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कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन :, अभिव्यक्ति और माध्यम, अध्याय 01, रचनात्मक, लेखन, (स्थिति एवं घटना के आधार पर), इस अध्याय में..., * रचनात्मक विषयों पर लेखन हेतु ध्यान रखने योग्य बातें, साधित उदाहरण, चैप्टर प्रैक्टिस, नए और अप्रत्याशित (जिनकी पहले आशा न की गई हो) विषयों पर कम-से -कम समय में अपने विचारों को संकलित कर, उन्हें सुंदर एवं सुघड़ ढंग से अभिव्यक्ति करना ही रचनात्मक कहलाता है।, रचनात्मक विषयों की संख्या असीमित है। इसमें किसी भी विपय पर लिखने के लिए दिया जा सकता है; जैसे-बहुत आवश्यक है, शिक्षा, दीवार घड़ी, धारावाहिकों में स्त्री मेरा प्रिय टाइम पास आदि। इसका उद्देश्य भापा के माध्यम से किसी विपय पर विचार, करने और उस विचार को व्याकरणिक शुद्धता के साथ सुगठित रूप में अभिव्यक्त करना है।, जो लोग आत्मनिर्भर होकर लिखित रूप में अभिव्यक्ति का अभ्यास नहीं करते ठन्हें अप्रत्याशित विपयों पर लिखना एक चुनौती, के समान लगता है। रटने की बुरी आदत हमें अभ्यास का अवसर नहीं देती और हम दूसरों द्वारा तैयार की गई सामग्री को ज्यों, का त्यों प्रस्तुत कर देते हैं। यह निर्भरता हमारे मौलिक अभ्यास को बाधित करती है और हमारी लिखित अभिव्यक्ति की क्षमता, को विकसित नहीं होने देती। अत: आवश्यक है कि हमें निबंध के परंपरागत विपयों को छोड़कर नए प्रकार के विपयों पर लिखने, का अभ्यास करना चाहिए।, रचनात्मक विषयों पर लेखन हेतु ध्यान रखने योग्य बातें, किसी भी विषय पर लिखने से पूर्व सबसे पहले दो-तीन मिनट सोचकर यह विचार कर लेना चाहिए कि किन विचारों (बिंदुओं), को हम विस्तार दे सकते हैं इसके पश्चात् विपय की शुरुआत को आकर्षक बनाने पर विचार करना चाहिए।, * लिखते समय लेख में बातों को क्रमानुसार आगे बढ़ाए।, लेख सुसंगत अर्थात् स्पष्ट व भाषा सरल होनी चाहिए।, * लिखते समय हमारी दो बातें आपस में एक दूसरे का खंडन करती हुई नहीठं होनी चाहिए।, * सामान्य नियंधों या आलेखों में 'मै" शैली का प्रयोग वर्जित होता है रतेकिन रचनात्मक लेखन में 'मै' शैली का प्रयोग किया, जा सकता है।
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साधित उदाहरण, , कমरे में रखे रोलोविजन को देखकर बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं । आपके द्वारा टेलीजिजन पर देखे गए प्रथम धारावाहिक का वर्णन करते ।, लेख तैमार कौजिए।, हुए, उ कमरे में रेखा हेलीनिजन औक मेरे सामने एक टेवल पर ठेलीविजन रखा हुआ है रेबल पर रखे हुए टेलीविजन को देखते ही मेरे बचपन की यादे त, মাई, অম হसী रोलोविजय पर रामायण, [भहाभारत, चन्नकाता मोगली शक्तिमान आदि भारावाहिक आते थे। इस रेलीविजन से मेरी कई स्मृतियाँ एक मा, उुी हुई हैं। मुझे याद आ रहा है चह पहला धारावाहिक, जो भैंने सबसे पहले टेलीविजन पर देखा था वह था- 'शक्तिमान।", चो में, सोकापिय इस ध्ाराजाहिक का बब पसारण होता था तो बाहर सड़कों पर शागद हो कोई बच्चा खेलता हुआ नज़र आता था। सभी बस्ने, অहुत, अपने-अपने भरों में बैठकर शक्तिमान' धारावहिक को देखते थे । इसकी लोकप्रियता आपने चरम पर धी। इस धारावाहिक में किरदारों द्वारा बोले गए स, স্चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गए