Page 1 :
संघवाद, संघवाद क्या है, भारतीय संविधान के संघीय व्यवस्था संबंधी प्रावधान क्या है, केंद्र व राज्यों के संबंध से जुड़े मुद्दे और, विशेष किस्म की बुनावट और ऐतिहासिक विशेषता वाले कुछ राज्यों के लिए निर्धारित विशिष्ट प्रावधान क्या थे, संघवाद क्या है, निश्चित रूप से संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केंद्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।, इस प्रकार लोगों की दोहरी पहचान और निष्ठाएं होती हैं। वह अपने क्षेत्र के भी होते हैं और राष्ट्र के भी। जैसे हममें से कोई गुजराती या उत्तराखंडी होने के साथ-साथ भारतीय भी होता है। प्रत्येक स्तर की राजनीतिक व्यवस्था की कुछ विशिष्ट शक्तियां और उत्तरदायित्व होते हैं तथा वहां एक अलग सरकार भी होती है।, दोहरे शासन की विस्तृत रूपरेखा अमूमन एक लिखित संविधान में मौजूद होती है। यह संविधान सर्वोच्च होता है और दोनों सरकारों की शक्तियों का स्रोत भी। राष्ट्रीय महत्व के विषयों जैसे प्रतिरक्षा और मुद्रा का उत्तरदायित्व संघीय या केंद्रीय सरकार का होता है। क्षेत्रीय या स्थानीय महत्व के विषयों पर प्रांतीय राज्य सरकारें जवाब दे होती हैं।, केंद्र और राज्यों के मध्य किसी टकराव को रोकने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है जो संघर्षों का समाधान करती है। न्यायपालिका को केंद्रीय सरकार और राज्यों के बीच शक्ति के बंटवारे के संबंध में उठने वाले कानूनी विवादों को हल करने का अधिकार होता है।, भारतीय संविधान में संघवाद, भारत जैसे विशाल देश पर शासन करने के लिए शक्तियों को प्रांतीय और केंद्रीय सरकारों के बीच बांटना जरूरी होगा।, भारतीय समाज में क्षेत्रीय और भाषाई विविधताएं हैं। इन विविधताओं को मान्यता देने की आवश्यकता थी ।, विभिन्न क्षेत्रों और भाषा भाषी लोगों को सत्ता में सहभागिता करनी थी तथा इन क्षेत्रों के लोगों को स्वशासन का अवसर मिलना चाहिए था ।, संविधान सभा ने ऐसी सरकार के गठन का निर्णय लिया जो केंद्र और राज्यों के आपसी सहयोग और एकता तथा राज्यों के लिए अलग अधिकार के सिद्धांतों पर आधारित हो ।, भारतीय संविधान द्वारा अंगीकृत संघीय व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि केंद्र और राज्यों के बीच संबंध सहयोग पर आधारित होगा। इस प्रकार विविधता को मान्यता देने के साथ ही संविधान एकता पर बल देता है।, शक्ति विभाजन, भारत के संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है - एक संपूर्ण राष्ट्र के लिए जिसे संघीय सरकार या केंद्रीय सरकार कहते हैं और दूसरी प्रत्येक प्रांतीय इकाई या राज्य के लिए जिसे राज्य सरकार कहते हैं ।, यह दोनों ही संवैधानिक सरकारें हैं और इनके स्पष्ट कार्यक्षेत्र हैं।, यदि कभी यह विवाद हो जाए कि कौन सी शक्तियां केंद्र के पास हैं और कौन सी राज्यों के पास तो इसका निर्णय न्यायपालिका संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार करेगी।, संविधान ने शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में किया है पहली संघ सूची दूसरी राज्य सूची और तीसरी समवर्ती सूची।, संघ सूची, प्रतिरक्षा, परमाणु ऊर्जा, विदेश मामले, युद्ध और शांति, बैंकिंग, रेलवे, डाक और तार, वायु सेवा, बंदरगाह, विदेश व्यापार, मुद्रा, राज्य सूची, कृषि, पुलिस, जेल खाना, स्थानीय शासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, भूमि, शराब, वाणिज्य और व्यापार, पशुपालन, प्रादेशिक लोक सेवा, समवर्ती सूची, शिक्षा, कृषि भूमि के अतिरिक्त किसी अन्य संपदा का हस्तांतरण, वन, मजदूर संघ, सामानों में मिलावट, गोद लेना और उत्तराधिकार