Page 1 :
सीबीएसई कक्षा 12 इतिहास, पाठ - 10 उपनिवेशवाद और देहात, , (सरकारी अभिलेखों का अध्ययन), पुनरावृत्ति नोट्स, स्मरणीय बिन्दु1. औपनिवेशिक शासन- सर्वप्रथम बंगाल में स्थापित किया गया।, , यही वह प्रांत था जहाँ पर सबसे पहले ग्रामीण समाज को पुनर्व्यवस्थित करने और भूमि संबंधी अधिकारों की नई व्यवस्था तथा, नई राजस्व प्रणाली स्थापित करने के प्रयास किए गए थे।, , 3. 1793 में इस्तमरारी बंदोबस्त लागू किया गया- उस समय कार्नवालिस बंगाल का गवर्नर जनरल था।, , इस्तमरारी बन्दोबस्त लागू करने के बाद प्रारंभिक दशकों में जमींदार अपने राजस्व को अदा करने में बराबर कोताही बरतते रहे,, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व को बकाया रकमें बढ़ती गई।, , सूर्यास्त विधि यदि जमींदारों द्वारा निश्चित तारीख की सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं आता था तो जमींदारी को नीलाम, किया जा सकता था।, , कम्पनी द्वारा जमींदारों को पूरा महत्व देना। पर वह उन्हें नियंत्रित तथा विनियमित करके उनकी सत्ता को अपने वश में रखना, और उनकी स्वायत्ता को सीमित करना भी चाहती थी।, , जमींदारों द्वारा समय पर राजस्व राशि जमा न करने के कई कारण थे, 1. प्रारम्भिक माँगे बहुत ऊँची थी।, , 7. यह माँग 1790 के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की कीमतें नीची थी।, 11. इनकी शक्ति राजस्व इकट्ठा करने व उसके प्रबंध तक सीमित थी।, , अमला जमींदार का एक अधिकारी जो राजस्व इकट्ठा करता था।, , 9. 'रैयत' - शब्द का प्रयोग अंग्रेजों के विवरणों में किसानों के लिए किया जाता था।, , 10., , गो, , 12., , 43, , 14., , 'जोतदार? - धनी किसानों को कहते थे।, , 'पाँचवी रिपोर्ट” - एक ऐसी रिपोर्ट है जो एक प्रवर सीमित द्वारा तैयार की गई थी। यह रिपोर्ट भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के, शासन के स्वरूप पर ब्रिटिश संसद में 1813 में गंभीर वाद-विवाद का कारण बनी।, , पहाड़िया लोग मुख्य रूप से झूम खेती करते थे। वे जंगलों से महुआ के फूल, रेशम के कोया और राल तथा काठकोयला बनाने, के लिए लकड़ियाँ इकट्ठी करते थे। व्यापारी लोग भी इन पहाड़ियों द्वारा नियंत्रित रास्तों का प्रयोग करने हेतु कुछ पथकर दिया, करते थे। पहाड़ी लोगों को पहाड़िया इसलिए कहा जाता कि वे राजमहल की पहाड़ियों के आस-पास रहा करते थे।, , 1780 के दशक में भागलपुर के कलेक्टर ऑगस्टस क्लीवलैंड ने शांति स्थापना की नीति प्रस्तावित की - जिसके अनुसार, पहाड़िया मुखियाओं को एक वार्षिक भत्ता दिया जाना था और बदले में उन्हें अपने आदमियों का चाल-चलन ठीक रखने की, जिम्मेदारी दी गयी।, , 1780 में दशक के आस-पास संथाल लोग बंगाल में आने लगे थे। वे जमींदारों के यहाँ भाड़े पर काम करते थे, अंग्रेज़ों ने उनका
Page 2 :
गे, , 16., , प्रक, 18., , जी, , 20., , 21., , 22., , 23., , उपयोग जंगल की सफाई के लिए किया।, , 1850 के दशक तक संथाल लोग यह महसूस करने लगे थे कि अपने लिए आदर्श संसार का निर्माण करने के लिए, औपनिवेशिक राज के विरुद्ध विद्रोह करना होगा।, , बुकानन एक चिकित्सक था। वह भारत आया तथा 1794 से 1815 तक उसने बंगाल चिकित्सा सेवा में कार्य किया। बंगाल, सरकार के अनुरोध पर उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का व्यापक सर्वेक्षण किया था।, 'सुपा' (पूना जिले का एक बड़ा गाँव) एक विपणन केंद्र (मंडी) जहाँ अनके व्यापारी और साहूकार रहते थे।, , बम्बई दक््कन में जो राजस्व प्रणाली लागू की गई - उसे 'रैयतवारी” कहा जाता है। यह प्रणाली बंगाल में लागू (इस्तमरारी, बंदोबस्त) के विपरीत थी। इस प्रणाली के अन्तर्गत राजस्व की राशि रैयत के साथ तय की जाती थी। 1832-34 के वर्षो में, देहाती इलाके अकाल की चपेट में आकर बरबाद हो गये। दककन का एक तिहाई पशुधन मौत के मुंह में चला गया और आधी, मानव संख्या की मौत के घाट उतर गई।, , बम्बई (दक्कन) में पहला राजस्व बंदोबस्त- 1820 के दशक में लागू हुआ।