर्ण, स्थान प्राप्त था।, महाभारत के सभापर्व में ऋषि नारद, युधिष्ठिर से कहते, है- ” हे राजन कृषि को सुधारने हेतु स्थान-स्थान पर कुएँ,, बावड़ी, तालाब इत्यादि खुदवायें जायें, ताकि आपके राज्य में, कृषि वर्षा पर ज्यादा निर्भर न रहें।”, प्राचीन ग्रन्थों में अक्षत (चावल), कनक (गेहूँ) जौ, तिल,, श्रीफल फल (नारियल). हल्दी, चन्दन, ईख,राई, मेथी, सूत (कपास) (कपास, इत्यादि का उल्लेख किया गया है | इससे सिद्ध होता है कि भारत, में कृषि उपज का अस्तित्व हजारों वर्ष पूर्व भी था। मोहनजोदड़ो, और हड़प्पा सभ्यता काल के अवशेषों में कृषि उपज के अवशेष, भी प्राप्त हुये हैं।, निम्न उदाहरणों से प्राचीन भारत में उन्नत कृषि ज्ञान की, पुष्टि की जा सकती हैं (1) ऋग्वेद की ऋचाओं में पर्यावरण, वानिकी, कृषि, उपकरण आदि का महत्व दर्शाया गया है।, (2) मोहन जोदड़ो व हड़प्पा सभ्यता से देशी हल, जुते, हुए खेत, अनाज भण्डारण, पहिये वाली गाड़ी के अवशेष मिले हैं ।, (3) अथर्ववेद में पादप सुरक्षा संबंधी जानकारी दी गई हैं।, (4) वाराहमिहिर के वृहत संहिता में मृदा वर्गीकरण,सिंचाई, प्रणाली, कृषि उपकरण एवं मौसम पूर्वानुमान की जानकारी दी, , गई हैं।, , अत: प्राचीन भारतीय कृषि में निहित परम्परागत ज्ञान को, आधुनिक कृषि विज्ञान की उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ, करके कृषि का समुचित विकास किया जा सकता हैं।, उ विवा लक पल की < शब्द संस्कृत की 'क्रष धातु से बना, , जिसका अर्थ है-- खीचना, आकर्षित कर गी, करना होता है। कृषि (कृप+ इन. कित) का अर्थे-- जुताई', किरानी, अतः कृषि से तात्पर्य जुद्यई आदि करके फसल प्राप्त, करना है। #010( 7 1 एरा; (कृषि) शब्द लैटिन भाषा के शब्द, 2एण ण #शञां तथा (पौधा से लिया गया हैं| जिसका, अर्थ क्रमशः मृदा एवं कृषि कर्म करना हैं.इस प्रकार कृषि विज्ञान, एक विस्तृत शब्द हैं जिसमें फसल उत्पादन, पशुपालन, मछली, पालन, वानिकी आदि के सभी तत्व समाहित होते हैं।., इस प्रकार कृषि को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं मनुष्य की वह क्रिया जिसका मुख्य उद्देश्य धरातलीय संसाधनों, से खाना, रेशा, ईंधन आदि का उत्पादन हैं।, सामान्यतया जीवन निर्वाह व आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति क॑ लिये, फसल उत्पादन, पशुपालन आदि की कला व विज्ञान को कृषि, विज्ञान कहते हैं|, परम्परागत कृषि के लिये जहाँ कंवल अनुमव व दक्षता ही, आवश्यक हैं, वही आघुनिक कृषि के लिये अनुसंधान, सिद्धांत,, तकनीक, क्रमबद्ध व सुव्यवस्थित ज्ञान, प्रायोगिक अभ्यास, सहित, कृषि का यंत्रीकरण भी आवश्यक हैं।, आधुनिक भारत में भी कृषि विकास का एक लम्बा इतिहास रहा, हैं। डॉ. एम. एस. रंधावा की पुस्तक "भारत में कृषि का इतिहास”, में भारतीय कृषि का वर्णन प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया, हैं।, सन् 1899-1900 के भीषण अकाल को देखते हुये, इस समस्या, के स्थायी समाधान और कृषि के चहुँमुखी विकास के लिये सन्, 11904 में भारतीय कृषि बोर्ड की स्थापना हुई सन् 1905 में विहार, 'कैदरमंगा जिले में गंडक नदी के किनारे कृषि शोध कार्यो के, लिये फिप्स प्रयोगशाला की स्थापना की गई,, यह क्षेत्र पूसा (21995 ० 05/)के नाम से प्रसिद्ध हुआ |, पूसा स्थित कृषि संस्थान का 1911 में इम्पीरियल इंस्टीट्यूट, ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च नामकरण किया गया।