घे; जैसे -अंधेरा कायम रहे, गंगाधर ही शक्तिमान है आदि। हालाँकि मुख्य पात्र ह्वारा दिखाए गए स्टेंट की कॉपी करने =, उस समय में बहुत से बच्चों की जान तक चली गई थी। धारावाहिक की शुरूआत में यह घोषणा होती थी कि "इस धाराषाहिक के सभी पात्र एवं घटनां, জাংনिक हैं इनका वास्तविक जीवन से कोई सबंध नहीं है । सभी स्टंट प्रशिक्षक की निगरानी में होते हैं । अतः बच्चे इसे घर पर न दोहराएँ।" इस चेताव, के, मैं, अनेक वच्चे इसे दोहराते हुए काल के गाल में समा गए घे। ये सारी पंक्तियाँ टेलीविजन को देखते ही अनायास जेहन (मन) में कौध जाती है, 2 पुर्तकालय ज्ञान का सागर है ।" इस षाक्य के आधार पर अपने क्षेत्र या विद्यालय के पुस्तकालय का वर्णन करते हुए एक लेख लिखिए।, उतर चिद्यालय का पुस्तकालय पुस्तकालय दो शब्दों 'पुस्तक' और 'आलय', होका है, इसलिए पुस्तकालय को 'ज्ञान का सागर' कहा जा सकता है । जिस प्रकार सागर में छोटी-बड़ी सभी नदियों का जल समाहित होता है उसी प्रकार, पुर्तकालय में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सभी प्रफार की पुस्तके संग्रहित होती हैं ।, মैं জब विद्यालय में पढ़ता था तब मेरे विद्यालय में एक उच्च कोटि का पुस्तकालय था। वहाँ प्राचीन एवं नवीन पुस्तकों का श्रेष्ठ संग्रह था। वहाँ साहित्य, भाषा, विज्ञान, सेस्कृति, इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, सामान्य ज्ञान आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तके संग्रहीत थीं मेरे विद्यालय के सभी विद्याथों, अनिवार्य रूप से पुस्तकालय के सदस्य हुआ करते थे| वे वहाँ से अपनी मनपसंद पुस्तकें पढ़ सकते थे या पढ़ने के लिए घर भी ले जा सकते थे ।, पुस्तकालय में पुस्तकों के अतिरिक्त पत्र-पत्िकाएँ एवं दैनिक समाचार पत्र भी आते थे पुस्तकालय में विद्यार्थियों के बैठने के लिए मेज एवं कुर्सियाँ लगो ता, थी। पड़ते समय सभी शांति बनाए रखते ताजकि दूसरों को पढ़ने में किसी प्रकार का व्यवधान न हो। मुझे अपने विद्यालय के पुस्तकालय से बड़ा लगाव था।, कोर्स की किताबों के अतिरिक्त मैं वहाँ पर उपलब्ध साहित्य की पुस्तकों का घंटों तक अध्ययन करता था। अपने विद्यालय के पुस्तकालय के कारण हो आ, भी मेरी साहित्य के प्रति गहरी रुचि है | किसी भी साहित्य से संबंधित पुस्तक को पढ़ने के लिए मैं आज भी आतुर रहता हूँ। इस आदत से मुझे अपने निे, जीषन में अनेक लाभ हुए हैं।, मिलकर बना है। इसका अर्थ है-पुस्तकों का षर। चूंकि पुस्तकों से हमे ज्ञान प्रात, S. 'सांप्रदायिकता का ज़हर विषय पर एक लेख लिखिए।, उत्तर संप्रदाधिकता का ज़हर षर्तमान समय में देश में सांप्रदायिक सद्भावना की अत्यंत आवश्यकता है। देश में स्वतंत्रता से पूर्व ही सांप्रदायिक दंगों ने भयाकह, रूप धारण कर लिया था। उस समय अनेक हिंदुओं एवं मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया था देश आज़ाद तो हुआ परंतु दो टुकड़ों में बँट गया।, हमारे शासकों ने भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा दी | पाकिस्तान बनने के बावजूद करोड़ों बार सांप्रदायिक दंगे हुए इन दंगों में लाखों निरीह लोगों को, जान से हाथ धोना पड़ा। 