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दस लाख संगीनें मेरे भीतर वह खौफ़, पैदा नहीं करतीं, जो तीन छोटे अखबार।, -नेपोलियन, फ्रांसीसी सेनानायक, 11071CHOS, विशेष लेखन-, .खबर की, सचाई, स्वरूप और प्रकार, तथ्य।।, इस पाठ में..., क्या है विशेष लेखन, विशेष लेखन की भाषा और शैली, विशेष लेखन के क्षेत्र, कैसे हासिल करें विशेषज्ञता, में हमने जनसंचार के तमाम, © कR, माध्यमों के अलावा लेखन के विभिन्न प्रकारों, पर बात की। समाचार और फ़ीचर लेखन, के फ़र्क को समझा। लेकिन मीडिया लेखन, के कई और पहलू भी हैं। आपने ध्यान, दिया होगा कि ज्यादातर अखबारों में खेल,, अर्थ-व्यापार,, not to, सिनेमा या मनोरंजन के अलग, पृष्ठ होते हैं। इनमें छपने वाली खबरें, फ़ीचर, या आलेख कुछ अलग तरह से लिखे जाते, हैं। इनकी न सिर्फ़ शैली अलग होती है।, बल्कि भाषा भी अलग होती है। एक, समाचारपत्र या पत्रिका तभी संपूर्ण लगती है।, जब उसमें विभिन्न विषयों और क्षेत्रों के, बारे में घटने वाली घटनाओं समस्याओं, और मुद्दों के बारे में नियमित रूप से, जानकारी दी जाए।, इससे समाचारपत्रों में एक विविधता आती, है और उनका कलेवर व्यापक होता है।, पाठकों की रुचियाँ बहुत व्यापक, दरअसल,, 2020-21, bated
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अभिव्यक्ति और माध्यम, होती हैं और वे साहित्य से लेकर विज्ञान तक तथा कारोबार से लेकर खेल तक सभी विषयों पर, पढ़ना चाहते हैं। इसके अलावा बहुतेरे पाठक ऐसे भी होते हैं जिनकी विज्ञान या खेल या कारोबार, या सिनेमा में गहरी दिलचस्पी होती है। वे अपनी दिलचस्पी के इन विषयों के बारे में विस्तार से, पढ़ना चाहते हैं। इसलिए समाचारपत्रों और दूसरे जनसंचार माध्यमों को सामान्य समाचारों से अलग, हटकर विशेष क्षेत्रों या विषयों के बारे में भी निरंतर और पर्याप्त जानकारी देनी पड़ती है ।, क्या है विशेष लेखन, समाचारपत्रों में विशेष लेखन के लिए जगह यहीं से बनती है। विशेष लेखन यानी किसी खास, विषय पर सामान्य लेखन से हटकर किया गया लेखन। अधिकतर समाचारपत्रों और पत्रिकाओं के, अलावा टी.वी. और रेडियो चैनलों में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क होता है और उस विशेष, डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है । जैसे समाचारपत्रों और अन्य, माध्यमों में बिजनेस यानी कारोबार और व्यापार का अलग डेस्क होता है, इसी तरह खेल की खबरों, और फ़ीचर के लिए खेल डेस्क अलग होता है। इन डेस्कों पर काम करने वाले उपसंपादकों और, संवाददाताओं से अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता होगी।, असल में, खबरें भी कई तरह की होती हैं-राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल, फ़िल्म, कृषि,, कानून, विज्ञान या किसी भी और विषय से जुड़ी हुई। संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन, आमतौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है । मीडिया की भाषा, में इसे बीट कहते हैं। एक संवाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अर्थ यह है कि उसका, कार्यक्षेत्र अपने शहर या क्षेत्र में घटनेवाली आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग करना है। अखबार, की ओर से वह इनकी रिपोर्टिंग के लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह भी है ।