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।, , 1 अक्टूबर माह तक वर्षा होती है। कुछ क्षेत्रों में दिसम्बर-जनवरी, शरीह में भी वर्षा होती है। अतः भारत के अधिकांश किसान वर्षा, ते] आधारित कृषि (रा ८५४४०४०॥1) कार्य करते हैं।, 1 इअधिकांश क्षेत्रों में भूमिगत व सतही सिंचाई स्रोत भी मानसून के, 'जिवर्षा जल से परिपूर्ण होते है। अत: वर्षा की अनियमितता या कमी, , से खेती पर विपरीत असर पड़ता है। फसल की बुवाई से लेकर, उपज प्राप्ति तक सभी कार्य प्रमावित होते हैं | जबकि अच्छी वर्षा, होने पर पैदावर अच्छी हो जाती है।, | 2. अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर - भारत, में 70% लोग खेती करते है। इससे जहाँ एक ओर रोजगार के, है। पर्याप्त अवसर मिलते है। लेकिन अकाल पड़ने व फसल खराब, थै| होने पर खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाता है।, 3. परम्परागत तकनीकी - भारत में किसान परम्परागत, ): खेती करते है, किसान को खेती का कार्य विरासत में मिलता है,, ) जिससे अनुभव व कौशल से वह परिपूर्ण होता है, लेकिन नवीन, तकनीक का उसे ज्यादा ज्ञान नहीं होता है। जिससे उत्पादन, 1 बढ़ाने का प्रयास वह नहीं कर पाता है। अब वह कुछ मात्रा में, + >'गेत तकनीक, बीज खाद, कृषि यंत्रो का प्रयोग करके खेती में, , सुधार कर रहा है।, , 4. खाद्यान्न फसलों की अधिकता - भारत के, किसान अपनी आवश्यकता को देखकर खेती में फसलों का चयन, करते है। उसे खाद्यान्न की प्राथमिक आवश्यकता रहती है।, इसलिये अधिकांश किसान अनाज वाली फसलें ज्यादा मात्रा में, बोता है। दलहन, तिलहन व अन्य रोकड फसलें कम बोता है।, जिससे उसे रोकड आमदनी कम प्राप्त होती है।, , ७, ए2एउक्लणझएर 5. रोजगार का प्रमुख साधन - भारत में कृषि आधारित, , उद्योग रोजगार के प्रमुख साधन है। अधिकांश जनसंख्या, खेती पर निर्भर होने से अकाल, बाढ या फसल खराब होने पर, लोगों का बडे रतर पर रोजगार प्रभावित होता है| जिससे किसान, च मजदूर कर्जदार हो जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति, जागरूकता कम है | अत: अन्य रोजगार के अवसर वह खोज नहीं, पाता है!, , 6. राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत - भारत के 70%, लोगों से प्राप्त कृषि उपज के कृषि व्यापार से प्राप्त विभिन्न प्रकार, के कर के रूप से सरकार को आय प्राप्त होती है। यदि कभी, फसलें खराब होती है, तो राष्ट्रीय आय भी प्रभावित हो जाती है।, , 1 कृषि विज्ञान के क्षेत्र (5०००), , फककत कही, ... कहक्टकन ... काजी॥.. कह, , , , गाव, , , , ।, , |, , , , +, , खेती सेवा क्षेत्र कृषि सा कृषि उद्योग कृषि उपज व्यापार, फसल उत्पादन कृषि प्रसार बीज उत्पादन एग्री बिजनेस, फलोत्पादन कृषि उत्पादप कम्पनी पादप रोग नियंत्रण एग्री क्लीनिक, पशुपालन कृषि शिक्षण कीट नियंत्रण कृषि उपज विकय, , डेयरी उद्योग, गुड, शक्कर, उद्योग,, , खाद / उर्वरक / वर्मीकल्चर, बीज उत्पादन पौध (नर्सरी), वस्त्र उद्योग, दवा कृषि उपयोगी रसायन, उद्योग, तैयार खाद्य कृषि यंत्र निर्माण, , सामग्री उद्योग, तम्बाकू, , उत्पाद उद्योग