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन के दरवाजे बंद कर पेट्रोल से आग लगाकर लगभग 250 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया । इसके, पश्चात् गुजरात में सांप्रदायिक दगों की आग पफैल गई और हज़ारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। सांप्रदायिक दंगा करने वाले कुछ लोगों को आजीतन, कारावास की सजा दी जा चुकी है।, वास्तव में, सरकार किसी भी मूल्य पर अपना शासन बनाए रखना चाहती है अत: वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर कभी मुसलमानो के लिए, आरक्षण की बात करती है और कभी ईसाई अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करती है यदि सरकार सत्ता की लिप्सा में अंधी न हो तो देश में तत्काल सांप्रदायिक, सद्भावना स्थापित हो सकती है सांप्रदायिकता का संबंध जितना धर्म से जुड़ता है, उससे अधिक राजनीति से जुड़ता है। स्वाथी राजनीतिक तत्त्वों द्वारा अपने, हितों की पूर्ति के लिए जनसामान्य के बीच धार्मिक उन्माद पैदा किया जाता है और फिर भड़की सांप्रदायिकता की आग पर वे अपनी रोटियाँ सेंकते है जब, तक राजनीतिक इच्छाशक्ति सुदृत नहीं होगी, तब तक सांप्रदायिकता का दानव हर समाज को लीलता रहेगा ।
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CBSE Term l॥ | हिंदी केंद्रिक, XI, CBSE Term | | हिंदी केंद्रिक xI।, 7, 6, 8. कोरोना महामारी के बीच ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा जगत में महत्त्वपर्, भूमिका निभाई है। ऑनलाइन शिक्षा के महत्त्व पर अपने विचार ला, करते हुए लेख लिखिए।, उसका काम करने में मन लगता है। इसके साथ ही ज्ञान में वृद्धि, होती है, बुद्धि में ताजगी आती है तथा स्मरण शक्ति तीव्र हो जाती है।, मैं भी अपने पिताजी के साथ प्रात:कालीन प्रमण के लिए जाता हूँ।, सुबह के समय प्रकृति की सुन्दरता देखते ही बनती है। हरी हरी घास, पर ओंस की बूँद ऐसी लगती है जैसे मानो किसी ने मोती बिखेर दिए, हों। सुबह की मन्द-मन्द बहती सुगन्धित हवा शरीर को नई ताजगी, से भर देती है। आकाश में पक्षियों के झुण्ड की चहल-पहल , पेड़़, पर बैठी कोयल का मधुर गान मन को आनन्दित करता है।, प्रात:कालीन प्रमण के कारण मैं शारीरिक और मानसिक रूप से, अपने आपको स्वस्थ महसूस करने लगा हूँ। मैं शारीरिक गतिविधियों, के साथ-साथ कलात्मक रूप से भी सक्रिय हो गया हूँ। प्रकृति के, साथ सम्पर्क होने से मेरी सोचने-समझने की शक्ति भी विकसित हुई, है। अब मैं समस्या को लेकर परेशान होने की बजाय उसका हल, ढूँढने का स्वयं प्रयास करता हूँ। प्रात:कालीन प्रमण बच्चे, बुढ़े, युवा प्रत्येक वर्ग के लिए आवश्यक है। इससे हमारे शरीर को नई, स्फूर्ति मिलती है। साथ ही नवीन चेतना व नए ठल्लास का संचार, होता है। अत: प्रत्येक व्यक्ति को प्रात:कालीन प्रमण की आदत को, कार्यालय के तनाय को झेलते हुए भी वह घर की समस्त जिम्मेदारियों का, निर्याह कुशलतापूर्यक करती है। मां के इसी आत्मयिश्यास ने मुझे आत्मनिर्भर, यनने में सहायता की है। कुशल कर्मचारी और गृहिणी की अपनी दोहरी, भूमिकाओं को उन्होंने वखूबी निभाया है। इस प्रकार उन्होंने व्यावसायिक और, निजी जीवन में कर्मचारी और 'गृहिणी' की प्रत्येक करसौटी पर खरी उतरकर, अपनी उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है, इसलिए मेरी माँ मेरा आदर्श है।