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कक एवं साम्यवाद, , न*समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है,जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया आवाम, दिया।, +समाजवाद(5०००॥५॥)):- समाजवाद एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में, धन-सम्पति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियंत्रण के अधिन रहते है।, >2संमाजवाद- की <उत्पत्ति*+, >>समाजवादी भावना का उदय मूलतः 48वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति| के फलस्वरूप हुआ, था।जब श्रमिकों को-कोई अधिकार नहीं था और उनका क्रूर शोषण हो रहा था।<मजदुर वर्ग, पूरी तरह पूंजीपतियों की दया पर जीवित था।, “आर्थिक दृष्टि से समाज का विभाजन दो वर्गों में हो गया था।, + पूंजीपति (वर्ग, ॥. श्रमिक! वर्ग |, *पूंजीवाद ;- पूंजीवाद से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है ,जिसमे उत्पादन के साधन पर, व्यक्तिगत: स्वामित्व होता है। जिसका उद्देश्य लाभार्जन है।, , यह एक ऐसी राजनितिक आर्थिक व्यवस्था है जिसमे निजी सम्पति तथा, निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं, आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है। 2, >जिस समय'*श्रमिक जगत आर्थिक दुर्शशा और सामाजिक पतन की स्थिति से गुजर” रहा, था ,उसी समय श्रमिकों को महत्वपूर्ण राष्ट्रभक्तों ,विचारकों और लेखकों का मार्गदर्शन प्राप्त, हुआ। 4/, >इन व्यक्तियों ने सामाजिक 'और-आर्थिक क्षेत्र में एक नवीन-विचारंधारा का प्रतिपादन, किया ,जिसे समाजवाद के नाम से जाना-जाता*है। “> इन विचारकों में कार्ल मार्क्स ,राबर्ट ओवन ,सेन्ट साइमन ,फौरियर ,लुई ब्लां एवं एंगेल्स, का नाम विशेष उल्लेखनीय है।, #*आधुनिक समाजवाद का विभाजन दो चरणों में किया जाता हैः+ मार्क्स से पूर्व का समाजवाद (यूटोपियन समाजवाद), ॥. मार्क्स के बाद का समाजवाद (वैज्ञानिक समाजवाद)
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5 समाजवादी*, नश्यूटोपियन समाजवादियों की इष्टि आदर्शवादी थी तथा उनके कार्यक्रम की प्रकृति, अव्यवहारिक थी। ज्यादातर यूटोपियन विचारक फ्रांसीसी थे जो क्रांति के बदले शांतिपूर्ण में, विश्वास रखते थे।, प्रथम यूटोपियन समाजवादी,हिलने समाजवादी विचारधारा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका, निभाई ,जिसमे एक फ्रांसीसी विचारक. सँंट-साइमन- था।, >सेंट साइमन का मानना.थों की राज्य एवं समाज. को ढंग सेःसंगेठित करना चाहिए की, लोग एक दूसरे का शोषण करने के बदले मित्रजुल कर प्रकृति का दोहनःकरे।, >एक अन्य यूट्रोपियन विचारक चार्ल्स फौरियर था ,वह आधुनिक औदयोगिकवाद का विरोधी, था तथा उसका मानना था की श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिए।, उसने किसानों के लिए एक फ्लांग्स बनाये जाने की योजना रखी,लेकिन यह योजना असफल, हुई ) (, >फ्रांसीसी |यूटोपियन चिंतकों में एक मात्र व्यक्ति लुई ब्लां,जिसने राजनीति में भी हिस्सा, लिया था॥ उसके सुधार कार्यक्रम अधिक व्यावहारिक थे। (, >फ्रांस((से। बाहर सबसे महत्वपूर्ण यूटोपियन चिंतक ब्रिटिश उद्योगपति रोबर्ट ओवन था|, उसने स्कॉटलैंड के न्यू लुनार्क नामक स्थान पर एक फैक्ट्री की स्थापना की थी। ।, , *कार्ल मार्क्स*, , >+कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 488 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में |एक, यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील: थे। कार्ल, मार्क्स,मार्क्स हीगल 'के विचारों से प्रभावित था। 