, इसी तरह अगर आपकी दिलचस्पी और जानकारी का क्षेत्र खेल है तो आपको खेल बीट मिल, सकती है और अगर आपकी आर्थिक या कारोबार जगत से जुड़ी खबरों में दिलचस्पी और, जानकारी है तो आपके हिस्से आर्थिक रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी आ सकती है । अगर आपको प्रकृति, या पर्यावरण से प्यार है और इसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी रखते हैं तो आपको पर्यावरण, 88, बीट मिल सकती है। लेकिन विशेष लेखन केवल बीट, रिपोर्टिंग नहीं है। यह बीट रिपोर्टिंग से आगे एक तरह की, विशेषीकृत रिपोर्टिंग है जिसमें न सिर्फ उस विषय की, गहरी जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसकी रिपोर्टिंग से, संबंधित भाषा और शैली पर भी आपका पूरा अधिकार, होना चाहिए।, सामान्य बीट रिपोर्टिंग के लिए भी एक पत्रकार को, काफ़ी तैयारी करनी पड़ती है। उदाहरण के तौर पर जो, पत्रकार राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं या किसी खास, राजनीतिक पार्टी को कवर करते हैं, उन्हें पता होना चाहिए, कि उस पार्टी का इतिहास क्या है, उसमें समय-समय पर, ১भाषा-रोलीएरआधिकार, विशेष, लेखन, 2020-21, विषय कीगहरी समझ
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विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार, क्या हुआ है, आज क्या चल रहा है , पार्टी के सिद्धांत या नीतियाँ क्या हैं, उसके पदाधिकारी, कौन-कौन हैं और उनकी पृष्ठभूमि क्या है, बाकी पार्टियों से उस पार्टी के कैसे रिश्ते हैं और उनमें, आपस में क्या फ़र्क है, उसके अधिवेशनों में क्या-क्या होता रहा है, उस पार्टी की कमियाँ और, खूबियाँ क्या हैं, वगैरह-वगैरह। पत्रकार को उस पार्टी के भीतर गहराई तक अपने संपर्क बनाने, चाहिए और खबर हासिल करने के नए-नए स्रोत विकसित करने चाहिए । किसी भी स्रोत या सूत्र, पर आँख मूँदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और जानकारी की पुष्टि कई और स्रोतों के जरिये भी, करनी चाहिए। यानी उस पत्रकार को ज्यादा से ज्यादा समय अपने क्षेत्र के बारे में हर छोटी बड़ी, जानकारी इकट्ठी करने में बिताना पड़ता है तभी वह उस बारे में विशेषज्ञता हासिल कर सकता, है और उसकी रिपोर्ट या खबर विश्वसनीय मानी जाती है।, यह तो हुई बीट रिपोर्टिंग। लेकिन बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में फ़र्क है । दोनों के, बीच सबसे महत्त्वपूर्ण फ़र्क यह है कि अपनी बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र, के बारे में जानकारी और दिलचस्पी का होना पर्याप्त है । इसके अलावा एक बीट रिपोर्टर को, आमतौर पर अपनी बीट से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं । लेकिन, का तात्पर्य यह है कि आप सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष, घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करें और पाठकों के लिए उसका अर्थ, स्पष्ट करने की कोशिश करें । जैसे अगर शेयर बाज़ार में भारी गिरावट आती है तो उस बीट पर, रिपोर्टिंग करनेवाला संवाददाता उसकी एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसमें सभी ज़रूरी, सूचनाएँ और तथ्य शामिल होंगे। लेकिन विशेषीकृत रिपोर्टिंग करनेवाला संवाददाता इसका विश्लेषण, करके यह स्पष्ट करने की कोशिश करेगा कि बाजार, विशेषीकृत रिपोर्टिंग, या विषय से जुड़ी, 89, गिरावट क्यों और किन कारणों से आई, है और इसका आम निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा।, यही कारण है कि बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता और विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने, वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता का दर्जा दिया जाता है। लेकिन विशेष लेखन सिर्फ़ विशेषीकृत, रिपोर्टिंग भी नहीं है। विशेष लेखन के तहत रिपोर्टिंग के अलावा उस विषय या क्षेत्र विशेष पर, फ़ीचर, टिप्पणी, साक्षात्कार, लेख, समीक्षा और स्तंभ लेखन भी आता है । इस तरह का विशेष, लेखन समाचारपत्र या पत्रिका में काम करने वाले पत्रकार से लेकर फ्रीलांस पत्रकार या लेखक, तक सभी कर सकते हैं। शर्त सिर्फ़ यह है कि विशेष लेखन के इच्छुक पत्रकार या स्वतंत्र लेखक, को उस विषय में माहिर होना चाहिए । मतलब यह कि किसी भी क्षेत्र पर विशेष लेखन करने के, लिए ज़रूरी है कि उस क्षेत्र के बारे में आपको ज़्यादा से ज्यादा पता हो, उसकी ताज़ा से ताजा, सूचना आपके पास हो, आप उसके बारे में लगातार पढ़ते हों, जानकारियाँ और तथ्य इकट्ठे करते, हों और उस क्षेत्र से जुड़े लोगों से लगातार मिलते रहते हों ।, इसी तरह अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में किसी खास विषय पर लेख या स्तंभ लिखने वाले, कई बार पेशेवर पत्रकार न होकर उस विषय के जानकार या विशेषज्ञ होते हैं। जैसे रक्षा, विज्ञान,, विदेशनीति, कृषि या ऐसे ही किसी क्षेत्र में कई वर्षों से काम कर रहा कोई प्रोफ़ेशनल इसके बारे, में बेहतर तरीके से लिख सकता है क्योंकि उसके पास इस क्षेत्र का वर्षों का अनुभव होता है,, 2020-21
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अभिव्यक्ति और माध्यम, वो इसकी बारीकियाँ समझता है और उसके पास विश्लेषण करने की क्षमता होती है। हो सकता, है उसके लिखने की शैली सामान्य पत्रकारों की तरह न हो लेकिन जानकारी और अंतर्दृष्टि के, मामले में उसका लेखन पाठकों के लिए फ़ायदेमंद होता है। उदाहरण के तौर पर हम खेलों में, हर्ष भोगले, जसदेव सिंह या नरोत्तम पुरी का नाम ले सकते हैं । वे पिछले चालीस सालों से हॉकी, से लेकर क्रिकेट तक और ओलंपिक से लेकर एशियाई खेलों तक की कमेंट्री करते रहे हैं ।, ज़ाहिर है कि खेलों के बारे में उनकी जितनी जानकारी है, उतनी आमतौर पर किसी के पास, नहीं होती है। उन्हें खेल विशेषज्ञ माना जाता है । वे खेलों की तकनीकी बारीकियाँ समझते हैं।, क्रिकेट का कोई भी रिकार्ड उनकी जबान पर होता है। ऐसे में, खेलों पर लिखे उनके लेखों को, आम पाठक बहुत रुचि के साथ पढ़ते हैं। इसी तरह रक्षा, विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, विज्ञान,, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण जैसे विषयों पर लिखने वाले विशेषज्ञों और प्रोफ़ेशनल्स के स्तंभ या, लेख/ टिप्पणियाँ, समाचारपत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित होती हैं ।, विशेष लेखन की भाषा और शैली, hed, सामान्य लेखन का यह सर्वमान्य नियम विशेष लेखन पर भी लागू होता है कि वह सरल और समझ, में आने वाला हो। दरअसल, विशेष लेखन का संबंध जिन विषयों और क्षेत्रों से है, उनमें से अधिकांश, तकनीकी रूप से जटिल क्षेत्र हैं और उनसे जुड़ी घटनाओं और मुद्दों को समझना आम पाठकों के, लिए कठिन होता है। इसलिए इन क्षेत्रों में विशेष लेखन की ज़रूरत पड़ती है जिससे पाठकों को, समझने में मुश्किल न हो।। विशेष लेखन की भाषा और शैली कई मामलों में सामान्य लेखन से अलग, है। उनके बीच सबसे बुनियादी फ़र्क यह है कि हर क्षेत्र विशेष की अपनी विशेष तकनीकी शब्दावली, होती है जो उस विषय पर लिखते हुए आपके लेखन में आती है । जैसे कारोबार पर विशेष लेखन, करते हुए आपको उसमें इस्तेमाल होने वाली शब्दावली से परिचित होना चाहिए। दूसरे, अगर आप, उस शब्दावली से परिचित हैं तो आपके सामने चुनौती यह होती है कि आप अपने पाठक को भी उस, शब्दावली से इस तरह परिचित कराएँ कि उसे आपकी रिपोर्ट को समझने में कोई दिक्कत न हो।