, 10. संसार की परिवर्तनशीलता अनिवार्य और शाश्वत नियम है। इस आधार पर, अपने जीवन की किसी विपम परिस्थिति का वर्णन करते हुए एक लेख के, माध्यम से अपने विचार लिखिए।, इसका स्थान टेलीविजन ने ले लिया। अब पनः अवानक मे रेडियो, के एक विकसित स्वरूप में कारवाँ हमारे सामने आया। अय यह, घर के बुजुर्गों की पसन्द बन गया है म्यूजिक पसन्द करने वालों, के लिए यह एक पमन्दीदा उपहार है। इममें पाँच हजार पुराने, गानों का संग्रह है। इसमें ब्लूटूथ, स्पीकर्स, यू. एस. यी. तथा एफ., एम. रेडियो हैं। यह म्यूजिक प्लेयर कारवाँ 'इनोवेशन ऑफ द, ईयर का पुरस्कार जीत बुका है।, कारवयाँ में रेडो गाने लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मन्ना डे,, मुकेश, आशा भोसले, मौहम्मद रफी और जगजीत सिंह जैसे, दिग्गजों द्वारा गाए हुए हैं। गीतों को कलाकारों, मनोदशाओं और, अमीन सयानी के गीतमाला के अनमोल संग्रह में वर्गीकृत किया, गया है। इसके यू. एस. बी और ब्लूटूथ मुविधाओ के माध्यम से, अपना पमंदीदा संगीत चुना जा सकता है। इमके एफ.एम रेडियो, द्वारा भी मनचाहा संगीत सुना जा सकता है।, कोरोना महामारी के समय ऑनलाइन शिक्षा, उत्तर, सम्पूर्ण विश्व के लिए कोरोना वैश्विक महामारी बन गई है भारत जैसे, घनी आबादौ वाले देश में इसके बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए, लॉकडाउन का सहारा लिया गया। लॉकडाउन, सभी शैक्षणिक संस्थानों; जैसे- विद्यालय, महाविद्यालय, निजी संस्थान, सभी को बन्द कर दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों की ., प्रभावित हुई। विद्यार्थियों के लिए शिक्षा व्यवस्था निर्वाध रूप से बनाण, रखने के लिए अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को, प्रोत्साहन दिया गया। कोरोना संकट के समय ऑनलाइन शिक्षा विद्या्थियं, की पढाई को सामान्य रूप से जारी रखने में अत्यन्त कारगर सिद्ध हरई।, अत: कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शिक्षा आधुनिक काल के सबसे, महत्त्वपूर्ण बदलावों में से एक है।, ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम में अनेक छात्र-छात्राएँ घर बैठे आसानी में, शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से शिक्षक एक, साथ कई विद्यार्थियों को घर बैठे शिक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं ।, इसके माध्यम से विद्यार्थी विपय को भली-भाँति समझ सकते हैं और यदि, किसी विषय को समझने में उन्हें किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है, तो शिक्षक तुरन्त उस समस्या का समाधान कर देते हैं। ऑनलाइन शिक्षा, के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को विपय से सम्बन्धित शैक्षिक सामग्री, उपलब्ध कराते हैं, जिससे विद्यार्थी अपनी विपय से सम्बन्धित जिज्ञासाओं, का समाधान करते हुए अपनी शिक्षा को निरन्तर जारी रख सकते हैं।, इस प्रकार 'सामाजिक दूरी' और 'लॉकडाउन' के नियमों का पालन करते, हुए भी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पठन-पाठन का कार्य घर वैठे, आसानी से किया जा सकता है तथा शिक्षा ग्रहण करने में आने वाली सभी, वाघाओं का सहजतापूर्वक निवारण किया जा सकता है।