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किरण प्रकाशिकी, , , , , , , , , , 7२०२ 0एशप1ट5, , , , प्रकाश एक ऊर्जा है जिसकी अनुभूति आँखों द्वारा होती है। जिसके, कारण हम पिभिन्न चस्तुओं को देखते हैं। हमारी आँखें विद्युतीय चुम्बकीय, स्पेक्ट्रम से संबंधित विकिरणों जिनकी तरंगदैर्ध्य 400 ## से 750 ## तक, होती है संसूचित कर सकती हैं। इन विकिरणों को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश, की निर्वात् में चाल सबसे अधिक होती है। जिसका मान 253 » 10* मीटर/, सेकण्ड होता है तथा प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है चूँकि सामान्य, वस्तुओं के आकार की तुलना में प्रकाश की तरंगदैर्ध्य काफी कम होती है।, अत: प्रकाश तरंग को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक किसी सरल रेखा के, अनुदिश गमन करते हुए माना जा सकता है। इस पथ को प्रकाश किरण कहते, हैं तथा किरणों के समूह को प्रकाशपुंज कहते हैं। किरण को एक सरल रेखा, द्वारा दर्शाते हैं। सरल रेखा पर तीर का निशान प्रकाश के संचरण की दिशा को, व्यक्त करता है। किरण से हमारा अभिप्राय उस दिशा से है जिसमें ऊर्जा का, संचरण होता है।, , , , [11.1 | का, , , , , , प्रकाश का परावर्तन (२ली€लांग 18), , , , , , जब प्रकाश किसी तल पर गिरता है तो प्रकाश का कुछ भाग तल द्वारा, अवशोषित हो जाता है, कुछ भाग तल द्वारा दूसरे तल या माध्यम में चला, जाता -है। कुछ भाग पुन; उसी माध्यम में लौटा दिया जाता है। गिरने वाले., प्रकाश का कितना भाग लौटता है, कितना भाग दूसरे माध्यम में चला जाता है, तथा कितना भाग अवशोषित होता है यह तल पर निर्भर करता है। “जब, एक प्रकाश किरण किसी माध्यम से चलकर एक परिसीमा ( दो माध्यमों, को अलग-अलग करने वाली सीमा ) पर आपतित होकर उसी माध्यम में, वापस आ जाती है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।'', इस समय तल चमकीला दिखाई देता है।, , , , श्न्नस्ल परावर्तन के पश्चात् प्रकाश का वेग,, तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति अपरिवर्तित रहते हैं, | जबकि तीव्रता तल की प्रकृति के अनुसार, | परिवर्तित होती रहती है।, | (0) यदि प्रकाश किरण किसी सतह पर, | अफ्ेओपयनपरलारस जज क 5 अभिलम्बवत् आपतित होती है, तो परावर्तन के पश्चात् यह, | अपने आपतित पथ पर वापिस लौट जाती है।, , , , , , , , , , , , , , , समतल पर प्रकाश परावर्तन के लिये हम समतल व खुरदरे पृष्ठ दोनों, , पर परावर्तन की घटना का अध्ययन करेंगे।, , , , , , , , शि, 1, , चित्र 11.1, नियमित परावर्तन (रण 7शीस्लांगा)-समतल दर्पण पर जब, सूर्य का प्रकाश या किसी अन्य स्रोत से प्रकाश गिरता है तो सभी परावर्तित, किरणें परावर्तन के नियमानुसार एक विशेष दिशा में लौटती हैं अत: आँख को, जब इन परावर्तित किरण के मार्ग में रखते हैं तो दर्पण हमें चमकीला दिखाई देता, है परन्तु इसके अतिरिक्त अन्य दिशाओं से देखने पर यह चमक कम या नहीं, दिखाई देती है।इस प्रकार के परावर्तन को नियमित परावर्तन कहते हैं।, , , , विसरित परावर्तन (91#95९0 ॥शी०८४०॥)--जब सूर्य का प्रकाश किसी, खुरदरे पृष्ठ पर गिरता है तो सभी दिशाओं में फैल जाता है। खुरदरे पृष्ठ द्वारा, प्रकाश को समान रूप से चारों ओर फैलाने के प्रभाव को विसरित परावर्तन, कहते हैं। अधिकांशत: हम वस्तुओं को विसरित प्रकाश से ही देखते हैं । वायुमण्डल, में धूल, धुएँ के कण आदि प्रकाश को विसरित करते रहते हैं।, , आकाश का नीला रंग भी वायुमण्डल के कारण विसरित प्रकाश का, प्रभाव ही है।, , जबकि अन्तरिक्ष यात्रियों के पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर निकलने पर, आकाश बिल्कुल काला दिखाई देता है।, , , , प्रकाश परावर्तन कुछ नियमों द्वारा होता है। जिन्हें परावर्तन के नियम, कहते हैं। चित्र में प्रकाश के परावर्तन के नियमों को स्पष्ट किया गया है।, परावर्तन निम्न दो नियमों के अनुसार होता है, कप