, मिसाल के तौर पर कारोबार और व्यापार से जुड़ी खबरों में आप अकसर तेजड़िए, मंदड़िए,, बिकवाली, ब्याज दर, मुद्रास्फीति, व्यापार घाटा, राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, वार्षिक योजना,, विदेशी संस्थागत निवेशक, एफ.डी. आई., आवक, निवेश, आयात,, इसी तरह 'सोने में भारी उछाल', 'चाँदी लुढ़की' या 'आवक बढ़ने से लाल मिर्च की कड़वाहट, घटी' या 'शेयर बाज़ार ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़े, सेंसेक्स आसमान पर' आदि शीर्षक भी आपकी, निगाहों से गुज़रे होंगे। पर्यावरण और मौसम से जुड़ी खबरों के लिए उससे जुड़़े खास शब्द मसलन- पश्चिमी, हवाएँ, आर्द्रता, टॉक्सिक कचरा, ग्लोबल वार्मिंग, तूफ़ान का केंद्र या रुख आदि शब्दों की ओर भी, आपका ध्यान गया होगा। खेलों में भी ' भारत ने पाकिस्तान को चार विकेट से पीटा', 'चैंपियंस कप, में मलेशिया ने जर्मनी के आगे घुटने टेके' आदि शीर्षक सहज ही ध्यान खींचते हैं ।, विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। लेकिन अगर आप अपने बीट से जुड़ा कोई, समाचार लिख रहे हैं तो उसकी शैली उलटा पिरामिड शैली ही होगी। लेकिन अगर आप समाचार, 90, निर्यात जैसे शब्द पढ़ते होंगे।, 2020-21
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विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार, फ़ीचर लिख रहे हैं तो उसकी शैली कथात्मक हो सकती है। इसी तरह अगर आप लेख या टिप्पणी, लिख रहे हों तो इसकी शुरुआत भी फ़ीचर की तरह हो सकती है । जैसे आप किसी केस स्टडी से, उसकी शुरुआत कर सकते हैं, उसे किसी खबर से जोड़कर यानी न्यूज़पेग के ज़रिये भी शुरू किया जा, सकता है। इसमें पुराने संदर्भों को आज के संदर्भ में जोड़कर पेश करने की भी संभावना होती है ।, चाहे आप शैली कोई भी अपनाएँ लेकिन मूल बात यह है कि किसी खास विषय पर लिखा, गया आपका आलेख सामान्य लेख से अलग होना चाहिए। एक बात और याद रखनी चाहिए कि, विशेष लेखन को सभी पाठक नहीं पढ़ते और एक हद तक उनका पाठक वर्ग अलग भी होता, है। जैसे समाचारपत्र में कारोबार और व्यापार का पन्ना कम पाठक पढ़ते हैं लेकिन जो पाठक पढ़ते, हैं, उनकी अपेक्षा सामान्य पाठकों की तुलना में अधिक होती है। चूँकि वे उस विषय या क्षेत्र से, जुड़े होते हैं, इसलिए उनकी अपेक्षा यह होती है कि उन्हें उन विषयों या क्षेत्रों के बारे में ज्यादा, विस्तार और गहराई से बताया जाए।, विशेष लेखन के क्षेत्र, अर्थ-व्यापार, खेल, ) विज्ञान-प्रौद्योगिकी, ) कृषि, विदेश, 91, NCERT, ) रक्षा, अ, ) पर्यावरण, शिक्षा, ट, ) स्वास्थ्य, ) फ़िल्म-मनोरंजन, ) अपराध, सामाजिक मुद्दे, ) कानून, आदि।, विशेष लेखन के कई क्षेत्र हैं। आमतौर पर रोज़मर्रा की रिपोर्टिंग और बीट को छोड़कर वैसे, सभी क्षेत्र, विशेष लेखन के दायरे में आते हैं जिनमें अलग से विशेषज्ञता की जरूरत होती है।, लेकिन समाचारपत्रों और दूसरे माध्यमों में खेल, कारोबार, सिनेमा, मनोरंजन, फ़ैशन, स्वास्थ्य,, विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा, जीवनशैली और रहन-सहन जैसे विषयों को आजकल विशेष लेखन के, लिहाज़ से ज्यादा महत्त्व मिल रहा है। इसके अलावा रक्षा, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और विधि, जैसे क्षेत्रों में विशेषीकृत रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दी जा रही है ।, 2020-21, deeputlished, OO IA