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&: « न्यायपालिका सरकार का महत्वपूर्ण तीसरा अंग है जिसे विभिन्न, व्यक्तियों या निजी संस्थाओं ने आपसी विवादों को हल करने वाले पंच के रूप, में देखा जाता है कि कानून के शासन की रक्षा और कानून की सर्वोच्चता को, सुनिश्चित करें । इसके लिये यह जरूरी है कि न्यायपालिका किसी भी, राजनीतिक दबाव से मुक्त हो कर स्वतत्र निर्णय ले सकें ।, , >: « न्यायपालिका देश के संविधान लोकतांत्रिक परम्परा और जनता के, प्रति जवाबदेह है ।, , 5, , »: . विधायिका और कार्यपालिका , न्यायपालिका के कार्यों में किसी प्रकार, की बाधा न पहुँचाए और न्यायपालिका ठीक प्रकार से कार्य कर सकें ।, , >: « न्यायाधीश बिना भय या भेदभाव के अपना कार्य कर सकें ।, >-#६ स्याषपालिका की स्थापना :, >: «५ भारत सरकार अधिनिषम 1935 के तहत संघीय न्यायालय की, स्थापना का प्रावधान किया गया है जिस के तहत भारत में संघीय न्यायालय, की स्थापना 1 अक्टूबर 1937 को की गई । इस के प्रधम मुख्य न्यायाधीश, सर मौरिस ग्वेयर थे । भारत की आजादी के बाद उच्चतम न्यायालय का, उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को दिल्ली में किया गया ।, , »:#६£ न्यायपालिका की पिरामिड रूपी सरंचना :टप न्यायालय, , उच्च न्यायालय, , जिला न्यायालय, , अधीनस्थ न्यायालय, 2६६ न्यायपालिका की स्वतंत्रता :, >»: « न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है कि सरकार के अन्य दो अंग, विधायिका और कार्यपालिका , न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप न करके, उनके कार्यों में किसी भी प्रकार की बांधा न पहुंचाये ताकि वह अपना कार्य, सही ढंग से करे और निष्पक्ष रूप से न्याय कर सके ।
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>: « संघात्मक सरकार में संघ और राज्यों के मध्य विवाद के समाधान और, , संविधान की सर्वोच्चता बनाये रखने का दायित्व न्यायपालिका पर ही होता है, 1 इसके साथ - साथ उस पर मूल अधिकारों के संरक्षण का भी दायित्व होता, है इस के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होना अति आवश्यक है ।, , ५.६ सर्वोच्च न्यायालय का गठन :, >»: , सर्वोच्च न्यायालय के गठन के बारे में प्रावधान संविधान के अनुच्छेद, 124 (1) में दिया गया है । अनुच्छेद 124 (1 ) के तहत मूल संविधान में, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या एक मुख्य न्यायाधीश तथा, सात अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर कुल 8 रखी गयी ।, , >: « सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या , क्षेत्राधिकार ,, , न्यायाधीशों के वेतन एवं शर्ते निश्चित करने का अधिकार संसद को दिया, गया है । इस शक्ति का प्रयोग कर संसद ने समय - समय पर न्यायाधीशों की, संख्या में वृद्धि कर वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में कुल न्यायाधीशों की, , संख्या 31 है।, ५.६ स्यायाधीश :, »: ५ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को वकालत का, अनुभव या कानून का विशेषज्ञ होना चाहिए । इनका निश्चित कार्यकाल होता, है । ये सेवा निवृत्त होने तक अपने पद पर बने रहते है । विशेष स्थितियों में, न्यायधीशों को हटाया जा सकता है | न्यायपालिका , विधायिका या, कार्यपालिका पर वित्तीय रूप से निर्भर नहीं है ।, , (६ न्यायधीश की नियुक्ति :, >: « मंत्रिमंडल , राज्यपाल , मुख्यमंत्री और भारत के मुख्यन्यायधीष ये सभी न्यायिक नियुक्ति के प्रक्रिया को प्रभावित करते है ।