4843. में बचपन की मित्रःजेनी से विवाह, किया। उसने राजनीतिक एवंएसामाजिक इतिहास पर मॉन्टेस्क्यू-तथाःरूसों के विचारों का, गहन अध्यन किया। 27%, , >कार्ल मार्क्स ने ऐंगेल्स के साथ मिलकर 4848 में एक 'साम्यवादी घोषणा पत्र'प्रकाशित, किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है।, , >कार्ल मार्क्स ने 867 में 'दास-कैपिटल'नामक पुस्तक की रचना की जिसे "समाजवादियों, की बाइबिल" कहा जाता है।, , >कार्ल मार्क्स की मृत्यु 45 मार्च 883 को हुई थी।
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डे मार्क्स के सिद्धांत, 3. दवंदात्मक भोतिकवाद का सिद्धांत, 2. वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत, 3. इतिहास की भूतिकवादी व्याख्या, 4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत, 5. राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना, “मार्क्स तथा प्रथम अंतरराष्ट्रीय संघ:+4864 में प्रथम अंतरराष्ट्रीय संघ की स्थापना हुई। इस संघ की स्थापना (का श्रेय मार्क्स, को है। इस सम्मेलन में नारा ब॒लंद किया गया -'अधिकार के बिना कर्तव्य नहीं'और कर्तव्य, के बिना अधिकार नहीं। " !, *द्वितीय अंतरराष्ट्रीय संघ :->विभिन्न देशों के समाजवादी दल्रों को एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के तहत सूत्रबद्ध करने' के, लिए 44 जुलाई 4889 को पेरिस में एक सम्मलेन हुआ,जिसमें बीस देशों के करीब 400,, प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। इसे द्वितीय अंतरराष्ट्रीय संघ के नाम से जाना जाता है। (5, # इस सम्मलेन में यह निर्णय लिया गया की:- |, + प्रत्येके, वर्ष एक मई का दिन मजदूर वर्ग की एकता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। ।, ॥. मजदूरों के, त्रिए आठ घंटे के कार्य दिवस की मांग किया जाना भी तय किया गया।, >इसका अंतरराष्ट्रीय सचिवात्रय ब्रूसेल्स में स्थापित किया गया।, >3 मई 4890 को यूरोप और अमेरिका में लाखों मजदूरों ने हड़ताल और .प्रदर्शन किया,तब, से 4 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में सारे देश में मनाया जाता: है।, *सर्वहारा वर्ग :- समाज कां*वैसा वर्ग जिसमें किसान कृषक मजदुर सामान्य मजदुर और, आम गरीब लोग शामिल हो ,उसे:सर्वहारा. वर्ग के नाम-से-जांना जाता है।, , *+947 की बोल्शेविक क्रांति*, ++रूस में 4947 में हुई क्रांति को ही बोल्शेविक क्रांति कहा जाता है,क्योंकि बोल्शेविक नामक, राजनीतिक समूह ने इस क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और क्रांति की दिशा एवं, दशा निर्धारित की थी।, »-97 की बोल्शेविक क्रांति के निम्नलिखित कारण थे :
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4. जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन, :-97 से पूर्व रूस में रोमनोव राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट को 'जार', कहा जाता था। जार निकोलस ॥ ,जिसके शासनकाल में क्रांति हुई ,जो राजा के दैवी, अधिकारों में विशवास रखता था। उसे आम लोगों की सुख-दुःख की कोई चिंता नहीं थी। जार, ने जो अफसरशाही बनायीं थी वह अस्थिर और अकुशल थी।, 2. कृषकों की दयनीय स्थिति >, रूस में बहुसंख्यक भाग कृषक हीथे ,उसकीं स्थिति अत्यंत-दयनीय<थी।उनके पास पूंजी का, आभाव था तथा करों, के बोझ से वे दबे हुए थे। ऐसे में किसानो के पास क्रांति के सिवा कोई, उपाय नहीं था। | [छ, >१86 में जांर अलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी लेकिन, इससे किसानों 'की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था।