, कड़े नियमों के अन्तर्गत, उत्तर, जीवन का विषम परिस्थिति, संसार की परिवर्तनशीलता एक अनिवार्य नियम है। जिस प्रकार प्रकृति में परिवर्तन, होते रहते हैं, उसी प्रकार मानवीय जीवन भी परिवर्तनशील है। मानव जीवन सदैव, एक समान नहीं रहता। उसमें कभी सुख तो कभी दुःख आता जाता रहता है। आज, यदि कोई व्यक्ति सुखमय जीवन यापन करता दिखाई पड़ता है, तो कल वही, व्यक्ति दुःखी दिखाई पड़ता है अथवा यदि आज कोई व्यक्ति दुःखमय जीवन, व्यतीत करता है, तो कल वही सुखी जीवन निर्वाह करता दिखाई पड़ता है। परिवर्तन, मानवीय जीवन और प्रकृति का शाश्वत नियम है।, सृष्टि के इस परिवर्तनशीलता के नियम का जीवन्त उदाहरण मेरा जीवन है।, बहुत समय पहले मेरे परिवार की स्थिति बहुत खराब थी। हमारे पास रहने, के लिए अपना घर नहीं था और न ही पर्याप्त कपड़े थे ऐसी स्थिति में मेरी, माँ घर-घर जाकर साफ सफाई का काम करती और पिताजी दिन-रात, मजदूरी करके परिवार के लिए सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने का प्रयास, करते थे। उस समय मैं दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। घर की समस्याओं का, निवारण करने में सहयोग करने की इच्छा से मैं भी प्राथमिक कक्षा के, विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाता, ताकि अपने स्कूल की फीस स्वयं भर सकूं।, विपरीत परिस्थितियों में मेरी माताजी और पिताजी ने बहुत मेहनत-मजदूरी, की। उन्होंने परिस्थितियों से हार नहीं मानी, बल्कि उसका डटकर सामना, किया। जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान समय में हमारे पास अपना घर है तथा, पर्याप्त भोजन और कपड़े की सुविधा भी उपलब्ध है आज हम सभी सुखी, और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।, मेरा विश्वास है कि यदि मनुष्य संघर्पशील रहे और विपरीत परिस्थितियों का, दृढ़तापूर्वक सामना करे, तो कष्टमय जीवन को सुखमय जीवन में परिवर्तित, कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में दु:ख, तकलीफ है, तो उसे, हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि पूर्ण उत्साह और आत्मविश्वास के साथ, कर्मरत रहना चाहिए, ताकि सुखमय परिस्थितियों को प्राप्त किया जा सके।, तथा, 12. 'शहरों की आकर्षक मॉल संस्कृति' इस वाक्य के आधार पर, शहरों में स्थित मॉलों का वर्णन कीजिए।, अपनाना चाहिए।, उतर, शहरों की आकर्षक मॉल संस्कृति, 7. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन, चुका है। तनाव के कारण मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता, है? इससे बचने के उपायों पर चर्चा कीजिए।, आधुनिक समय में देश के सभी बड़े शहरों में मॉल संस्कृति का आगाज, हो चुका है। देश में बढ़ती आवादी के कारण लोगों के पास मोशलाइज, के, करने, इनका रख-रखाव भी न के बराबर है। लोगों के पास खरौददारी के लिए, समय की कमी है। शापिंग मॉलों में स्थानौय ब्राण्डों की वस्तुओ के, साथ-साथ विदेशी ब्राण्डों की वस्तुएँ भी उपलब्ध होती हैं यहाँ, पारम्परिक परिधान भी उपलब्ध होते, तथा कल्याण ज्वैलर्स जैसे आभूषण ग्राण्डों की दुकाने भी हैं। यहाँ, बच्चों के अनेक प्रकार के खेलों की व्यवस्था होती है। यहाँ रेस्टोरेन्ट भी, हैं जिनमें लोग अपने मन पसंद व्यजनों का स्वाद ले सकते हैं। उम्र, लिए स्थानों की कमी होती जा रही है। पार्क बहुत कम है तथा, उत्तर, भागदौड़ भरी जिदंगी और तनाव, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन चुका, है। छोटे से लेकर बड़े तक आज हर तीसरा व्यक्ति इस समस्या से, जूझ रहा है। यह समस्या शारीरिक रूप से कमजोर करने के, साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को आहत करती है। इस, समस्या से ग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक प्रकार से अपना काम ही कर, पाता है और न ही खुलकर जीवन का आनन्द ले पाता है। वर्तमान, समय में लोगों की आवश्यकताएँ इतनी अधघिक बढ़ गई हैं कि उन्हें, पूर्ण करने के लिए लोग लगातार भागते हुए नजर आते हैं। भौतिक, सुख-सुविधाओं का महत्त्व व समाज में दिखावापन लोगों के जीवन, में दबाव का कारण बन गया है और इसी दबाव के परिणामस्वरूप, जीवन में तनाव की स्थिति ठत्पन्न हो गई।, तनाव के कारण मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।, व्यक्ति किसी भी कीमत पर अपनी आवश्यकता को पूर्ण करने में, अपने समय के साथ-साथ शारीरिक क्षमता का हास होने का भी, ध्यान न रखते हुए लगातार परिश्रम करता रहता है जिसका परिणाम, शारीरिक और मानसिक रूप से तनाव, जीवन शैली जितनी आकर्षक और मनमोहक नजर आती है उसके, परिणाम उतने ही भयानक हो सकते हैं, क्योकि यदि व्यक्ति अपने, जीवन में अत्यधिक तनाव लेता है, तो शारीरिक और मानसिक रूप, से उसे कहीं-न-कहीं नुकसान उठाना ही पड़ता है। इसके कारण, मनुष्य निराशाजनक जीवन जीने लगता है एवं वह चिड़चिड़ा, क्रोधी, प्रवृत्ति का हो जाता है।, तनाव से बचने के लिए सबसे पहले हमें तनाव के कारण को, पहचानना चाहिए, क्योकि कारण जानने के बाद तनाव को दूर करना, आसान होगा। इसके साथ ही अपने मन की वातों को किसी सम्बन्धी, या मित्र से साँझा करके तनाव कम किया जा सकता है। अपने लिए, समय निकाल कर अपने मनपसंद कार्य; जैसे- संगीत सुनना, चित्र, बनाना, घूमने जाना आदि करके भी तनाव को काफी हद तक कम, किया जा सकता है। इस प्रकार तनाव से बचने के लिए एक, व्यवस्थित जीवन शैली अपनाते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए।, इन मॉलो के मालाबार गोल्ड, दराज लोगों के लिए एलिवेटर की सुविधा है लोग यहाँ आकर अपनी, जरूरत के सामान की खरोददारी तो करते हो हैं, साथ में सैर -सपाटे का, आनन्द भी लेते हैं।, पिछले महोने मैं अपने मित्र के घर गुड़गांव गया तब हम दोनों, गुड़गाँव के एमडीएस मॉल में कुछ शर्ट य पेन्ट खरीदने चले गए।, मैं वहाँ पहुँचकर हतप्रभ रह गया। मै तो राजस्थान के एक छोटे से, गाँव हडिया रोत का निवासी हूँ। शहरी चकाचौंघ से मेरा वास्ता, नहीं था। मॉल में पहुँचकर ऐसा लग रहा था मानो यह तो, अच्छा-खासा एक कस्या ही है। पहले तो दरवाजे पर पहुँचते ही, आश्चर्यचकित हो गया। दरवाजे पर पहुँचा तो देखा बिना हाथ, लगाए, बिना किसी के खोले दरवाजा अपने आप खुल गया है।, अन्दर पहुँचते ही चारो ओर दुकाने हो-दुकानें दिखाई दे रही थीं।, मैं ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां ढूंढता हुआ एलिवेटर के सामने, पहुँचा तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। मै सोच रहा था कि, ये सीढ़ियाँ चल क्यों रहीं हैं, एक के बाद एक क्यों खुल रही है,, इसमें तो लोगों को चढ़ना भी नहीं पड़ता, एक सीढ़ी पर पैर रखो, और तुरन्त ऊपर पहुंच जाओ। ये सब मुझे आश्चर्यजनक लगा ।, फिर में अपने मित्र के साथ खरीददारी करने मे व्यस्त हो गया।