, , अमेरिका में 1961 में गृह युद्ध छिड़ गया, तो ब्रिटेन के कपास क्षेत्र में तहलका मच गया, क्योंकि अमेरिका से कपास आयात, मुश्किल हो गया जिस कमी की पूर्ति भारत से अधिक मात्रा में कपास का आयात करके किया गया, इसके लिए भारतीय, किसानों को कपास के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया।, , कपास आपूर्ति संघ 1857 और मैनचेस्टर कॉटन कंपनी 1859 का उद्देश्य था - दुनिया के हर भाग में कपास के उत्पादन को, प्रोत्साहित करना। जिससे कंपनी का विकास हो सके।, , 1859 में अंग्रेजों ने एक परिसीमन कानून पारित किया - इसमें यह कहा गया कि ऋणदाता और रैयत के बीच हस्ताक्षरित, ऋणतंत्र केवल तीन वर्षों के लिए ही मान्य है तो इस कानून का उद्देश्य - बहुत समय तक ब्याज को संचित होने से रोकना था।, जब विद्रोह दक्कन के फैला तो शुरू में बम्बई की सरकार उसे गंभीरतापूर्वक लेने को तैयार नहीं थी, लेकिन भारत सरकार के, दबाव के कारण बम्बई की सरकार ने दंगों की छानबीन करने के लिए दककन दंगा आयोग बैठाया। आयोग की रिपोर्ट 1878 में, ब्रिटिश संसद में पेश की गई।, , महत्वपूर्ण बिंदु, 1. बंगाल और वहाँ के जमींदार, , 1.1 बर्दवान में की गई नीलामी की घटना, , *» इस्तमरारी बंदोबस्त, « नीलामी में बोली लगाना, * फर्जी बिक्री, , 1.2 अदान किए गए राजस्व की समस्या, , » जमींदारियों का हस्तांतरण, * अकाल
Page 3 :
*» जमींदार भूस्वामी न होकर राजस्व समाहर्ता, 1.3 राजस्व राशि के भुगतान में जमींदार क्यों चूक करते थे?, » जमींदारों की असफलता के विभिन्न कारण, 1.4 जोतदारों का उदय, 1.5 जमींदारों की ओर से प्रतिरोध, * फ़र्जी बिक्री के अंतर्गत स्त्रियों के नाम पर संपत्ति को सुरक्षित करना, 1.6 पाँचवीं रिपोर्ट, , » ईस्ट इंडिया कंपनी के चीन और भारत में व्यापार के एकाधिकार को रद्द करना, * कंपनी का कुशासन और अव्यवस्थित प्रशासन, *» प्रवर समिति, , 2. कुदाल और हल, 2.1 राजमहल की पहाड़ियों में, , » बुकानन के अनुभव, , * पहाड़ी लोगों का निवास, व्यवसाय, , * स्थायी कृषि का विस्तार, , » पहाड़िया मुखियाओं को वार्षिक भत्ता देकर क्षेत्र में शांति स्थापित करना, « संथाल लोगों का आगमन, , 2.2 संथाल: आगुआ बाशिंदे, , * पहाड़िया लोग जहाँ उपद्रवी थे संथाल आदर्श बाशिंदे, * संथालों के गाँवों की वृद्धि, , 2.3 बुकानन का विवरण, , * ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बुकानन द्वारा प्राकृतिक साधनों की खोज, « वनों को कृषि भूमि में बदलने के प्रयास, , 3. देहात में विद्रोह
Page 4 :
» बम्बई दक्कन, , * किसानों द्वारा साहूकारी के बही-खातें जलाना और अनाज़ लूटना, » अहमदनगर में विद्रोह, , « अंग्रेजों के सामने 1857 के विद्रोह का दृश्य उपस्थित होना, , » गिरफ्तारियों का दौर, , 3.2 एक नई राजस्व प्रणाली, , *» 1810 के बाद खेती की कीमतें बढ़ना, , » औपनिवेशिक सरकार द्वारा भू-राजस्व में उपाय सोचना, , * जमींदारों द्वारा जमीनपट्टे पर देना और किराए कि आमदनी पर निर्भर होना, *» बंबई दक््कन में रैतयवाड़ी का लागू होना, , 3.3 राजस्व की माँग और किसान का कर्ज, , » बंबई में कठोरतापूर्वक राजस्व वसूल करना, , *« 1832 के बाद कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से गिरावट आना, * अकाल की चपेट में कृषि, पशुधन और मनुष्य का आना, , * 1840 के बाद कृषि और आर्थिक स्थिति में सुधार, , 3.4 फिर कपास में तेजी आई, , » अमेरिका से कच्चा माल (कपास) लेने पर ब्रिटिश का चिंतित होना, * 1857 में ब्रिटेन में कपास आपूर्ति संघ की स्थापना, , » 1859 में मैनचेस्टर कॉटन कंपनी की स्थापना, , » भारत में कपास की खेती आरम्भ करना, , * 1861 में अमेरिका में गृहयुद्ध, , * बम्बई में कपास की खेती को प्रोत्साहन देना, , दक्कन में गाँवों के किसानों को असीमित ऋण उपलब्ध कराना, , 3.5 ऋण का स्रोत सूख गया, , * अमेरिका के गृहयुद्ध के बाद वहाँ कपास का उत्पादन आरम्भ हुआ, * भारतीय कपास के निर्यात में गिरावट, ० किसानों से ऋण वापस माँगना और राजस्व की मांग को बढ़ाना, , 3.6 अन्याय का अनुभव