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» मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति के संदर्भ में यह परम्परा भी है कि सर्वोच्च, , न्यायलय के सबसे वरिष्ठ न््यायधीश को मुख्यन्यायधीष चुना जाता है किन्तु, भारत में इस परम्परा को दो बार तोड़ा भी गया है ।, , ५: . सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायलय के अन्य न्यायघीश की नियुक्ति, राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायधीश की सलाह से करता है । ताकि न्यायलय, की स्वतंत्रता व शक्ति संतुलन दोनों बने रहे ।, , ६ सर्वोच्च न्यायालय कै मुख्य न्यायधीश कवि नियुक्ति :, ५): , सर्वोच्य न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति, द्वारा किया जाता है ।, , ५-६ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों को पद से हटाने की प्रक्रिया :, * महाभियोग द्वारा, « अयोग्यता का आरोप लगने पर, * विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित, , « दोनो सदनों में बहुमत के बाद, ५६ उच्च न्यायालय का गठन :, >: « संविधान के भाग 6 , अनुच्छेद 214 से 232 में राज्यों के उच्च, न्यायालय के बारे में प्रावधान किया गया है । उच्च न्यायालय राज्य का सबसे, बड़ा न्यायालय होता है । प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश, तथा ऐसे अन्य न्यायाधीश होते हैं जिन्हें राष्ट्रपति समय - समय पर, अनुच्छेद 216 के तहत नियुक्त करता है | उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, की संख्या निश्चित नहीं है उनकी संख्या आवश्यकतानुसार समय - समय पर, राष्ट्रपति द्वारा बढ़ाई जा सकती है । वर्तमान में उच्च न्यायालयों की संख्या, , 24 है ।, >:#£ उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों की योग्यताएं :, * वह भारत का नागरिक हो ।, , « वह किसी उच्च न्यायालय में कम से कम पाँच वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका, हो अथवा वह एक या अधिक उच्च न्यायालय में लगातार कम से कम 10, वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो ।, , * वह राष्ट्रपति की दृष्टि में एक पारंगत विधिवेत्ता हो ।, :#६ उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों का कार्यकाल :, >: . उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाघीश ( मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य, न्यायाधीश ) 65 वर्ष की आयु तक अपना पद धारण करते हैं, , ५-६ सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार :, 2७५ मौलिक क्षेत्राधिकार :
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>: « 1979 - 80 के बाद जनहित याचिकाओं और न्यायिक सक्रियता के, द्वारा न््यायधीश ने उन मामले मे रूचि दिखाई जहां समाज के कुछ वर्गों के, लोग आसानी से अदालत की सेवाएँ नहीं ले सकेंते । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु, न्यायलय ने जन सेवा की भावना से भरे नागरिक , सामाजिक संगठन और, वकीलों को समाज के जरूरतमंद और गरीब लोगों की ओर से - याचिकाएं, दायर करने को इजाजत दी ।, , >»: , न्यायिक सक्रियता ने न्याय व्यवस्था को लोकतंत्रिक बनाया ओर, कार्यपलिका उत्तरदायी बनने पर बाध्य हुई ।, , “2 « चुनाव प्रणाली को भी ज्यादा मुक्त ओर निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया, 1, , >»: , चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशियों की अपनी संपति आय और शैक्षणिक, योग्यताओं के संबंध में शपथ पत्र दने का निर्देश दिया , ताकि लोग सही, जानकारी के आधार पर प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकें 1, , (033६ अपीलीय :, »: « दीवानी फौजदारी व संवैधानिक सवालों से जुडे अधीनस्थ न्यायलयों, के मुकदमों पर अपील सुनना ।, , >:%६ सलाहकारी :, +»: , जनहित के मामलों तथा कानून के मसलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना, 1, , +»#६ भारत का सर्वोच्च न्यायलय का कार्य :, « इसके फैसले सभी अदालतों को मानने होते हैं ।, , * यह उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों का तबादला कर सकता हैं |, * यह किसी अदालत का मुक्रदमा अपने पास मँगवा सकता है ।, , * यह किसी एक उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे को दुसरे उच्च न्यायलय, में भिजवा सकता है ।, , »:#६£ उच्च न्यायालय का कार्य :, * निचली अदालतों के फैसलों पर की गई अपील की सुनवाई कर सकता है ।, , * मौलिक अधिकारों को बहाल करने के लिए रिट जारी कर सकता |, « राज्य के क्षेत्राधिकार में आने वाले मुकदमों का निपटारा कर सकता है ।, , « अपने अधीनस्थ अदालतों का पर्यवेक्षण और नियंत्रण करता है ।