, वहाँ रेस्टोरेट में मैने अपने मित्र के साथ कॉफी भी पी, परन्तु जब, उसका पेमेन्ट करते हुए मित्र को 500 देते हुए देखा तो मेरे, होश उड़ गए।, लोग कॉफी पी लेते। शाम को मैं अपने मित्र के साथ घर वापस, 9. आपकी माताजी कामकाजी होते हुए भी कुशल गृहिणी का उत्तरदायित्व, भी भली-भाँति निभाती है। लेख द्वारा स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार, दोहरी जिम्मेदारियों को निभाते हुए वह आपकी आदर्श है।, ठत्तर, मेरी माँ, मेरी आदर्श, यूँ तो प्रत्येक बच्चे के लिए माँ का विशेष महत्त्व है पर मेरे लिए मेरी माँ मेरा, आदर्श है। वह मेरी प्रेरणा स्रोत है। वह आधुनिक नारी की साक्षात् प्रतिमूर्ति है।, कामकाजी महिला होते हुए भी वह घर की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाती, है। माँ की दिन-रात मेहनत, ठसका आत्मविश्वास व प्यार, परिवार मित्रं, कार्यालय कर्मचारियों सभी के साथ व्यवहार करने का तरीका अद्भुत, कार्यालय और घर के बीच उचित सन्तुलन बनाकर चलती है।, वह रोज सुबह सबके ठठने से पहले ही उठकर सबके लिए नाश्ता, खाने, की व्यवस्था करने के बाद स्वयं के लिए कुछ समय निकालकर कार्यालय, के लिए तैयार होकर चली जाती है। कार्यालय से आकर एक कुशल, गृहिणी की भाँति वह मेरा व परिवार के अन्य सभी सदस्यों की, आवश्यकताओं को पूरा करने में जुट जाती है। जहाँ एक ओर वह, कामकाजी महिला, सम्पादित करती है, वहीं दूसरी ओर कुशल गृहिणी के रूप में परिवार के, प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी निष्ठापूर्वक निर्वाह करती है। कार्यालय से, लौटने के बाद वह गृहकार्य पूरा करने में मेरी हर सम्भव मदद करता है।, काम का उचित विभाजन, कार्यालय व घर के बीच उचित सन्तुलन तथा, समय का प्रबन्धन जैसी ठत्कृष्ट विशेषताओं के कारण ही वह कामकाजी, होने के साथ-साथ कुशल गृहिणी के रूप में स्वयं को स्थापित करने गें, सक्षम रही हैं।, 11. 'हॉल में टेबल पर रखे कारवाँ को देखकर पुराने समय के रेडियो की याद, ताजा हो गई। रेडियो से कारवाँ तक के सफर का वर्णन करते हुए कारवाँ, की विशेषताओं पर एक लेख लिखिए।, क्षति होती है। आधुनिक, है। वह, उत्तर, रेडियों से कारवाँ तक का सफर, हॉल में टेबल पर निगाह डालते ही मुझे कारवाँ दिखाई दिया। यह पुराने समय के, रेडियो का ही एक विकसित रूप था। मेरे भाई ने मेरे मम्मी-पापा को यह कारवाँ, उपहारस्वरूप भेंट किया था। कारवाँ को देखते ही रेडियो से लेकर कारवाँ तक का, सफर मेरी आँखों के सामने तैरने लगा।, जब मैं विद्यार्थी था, उस समय रेडियो द्वारा गाने सुनने में बहुत मजा आता, था। शाम आठ बजते ही परिवार के सभी सदस्य रेडियो के आस-पास, एकत्रित होकर बी. बी. सी द्वारा प्रसारित समाचार सुनने को उतावले रहते, थे। उस समय रेडियो का आकार बहुत बड़़ा होता था जैसा कि आज के, जमाने के 31" टेलीविजन के बराबर। यह घर में एक ही स्थान पर रखा, रहता था। धीरे-धीरे तकनीकी विकास के फलस्वरूप इसका आकार छोटा, होने लगा और बीच में तो यह परिवारों से विलुप्त ही हो गया था तथा, रूप में कार्यालय के सभी कार्यों को कुशलतापूर्वक, मन में सोचने लगा कि इतने में तो घर में 100, आ गया।, मॉल के एलिवेटर का दृश्य तो आज भी मेरी आंखों के सामने, जब-तय आ ही जाता है। वाह री शहरो की माल संस्कृति।।