, 3. मजदूरों | की दयनीय स्थिति |, रुस में मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी,उन्हें अधिक काम करना पड़ता था लेकिन, उनकी मभज़दूरी काफी कम थी। मजदूरों को कोई राजनैतिक अधिकार नहीं थे। अपनी मांगों,, के समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे। अतः वे अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं थे।, 4. औदयोगीकरण की समस्या (, 5. रूसीकरण_ की नीति, 6. विदेशी घटनाओं का प्रभाव, 7. रुस में मार्क्सवाद का प्रभाव तथा बुद्धिजीवियों का योगदान, 8. तात्कालिक कारण प्रथम विश्व युद्ध में रू का पराजय ८, +खनी रविवार :- 905इं० के-रूस-जापान युद्ध में एशिया के एक छोटे“देश/जापान से, पराजय के कारण सरुस में क्रांति हो गई।-9-जनवरी 905 को: त्रोगों ' का समूह 'रोटी दो' के नारे, के साथ सड़को पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सवर्ग स्थित महल्न की और जा रहा था। लेकिन, जार की सेना ने इस निहत्थे लोहों पर गोलियॉ बरसायीं ,जिसमे हजारों लोग मारे गए। उस, दिन रविवार था ,इसीलिए इस तिथि को खुनी रविवार के नाम से जाना जाता है।, >लियो टॉलस्टाय ने वार एंड पीस की रचना की है।, >7898 ई० में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना हुई।, , (
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904 ई० में सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी का गठन हुआ जो किसानों की मांगों को उठाती, थी।, , *अक्टूबर क्रांति :- 7 नवंबर 497 ई० को बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राड के रेलवे स्टेशन ,बैंक, /डाकघर ,कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया, , और करेंस्की सरकार का तख्ता पल्रट दिया और रुस पर अधिकार जमा लिया। यह नवम्बर, में हुई थी किन्तु रुसी कलेण्डर के अनुसार यह: अक्टूबर था ,जिस कारण इसे अक्टूबर क्रांति, कहते है। (, , +अप्रैल थीसिस :- अप्रैलं,॥947 ई0 में लेनिन ने रुस में क्रांतिकारी योजना प्रकाशित की जो, अप्रैल थीसिस' के / नाम से जानी जाती है।, , >ब्रेस्टलिटोवस्क, की संधि रुस और जर्मनी के बिच हुआ था।, , >ट्रॉटस्की/के: नेतृत्व में एक विशाल लाल सेना गठित की गई।, , *चेका :-/आंतरिक विद्रोह को दबाने के लिए 'चेका' नामक गुप्त पुलिस संगठन बनाया-गया, ,जो अचानक छापा मार कर विद्रोहियों को गिरफ्तार कर लेती थी।, , >-948 में विश्व का पहला समाजवादी शासन स्थापित करने वाला देश रूस का नया |, संविधान [बनाया गया। 0), >लेनिन| ने शासन के नियमों में परिवर्तन करने के साथ ही बोल्शेविक दल का नाम :, बदलकर साम्यवादी दल कर दिया और लाल रंग के झंडे पर हँसुए और हतौड़े को सुशोभित, कर देश का राष्ट्रीय झंडा तैयार किया ,और उसके बाद यह झंडा साम्यवाद का प्रतीक बन, गया। । ;, *लेनिन :- लेनिन एक: स्वानदर्शी विचारक नहीं,बल्कि एक कुशल सामाजिक, चिंतक तथा, व्यावहारिक शाजनीतिज थां।*उसने 92व में एक नई नीति घोषणा की[:924 ई० में लेनिन, की मृत्यु हो गई। ५ /, , +नई आर्थिक नीति :- 4924 में हुए विद्रोह के बाद लेनिन ने साम्यवादी व्यवस्था में परिवर्तन, करने और पूंजीवादी व्यवस्था की ओर लौटने के उद्देश्य से “नई आर्थिक नीति” की घोषणा, की और नई आर्थिक नीति का उद्देश्य श्रमिक वर्ग और कृषकों की आर्थिक स्थिति को, मज़बूत बनाना, पूरे देश की कामगार आबादी को देश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग, करने के लिये प्रोत्साहित करना था।